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ईटीवी स्पेशलः आस्था और विश्वास का अद्भुत स्थल है गालव ऋषि का आश्रम

जयपुर स्थित गलता जी धाम का श्रद्धालुओं में बड़ा महत्व है, जयपुर स्थित पुरातन लोहागढ़ की तपोभूमि गलता धाम का धार्मिक महत्व तो सदियों से है लेकिन, आज भी लोग इसके रहस्यों से वाकिफ नहीं है. इस गालव ऋषि की तपोभूमि का लोहा अकबर से लेकर आचार्य तुलसीदास तक मान चुके हैं. आज हम आपको बताएंगे कुछ ऐसे ही रहस्य गालव ऋषि की तपोभूमि के भ्रमण के साथ.

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गालव ऋषि का आश्रम
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Published : Nov 26, 2019, 6:59 PM IST

Updated : Nov 26, 2019, 8:01 PM IST

जयपुर: पुरातन लोहागढ़ की तपोभूमि गलता धाम का धार्मिक महत्व तो सदियों से है लेकिन, आज भी लोग इसके रहस्यों से वाकिफ नहीं है. ये वो तपोभूमि है, जहां सदियों से अखंड जलती ज्योत अपनी ज्योती से इस धाम को पवित्र कर रही है.राम और कृष्ण के एक रुप के दर्शन भी तुलसीदासजी ने यहीं किए थे और दुनिया को धर्म की राह दिखाने वाले तुलसीदास को मानवता का असली ज्ञान भी यहीं हुआ था.

इस तपोभूमि की महिमा ही थी कि खुद अकबर अपनी मुराद लेकर यहां आए, और एक ही माह में जब अकबर द्वारा मांगी गई मुराद पूरी हो गई तो वो खुद यहां प्रकट हुए हनुमान जी की प्रतिमा पर नारियल चढ़ा कर गए. हम बात कर रहें हैं जयपुर स्थित गलता धाम में गालव ऋषि की तपोभूमि की, जिसे रहस्यों की भूमी भी कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

गलता ऋषि के रहस्य

300 साल पहले हुआ निर्माण, गालव ऋषि की है तपोभूमी

गुलाबी नगरी का इतिहास जितना व्यापक इसकी स्थापना से है, उससे कई ज्यादा महत्व यहां के गलता तीर्थ भूमि का है. जहां सूरज की पहली किरण इस पवित्र भूमि पर बने सूर्यमंदिर पर पड़ने के बाद जयपुर शहर को रोशन करती है.

ऐसे तो गलता जी का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने जयपुर स्थापना से पहले वास्तू दोष निवारण के लिए 300 साल पहले करवाया था. लेकिन, उससे भी पहले सेगलता जी गालव ऋषि की तपोभूमि है, जो पहले हरिद्वार में रोज गंगा जी में नहाया करते थे.

लेकिन, जैसे-जैसे गालव ऋषि की उम्र बढ़ी, तो उनका गंगा में नहाने का नियम ना टूट जाए इसी डर से उन्होंने गंगा जी से उनके स्थान पर ही कोई बंदोबस्त करने का आग्रह किया. इस पर चमत्कारिक तौर पर यहां गलता कुंड में एक धारा बहने लगी. यह धारा पहाड़ों में कहीं से आती है लेकिन, किसी को नहीं पता कि कहां से आती है. ऐसा माना जाता है कि गंगा जी ने गुप्त रुप से यहां अपना आशीर्वाद दे रखा है.

पढ़ें- मुम्बई आतंकी हमला : 11वीं बरसी पर उपराष्ट्रपति और CM फडणवीस ने दी श्रद्धांजलि

पयोहारी ऋषि की रहस्यमयी गुफा

यह रहस्यमयी बातें यही नहीं खत्म होती, धाम में पयोहारी ऋषि एक गुफा में रहते हैं, जो धूनी के ठीक सामने है. कहा जाता है कि ये गुफा पाताल तक जाती है और इसके अंदर जो भी गया, वो कभी वापस नहीं लौटा है, इसलिए ही इस गुफा को बंद कर दिया गया है.

तुलसीदास को यही मिला ज्ञान, स्थापित हुए राम-कृष्ण साथ-साथ

इस धाम का महत्व रहस्य तक ही नहीं, बल्कि ज्ञान से भी है. इस बात का भान तुलसीदास को भी था, तपो भूमि पर बसने वाले नाभ जी ऋषि के चमत्कारिक व्यक्तित्व की वजह से तुलसीदास जी को यहां पर रुकना पड़ा था. बताते हैं कि पहले केवल भ्रमण भर के लिए आए तुलसीदास जी ने जब नाभ जी ऋषि के प्रसाद की अवज्ञा की, तो उनके पूरे शरीर में कोड़े का रोग हो गया और अनेको अनेक वैद्य को दिखाने के बाद भी वो ठीक नहीं हुआ.

जिसके बाद किसी ज्ञानी ने उन्हें बताया कि उनका ये हाल प्रसाद की अवज्ञा की वजह से हुआ है. फिर जब उन्होंने गलता जी आकर प्रसाद खाया तो उनका रोग ठीक हुआ. लेकिन, फिर भी उन्होने यहां रुकने से मना कर दिया और कहा कि यहां तो केवल भगवान कृष्ण के भक्त हैं और वो राम जी के अनुयायी है.

तब भगवान कृष्ण ने तुलसीदास को यहां राम रुप में दर्शन दिए. जिसके बाद इस जगह राम और कृष्ण दोनों की मुरत एक साथ दर्शाई गई है और उसे रामगोपाल जी कहा गया है.
तुलसीदास भी इस भूमि के चमत्कारों को मानते थे और इसलिए ही उन्होने अपनी जिंदगी के 3 साल यहां पर बिताए.

मुगल सम्राट अकबर ने भी मानी धाम की महत्ता

धाम की मान्यता को तुलसीदास ने ही नहीं बल्कि खुद मुगल सम्राट अकबर भी इस तीर्थ की महिमा को मानते थे. यही कारण है कि इस तपोभूमि में प्रकट हुई हनुमान की प्रतिमा से अकबर ने एक मन्नत मांगी, जो एक माह में ही पूरी हो गई.

बालाजी की कुटिया

गालव ऋषि की इस तपोभूमि में रामगोपाल भगवान का वास है, और जहां पर राम है वहां हनुमान का होना तो जरूरी है. गलता जी के इस रामगोपाल मंदिर में भी हनुमान जी का वास है. इस मंदिर से बालाजी की कुटिया तक एक ही रास्ता जाता है.

बालाजी की इस कुटिया में 490 सालों से एक अखंड ज्योत लगातार जल रही है. माना जाता है कि जयपुर में जब बाढ़ आई थी, तब 11 दिनों तक हनुमान जी का ये मंदिर बंद था और तब भी ये ज्योत कभी नहीं बूझी और बाढ के 11 दिनों के बाद जब इस मंदिर को खोल कर देखा तो भी ये ज्योत वैसे ही जलते हुए देखी गई.

रहस्यमयी धूनी, 500 से ज्यादा सालों से जल रही

करीब 490 सालों से लगातार प्रज्वलित इस ज्योति के अलावा भी यहां एक और आश्चर्यजनक रहस्य है. यहां एक यज्ञ धूनी है, जो 500 से भी ज्यााद सालों से निरंतर जल रही है और इसकी ज्वाला कभी बुझी नहीं. यहां तक की खुले में होने के बावजूद इस पर मौसम का कुछ भी असर नहीं हुआ है.

दरअसल, गालव ऋषि के बाद यहां एक और तपस्वी हुए, जिनका नाम पयोहारी ऋषि था. उस वक्त के सबसे बड़े तपस्वी होने के बावजूद उन्होंने गलता की गद्दी नहीं ली और उनके कई शिष्य गलता की गद्दी पर बैठे. लेकिन, उन्होने तवज्जो सिर्फ अपनी तपस्या को दी.

पढ़ें- खुफिया सूत्रों की चेतावनी : JUD व LET कर रहे रॉ व सेना कार्यालय पर हमले की साजिश

पयोहारी ऋषि ने केवल दूध पीकर अपनी जिंदगी बताई और कोई अन्य अन्न ग्रहण नहीं किया. इन्ही ऋषि ने जिस धूनी पर तपस्या की थी, वो धूनी आज तक यहां जल रही है. वहीं उन्होंने नाथ संप्रदाय को निर्देश दिया था कि उसकी धूनी बुझनी नहीं चाहिए और इसलिए ही नाथ संप्रदाय इस धूनी को जलाये रखता है.

गलता तीर्थ के इसी धार्मिक महत्व के चलते यहां बड़ी संख्या में धर्मावलियों के साथ ही कई देशी और विदेशी सैलानी भी यहां आते हैं. तो यह है जयपुर स्थित गालव ऋषि की तपोभूमि गलता तीर्थ का वो अनजाना रहस्य, जिसके लिए इस तीर्थ का लोहा अकबर से लेकर आचार्य तुलसीदास तक मान चुके हैं.

जयपुर: पुरातन लोहागढ़ की तपोभूमि गलता धाम का धार्मिक महत्व तो सदियों से है लेकिन, आज भी लोग इसके रहस्यों से वाकिफ नहीं है. ये वो तपोभूमि है, जहां सदियों से अखंड जलती ज्योत अपनी ज्योती से इस धाम को पवित्र कर रही है.राम और कृष्ण के एक रुप के दर्शन भी तुलसीदासजी ने यहीं किए थे और दुनिया को धर्म की राह दिखाने वाले तुलसीदास को मानवता का असली ज्ञान भी यहीं हुआ था.

इस तपोभूमि की महिमा ही थी कि खुद अकबर अपनी मुराद लेकर यहां आए, और एक ही माह में जब अकबर द्वारा मांगी गई मुराद पूरी हो गई तो वो खुद यहां प्रकट हुए हनुमान जी की प्रतिमा पर नारियल चढ़ा कर गए. हम बात कर रहें हैं जयपुर स्थित गलता धाम में गालव ऋषि की तपोभूमि की, जिसे रहस्यों की भूमी भी कहे तो अतिश्योक्ति नहीं होगी.

गलता ऋषि के रहस्य

300 साल पहले हुआ निर्माण, गालव ऋषि की है तपोभूमी

गुलाबी नगरी का इतिहास जितना व्यापक इसकी स्थापना से है, उससे कई ज्यादा महत्व यहां के गलता तीर्थ भूमि का है. जहां सूरज की पहली किरण इस पवित्र भूमि पर बने सूर्यमंदिर पर पड़ने के बाद जयपुर शहर को रोशन करती है.

ऐसे तो गलता जी का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने जयपुर स्थापना से पहले वास्तू दोष निवारण के लिए 300 साल पहले करवाया था. लेकिन, उससे भी पहले सेगलता जी गालव ऋषि की तपोभूमि है, जो पहले हरिद्वार में रोज गंगा जी में नहाया करते थे.

लेकिन, जैसे-जैसे गालव ऋषि की उम्र बढ़ी, तो उनका गंगा में नहाने का नियम ना टूट जाए इसी डर से उन्होंने गंगा जी से उनके स्थान पर ही कोई बंदोबस्त करने का आग्रह किया. इस पर चमत्कारिक तौर पर यहां गलता कुंड में एक धारा बहने लगी. यह धारा पहाड़ों में कहीं से आती है लेकिन, किसी को नहीं पता कि कहां से आती है. ऐसा माना जाता है कि गंगा जी ने गुप्त रुप से यहां अपना आशीर्वाद दे रखा है.

पढ़ें- मुम्बई आतंकी हमला : 11वीं बरसी पर उपराष्ट्रपति और CM फडणवीस ने दी श्रद्धांजलि

पयोहारी ऋषि की रहस्यमयी गुफा

यह रहस्यमयी बातें यही नहीं खत्म होती, धाम में पयोहारी ऋषि एक गुफा में रहते हैं, जो धूनी के ठीक सामने है. कहा जाता है कि ये गुफा पाताल तक जाती है और इसके अंदर जो भी गया, वो कभी वापस नहीं लौटा है, इसलिए ही इस गुफा को बंद कर दिया गया है.

तुलसीदास को यही मिला ज्ञान, स्थापित हुए राम-कृष्ण साथ-साथ

इस धाम का महत्व रहस्य तक ही नहीं, बल्कि ज्ञान से भी है. इस बात का भान तुलसीदास को भी था, तपो भूमि पर बसने वाले नाभ जी ऋषि के चमत्कारिक व्यक्तित्व की वजह से तुलसीदास जी को यहां पर रुकना पड़ा था. बताते हैं कि पहले केवल भ्रमण भर के लिए आए तुलसीदास जी ने जब नाभ जी ऋषि के प्रसाद की अवज्ञा की, तो उनके पूरे शरीर में कोड़े का रोग हो गया और अनेको अनेक वैद्य को दिखाने के बाद भी वो ठीक नहीं हुआ.

जिसके बाद किसी ज्ञानी ने उन्हें बताया कि उनका ये हाल प्रसाद की अवज्ञा की वजह से हुआ है. फिर जब उन्होंने गलता जी आकर प्रसाद खाया तो उनका रोग ठीक हुआ. लेकिन, फिर भी उन्होने यहां रुकने से मना कर दिया और कहा कि यहां तो केवल भगवान कृष्ण के भक्त हैं और वो राम जी के अनुयायी है.

तब भगवान कृष्ण ने तुलसीदास को यहां राम रुप में दर्शन दिए. जिसके बाद इस जगह राम और कृष्ण दोनों की मुरत एक साथ दर्शाई गई है और उसे रामगोपाल जी कहा गया है.
तुलसीदास भी इस भूमि के चमत्कारों को मानते थे और इसलिए ही उन्होने अपनी जिंदगी के 3 साल यहां पर बिताए.

मुगल सम्राट अकबर ने भी मानी धाम की महत्ता

धाम की मान्यता को तुलसीदास ने ही नहीं बल्कि खुद मुगल सम्राट अकबर भी इस तीर्थ की महिमा को मानते थे. यही कारण है कि इस तपोभूमि में प्रकट हुई हनुमान की प्रतिमा से अकबर ने एक मन्नत मांगी, जो एक माह में ही पूरी हो गई.

बालाजी की कुटिया

गालव ऋषि की इस तपोभूमि में रामगोपाल भगवान का वास है, और जहां पर राम है वहां हनुमान का होना तो जरूरी है. गलता जी के इस रामगोपाल मंदिर में भी हनुमान जी का वास है. इस मंदिर से बालाजी की कुटिया तक एक ही रास्ता जाता है.

बालाजी की इस कुटिया में 490 सालों से एक अखंड ज्योत लगातार जल रही है. माना जाता है कि जयपुर में जब बाढ़ आई थी, तब 11 दिनों तक हनुमान जी का ये मंदिर बंद था और तब भी ये ज्योत कभी नहीं बूझी और बाढ के 11 दिनों के बाद जब इस मंदिर को खोल कर देखा तो भी ये ज्योत वैसे ही जलते हुए देखी गई.

रहस्यमयी धूनी, 500 से ज्यादा सालों से जल रही

करीब 490 सालों से लगातार प्रज्वलित इस ज्योति के अलावा भी यहां एक और आश्चर्यजनक रहस्य है. यहां एक यज्ञ धूनी है, जो 500 से भी ज्यााद सालों से निरंतर जल रही है और इसकी ज्वाला कभी बुझी नहीं. यहां तक की खुले में होने के बावजूद इस पर मौसम का कुछ भी असर नहीं हुआ है.

दरअसल, गालव ऋषि के बाद यहां एक और तपस्वी हुए, जिनका नाम पयोहारी ऋषि था. उस वक्त के सबसे बड़े तपस्वी होने के बावजूद उन्होंने गलता की गद्दी नहीं ली और उनके कई शिष्य गलता की गद्दी पर बैठे. लेकिन, उन्होने तवज्जो सिर्फ अपनी तपस्या को दी.

पढ़ें- खुफिया सूत्रों की चेतावनी : JUD व LET कर रहे रॉ व सेना कार्यालय पर हमले की साजिश

पयोहारी ऋषि ने केवल दूध पीकर अपनी जिंदगी बताई और कोई अन्य अन्न ग्रहण नहीं किया. इन्ही ऋषि ने जिस धूनी पर तपस्या की थी, वो धूनी आज तक यहां जल रही है. वहीं उन्होंने नाथ संप्रदाय को निर्देश दिया था कि उसकी धूनी बुझनी नहीं चाहिए और इसलिए ही नाथ संप्रदाय इस धूनी को जलाये रखता है.

गलता तीर्थ के इसी धार्मिक महत्व के चलते यहां बड़ी संख्या में धर्मावलियों के साथ ही कई देशी और विदेशी सैलानी भी यहां आते हैं. तो यह है जयपुर स्थित गालव ऋषि की तपोभूमि गलता तीर्थ का वो अनजाना रहस्य, जिसके लिए इस तीर्थ का लोहा अकबर से लेकर आचार्य तुलसीदास तक मान चुके हैं.

Intro:(Special report)
तुलसीदास से लेकर अकबर तक ने माना गलता तीर्थ का लोहा
पाताल गुफा से लेकर 490 सालों से जल रही ज्यौत समाई है कई रहस्य
राम गोपाल का मंदिर और स्वयं प्रकट हनुमान की मूर्ति है आस्था का केन्द्र
हरिद्धार न जाए गंगा जी तो इधर ही है।


जयपुर
एंकर—पुरातन लोहागढ़ की तपोभूमि गलता धाम का धार्मिक महत्व तो सदियों से है लेकिन आज भी लोग इसके रहस्यों से वाकिफ नहीं है। ये वो तपोभूमि है जहां सदियो से अखंड जलती ज्योत आज भी अपनी ज्योती से इस धाम को पवित्र कर रही है। राम और कृष्ण के एक रुप के दर्शन भी तुलसीदासजी ने यही किए थे। दुनिया को धर्म की राह दिखाने वाले तुलसीदास को मानवता का असली ज्ञान भी यही हुआ था। इस तपोभूमि की महिमा ही थी कि खुद अकबर अपनी मुराद लेकर यहा आए ओर एक ही माह में जब अकबर द्वारा मांगी गई मुराद पूरी हो गई तो वो खुद यहां प्रकट हुए हनुमान जी की प्रतिमा पर नारियल चढ़ा कर गय। ईटीवी भारत की इस खास रिपोर्ट में आज हम आपकों दिखाएंगे गालव ऋषि की इस तपोभूमि के उन रहस्यों के बारे में जिसने अधिकतर जनमानस अब तक अनजान है।

ग्राफिक्स इन...
राम और कृष्ण एक साथ बसते है यहां
दो युगों का कैसे हुआ समावेश
आचार्य तुलसीदास ने यहां क्यों लिखी रामचरित्रमानस
485 सालो से लगातार कैसे जल रही ये ज्योती
पाताल तक जाती है यहां की गुफाएं
क्या है गालव ऋषि की तपोभूमि का रहस्य!
ग्राफिक्स आउट....

वीओ 1- गुलाबीनगरी जयपुर का इतिहास जितना व्यापक इसकी स्थापना से है,उससे कई ज़्यादा महत्व यहां के गलता तीर्थ भूमि का है। सूरज की दस्तक भी इस पवित्र भूमि पर बने सूर्यमंदिर पर पहले पड़ती है और फिर होता है जयपुर शहर रोशन। राजा सवाई जयसिंह ने जयपुर स्थापना से पहले वास्तू दोष निवारण के लिए इसे 300 साल पहले बनाया था। ऐसे तो गलता जी गालव ऋषि की तपोभूमि है जो पहले हरिद्वार में रोज़ गंगा जी में नहाया करते थे लेकिन वृद्ध होने पर जब उन्होने गंगा जी से अपने स्थान पर ही कोई बंदोबस्त करने का आग्रह किया तो यहां गलता कुंड में एक धारा बहने लगी.. वो धारा पहाड़ों में कहीं से आती है लेकिन किसी को नहीं पता वो कहा से आती है.. और ऐसा माना जाता है कि गंगा जी ने गुप्त रुप से यहां अपना आशीर्वाद दे रखा है। यहां एक और रहस्यमय बात है... पयोहारी ऋषि एक गुफा में रहते है जो इस धूनी के ठीक सामने है.. कहा जाता है कि ये गुफा पाताल तक जाती है और इसके अंदर जो भी गया वो कभी वापस नहीं लौटा.. इसलिए ही इस गुफा को बंद कर दिया गया है....

(मिड पीटीसी या मौके से वॉक थ्रू रिपोर्टर पीयूष शर्मा)

वीओ 2— इस तपो भूमि पर बसने वाले नाभ जी ऋषि के चमत्कारिक व्यक्तित्व की वजह से तुलसीदास जी को यहां पर रुकना पड़ा। बताते है कि पहले केवल भ्रमण भर के लिए आए तुलसीदास जी ने जब नाभ जी ऋषि के प्रसाद की अवज्ञा की तो उनके पूरे शरीर में कोड़े का रोग हो गया और अनेको अनेक वैध को दिखाने के बाद भी वो ठीक नहीं हुआ। जिसके बाद किसी ज्ञानी ने उन्हें बताया कि उनका ये हाल प्रसाद की अवज्ञा की वजह से हुआ है। फिर जब उन्होंने गलता जी आकर प्रसाद खाया तो उनका रोग ठीक हुआ लेकिन फिर भी उन्होने यहां रुकने से मना कर दिया और कहा कि यहां तो केवल भगवान कृष्ण के भक्त है और वो राम जी के अनुयायी है। तब भगवान कृष्ण ने तुलसीदास को यहां राम रुप में दर्शन दिए। जिसके बाद इस जगह राम और कृष्ण दोनों की मुरत एक साथ दर्शाई गई है और उसे रामगोपाल जी कहा गया है। तुलसीदास भी इस भूमि के चमत्कारो को मानते थे और इसलिए ही उन्होने अपनी ज़िंदगी के तीन साल यहां पर बिताए। गालव ऋषि की इस तपोभूमि में रामगोपाल भगवान का वास है और जहां पर राम है वहां हनुमान का होना तो ज़रुरी है। गलता जी के इस रामगोपाल मंदिर में भी हनुमान जी का वास है। रामगोपाल जी के इस मंदिर से ही एक रास्ता जाता है इस कुटिया की तरफ और बालाजी की इस कुटिया में 490 सालो से एक अखंड ज्योत लगातार चल रही है। माना जाता है कि जयपुर में जब बाढ आई थी तब 11 दिनो तक हनुमान जी का ये मंदिर बंद था. और तब भी ये ज्योत कभी बूझी नहीं और बाढ के 11 दिनों के बाद जब इस मंदिर को खोल कर देखा तो भी ये ज्योत वैसे ही जलते हुए देखी गई....

(2 मिड पीटीसी, मौके से पुजारी के साथ वॉक थ्रू रिपार्टर पीयूष शर्मा)

वीओ 3- खुद मुगल सम्राट अकबर भी इस तीर्थ की महिमा को मानते थे। यही कारण है कि इस तपोभूमि में प्रकट हुई हनुमान की प्रमिता से अकबर ने एक मन्नत मांगी जो एक माह में ही पूरी हो गई। करीब 490 सालों से लगातार प्रज्वलित इस ज्योति के अलावा भी यहां एक और आश्चर्यजनक रहस्य है। यहां एक यज्ञ धूनी है जो 500 से भी ज़्यादा सालो से निरंतर जल रही है.. और इसकी ज्वाला कभी बुझी नहीं. खुले में होने के बावजूद इसका कोई भी मौसम कुछ भी बिगाड़ नहीं पाया.. दरअसल गालव ऋषि के बाद यहां एक और तपस्वी हुए जिनका नाम पय़ोहारी ऋषि था.. उस वक्त के सबसे बड़े तपस्वी होने के बावजूद उन्होने गलता की गद्दी नहीं ली और उनके कई शिष्य गलता की गद्दी पर बैठे लेकिन उन्होने तवज्जो सिर्फ अपनी तपस्या को दी.. य़े ऋषि केवल दुध पीकर ही अपनी ज़िंदगी चलाते थे उन्होने कभी भी खाना नहीं खाया.. इन्ही ऋषि ने जिस धूनी पर तपस्या की थी वो धूनी आज तक यहां जल रही है.. और नाथ संप्रदाय को उन्होंने ये दंड दिया था कि उसकी धूनी बुझनी नहीं चाहिए और इसलिए ही नाथ संप्रदाय इस धूनी को जलाय रखता है। गलता तीर्थ के इसी धार्मिक महत्व के चलते यहां बड़ी संख्या में धर्मावलियों के साथ ही कई देशी व विदेशी सैलानी भी आते है...

बाइट—मंदाकनी,तीथ यात्री,

वीओ 4—तो यह थी जयपुर स्थित गालव ऋषि की तपोभूमि गलता तीर्थ का वो अनजाना रहस्य जिसके लिए इस तीर्थ का लोहा अकबर से लेकर आचार्य तुलसीदास तक मान चुके है। जयपुर से ईटीवी भारत के लिए पीयूष शर्मा की रिपोर्ट।

नोट—इस खबर के साथ ही संबंधित विजुअल और दो मिड पीटीसी व पुजारी की बाइट व धर्मावली की बाइट भी इसी खबर के साथ भेजी है।कृपया कर इस स्पेशल रिपोर्ट का वॉइस ओवर डेस्क ही करवाएं)


पीयूष शर्मा
जयपुर 9829272722Body:नोट—इस खबर के साथ ही संबंधित विजुअल और दो मिड पीटीसी व पुजारी की बाइट व धर्मावली की बाइट भी इसी खबर के साथ भेजी है। कृपया कर इस स्पेशल रिपोर्ट का वॉइस ओवर डेस्क ही करवाएं)

पीयूष शर्मा
जयपुर 9829272722Conclusion:
Last Updated : Nov 26, 2019, 8:01 PM IST
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