ETV Bharat / bharat

जानें, बदरीनाथ धाम की चार चाबियों से कपाट खुलने का रहस्य...

author img

By

Published : May 8, 2020, 8:48 AM IST

बदरीनाथ धाम से कपाट खुलने और बंद होने को लेकर कई रोचक कहानियां जुड़ी हुई हैं. इन्हीं में से एक है चार चाबियों से कपाट खुलने का रहस्य. जी हां, बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि ग्रीष्मकाल में जब छह महीने के लिए भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं तो उस दौरान कपाट पर लगे तालों को खोलने के लिए चार अलग-अलग चाबियों की जरूरत होती है. आखिर क्या है इन चार तालों और चाबियों का राज ये आज हम आपको बताते हैं अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में. जानें विस्तार से...

etv bharat
बदरीनाथ धाम

देहरादून : सनातन धर्मावलंबियों के प्रमुख चारधाम में से सर्वश्रेष्ठ और विश्वविख्यात बदरीनाथ धाम की यूं तो धार्मिक और पौराणिक आधार पर कई मान्यातएं हैं, लेकिन बदरीनाथ मंदिर की एक ऐसी अनूठी परंपरा भी है जो सदियों ने चली आ रही है. वह परंपरा बदरीनाथ मंदिर की रखवाली की है.

जी हां, बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि ग्रीष्मकाल में जब छह महीने के लिए भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं तो उस दौरान कपाट पर लगे तालों को खोलने के लिए चार अलग-अलग चाबियों की जरूरत होती है. आखिर क्या है इन चार तालों और चाबियों का राज ये आज हम आपको बताते हैं अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में.

उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ धाम करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है. इसे बदरी नारायण मंदिर भी कहा जाता है. बदरीनाथ देश के चार प्रमुख धामों में से है. यहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. बदरीनाथ मंदिर की पूजा पद्धति अन्य मंदिरों से भिन्न है. पूजा-अर्चना करने के तरीके की एक अनूठी परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है.

चार तालों का राज

बदरीनाथ मंदिर के कपाटों में चार ताले लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो मंदिर की रखवाली के लिए बनाई गई थी. शीतकाल में जब धाम के कपाट बंद किए दिए जाते हैं, उस दौरान मंदिर के कपाटों पर अलग-अलग चार ताले लगाए जाते हैं. इनकी चाबियां भी एक दूसरे से भिन्न होती हैं. जब बदरीनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल में खोले जाते हैं तो संबंधित प्रतिनिधि बदरीनाथ मंदिर में मौजूद होते हैं और प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ही एक-एक करके बदरीनाथ मंदिर के कपाटों पर लगे चारों तालों को खोला जाता है.

मंदिर से जुड़े चार प्रतिनिधियों की उपस्थिति में खोले जाते हैं कपाट

बदरीनाथ मंदिर के कपाट पर लगाए गए चार तालों में पहला ताला टिहरी के महाराजा का होता है. उनकी उपस्थित में ताला खोला जाता है. दूसरा ताला डिमरी समाज का होता है जिनकी मौजूदगी में ये ताला खोला जाता है. तीसरा ताला पांडुकेश्वर हकहकूक धारियों का होता है. जिनके प्रतिनिधि से चाबी लेकर ताला खोला जाता है. इसके साथ ही मंदिर के कपाटों में लगा चौथा ताला अभी तक बदरी-केदार मंदिर समिति के प्रतिनिधि की उपस्थिति में खोला जाता था लेकिन चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद अब चौथे ताले की चाबी चारधाम देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के पास है. ऐसे में इस बार चौथा ताला देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि की मौजूदगी में खोला जायेगा.

बदरी-केदार मंदिर समिति हुई भंग

हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है, जो बोर्ड अब अस्तित्व में आ चुका है. इसी साल फरवरी महीने में बोर्ड के गठन का नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) का अस्तित्व समाप्त हो गया था.

बीकेटीसी के सभी कर्मचारियों को चारधाम देवस्थानम बोर्ड में निहित कर लिया गया था. ऐसे में अब बदरीनाथ धाम के कपाट की चौथी चाबी चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सुपुर्द है.

बदरीनाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भू-बैकुंठ कहे जाने वाले श्री हरि विष्णु जी की देवडोली शीतकाल के दौरान पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मंदिर में प्रवास करती है. यही नहीं बदरीनाथ धाम का वर्णन स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में भी है.

बदरीनाथ मंदिर में बदरी विशाल यानी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. माना जाता है कि 8वीं और 9वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ मंदिर को बनवाया था. लेकिन वैदिक काल में भी बदरीनाथ मंदिर के मौजूद होने का वर्णन पुराणों में मिलता है.

लाखों की संख्या में पहुंचते हैं हर साल श्रद्धालु

इस बार भगवान बदरीनाथ के कपाट 15 मई को सुबह चार बजकर 30 मिनट पर पूरे विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे. लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के चलते लॉकडाउन में श्रद्धालु बदरी विशाल के दर्शन नहीं कर पाएंगे.

बता दें कि साल 2019 में बदरीनाथ धाम के कपाट 10 मई 2019 को सुबह 4:15 बजे श्रद्धालुओं के खोले गए थे. छह महीने के बाद 17 नवंबर 2019 को शाम पांच बजकर 13 मिनट पर पूरे विधि विधान से बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद किये गए थे. पिछले साल यात्रा सीजन में बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते दिए थे. कुल 12 लाख 44 हजार 993 भक्त ने बदरी-विशाल के दर्शन किए थे.

देहरादून : सनातन धर्मावलंबियों के प्रमुख चारधाम में से सर्वश्रेष्ठ और विश्वविख्यात बदरीनाथ धाम की यूं तो धार्मिक और पौराणिक आधार पर कई मान्यातएं हैं, लेकिन बदरीनाथ मंदिर की एक ऐसी अनूठी परंपरा भी है जो सदियों ने चली आ रही है. वह परंपरा बदरीनाथ मंदिर की रखवाली की है.

जी हां, बहुत कम लोग ही जानते होंगे कि ग्रीष्मकाल में जब छह महीने के लिए भगवान बदरी विशाल के कपाट खोले जाते हैं तो उस दौरान कपाट पर लगे तालों को खोलने के लिए चार अलग-अलग चाबियों की जरूरत होती है. आखिर क्या है इन चार तालों और चाबियों का राज ये आज हम आपको बताते हैं अपनी इस स्पेशल रिपोर्ट में.

उत्तराखंड के उच्च हिमालय क्षेत्र में स्थित बदरीनाथ धाम करोड़ों हिन्दुओं की आस्था का केंद्र है. इसे बदरी नारायण मंदिर भी कहा जाता है. बदरीनाथ देश के चार प्रमुख धामों में से है. यहां भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. बदरीनाथ मंदिर की पूजा पद्धति अन्य मंदिरों से भिन्न है. पूजा-अर्चना करने के तरीके की एक अनूठी परंपरा यहां सदियों से चली आ रही है.

चार तालों का राज

बदरीनाथ मंदिर के कपाटों में चार ताले लगाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जो मंदिर की रखवाली के लिए बनाई गई थी. शीतकाल में जब धाम के कपाट बंद किए दिए जाते हैं, उस दौरान मंदिर के कपाटों पर अलग-अलग चार ताले लगाए जाते हैं. इनकी चाबियां भी एक दूसरे से भिन्न होती हैं. जब बदरीनाथ मंदिर के कपाट ग्रीष्मकाल में खोले जाते हैं तो संबंधित प्रतिनिधि बदरीनाथ मंदिर में मौजूद होते हैं और प्रतिनिधियों की मौजूदगी में ही एक-एक करके बदरीनाथ मंदिर के कपाटों पर लगे चारों तालों को खोला जाता है.

मंदिर से जुड़े चार प्रतिनिधियों की उपस्थिति में खोले जाते हैं कपाट

बदरीनाथ मंदिर के कपाट पर लगाए गए चार तालों में पहला ताला टिहरी के महाराजा का होता है. उनकी उपस्थित में ताला खोला जाता है. दूसरा ताला डिमरी समाज का होता है जिनकी मौजूदगी में ये ताला खोला जाता है. तीसरा ताला पांडुकेश्वर हकहकूक धारियों का होता है. जिनके प्रतिनिधि से चाबी लेकर ताला खोला जाता है. इसके साथ ही मंदिर के कपाटों में लगा चौथा ताला अभी तक बदरी-केदार मंदिर समिति के प्रतिनिधि की उपस्थिति में खोला जाता था लेकिन चारधाम देवस्थानम बोर्ड के अस्तित्व में आने के बाद अब चौथे ताले की चाबी चारधाम देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि के पास है. ऐसे में इस बार चौथा ताला देवस्थानम बोर्ड के प्रतिनिधि की मौजूदगी में खोला जायेगा.

बदरी-केदार मंदिर समिति हुई भंग

हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने चारधाम समेत प्रदेश के 51 मंदिरों को एक बोर्ड के अधीन लाने के लिए उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड का गठन किया है, जो बोर्ड अब अस्तित्व में आ चुका है. इसी साल फरवरी महीने में बोर्ड के गठन का नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही बदरी-केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी) का अस्तित्व समाप्त हो गया था.

बीकेटीसी के सभी कर्मचारियों को चारधाम देवस्थानम बोर्ड में निहित कर लिया गया था. ऐसे में अब बदरीनाथ धाम के कपाट की चौथी चाबी चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सुपुर्द है.

बदरीनाथ मंदिर की पौराणिक मान्यता

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भू-बैकुंठ कहे जाने वाले श्री हरि विष्णु जी की देवडोली शीतकाल के दौरान पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मंदिर में प्रवास करती है. यही नहीं बदरीनाथ धाम का वर्णन स्कंद पुराण और विष्णु पुराण में भी है.

बदरीनाथ मंदिर में बदरी विशाल यानी भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. माना जाता है कि 8वीं और 9वीं शताब्दी में आदिगुरु शंकराचार्य ने बदरीनाथ मंदिर को बनवाया था. लेकिन वैदिक काल में भी बदरीनाथ मंदिर के मौजूद होने का वर्णन पुराणों में मिलता है.

लाखों की संख्या में पहुंचते हैं हर साल श्रद्धालु

इस बार भगवान बदरीनाथ के कपाट 15 मई को सुबह चार बजकर 30 मिनट पर पूरे विधि-विधान के साथ खोले जाएंगे. लेकिन इस बार वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचाव के चलते लॉकडाउन में श्रद्धालु बदरी विशाल के दर्शन नहीं कर पाएंगे.

बता दें कि साल 2019 में बदरीनाथ धाम के कपाट 10 मई 2019 को सुबह 4:15 बजे श्रद्धालुओं के खोले गए थे. छह महीने के बाद 17 नवंबर 2019 को शाम पांच बजकर 13 मिनट पर पूरे विधि विधान से बदरीनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद किये गए थे. पिछले साल यात्रा सीजन में बदरीनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं ने सारे रिकॉर्ड तोड़ते दिए थे. कुल 12 लाख 44 हजार 993 भक्त ने बदरी-विशाल के दर्शन किए थे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.