मुंबई: नौसेना ने सोमवार को स्कॉर्पीन श्रेणी की चौथी पनडुब्बी 'वेला' का जलावतरण किया. फ्रांस के सहयोग से भारत में निर्मित होने वाली छह युद्धक पनडुब्बियों में से यह चौथी है. इसका मकसद सामरिक रूप से महत्वपूर्ण समुद्री क्षेत्र में भारत की रक्षा एवं सुरक्षा क्षमता बढ़ाना है.
एक अधिकारी ने बताया कि रक्षा बेड़े में शामिल करने से पहले भारतीय नौसेना अभी इसके कई परीक्षण करेगी. रक्षा उत्पादन सचिव अजय कुमार की पत्नी वीना अजय कुमार ने मुंबई में मझगांव डॉकयार्ड में पनडुब्बी का जलावतरण किया.
स्वदेशी मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) ने स्कॉर्पीन श्रेणी की छह पनडुब्बियों के निर्माण एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को लेकर फ्रांसीसी सहयोगी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप (औपचारिक रूप से डीसीएनएस के नाम से जानी जाने वाली) के साथ अनुबंध किया था.
एमडीएल के अधिकारी ने कहा कि इस श्रेणी की पांचवी पनडुब्बी का भी जल्द जलावतरण किया जायेगा. वेला से पहले एमडीएल कालवरी, खंडेरी और करंज पनडुब्बियों को लांच कर चुकी है.
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एमडीएल ने एक बयान में कहा कि आईएनएस वेला को सबसे पहले भारतीय नौसेना की सेवा में 31 अगस्त, 1973 में शामिल किया गया था और इसने 37 साल तक अपनी सेवाएं दीं. यह देश की सबसे पुरानी पनडुब्बी है. 25 जून 2010 को इसे सेवामुक्त कर दिया गया था.
एमडीएल के एक अधिकारी ने बताया, 'समुद्री सुरक्षा के लिए आज हम आधुनिक मशीनरी और प्रौद्योगिकी के साथ नयी 'वेला' ला रहे हैं.'
कंपनी ने बताया कि आठ युद्धक पोतों और पांच पनडुब्बियों का निर्माण कार्य जारी है. उसने बताया कि ये पनडुब्बियां सतह से और अन्य पनडुब्बियों से होने वाले हमले को नाकाम करने की क्षमता रखती हैं.
मझगांव डॉक में उपस्थित लोगो के समूह को संबोधित करते हुए रक्षा सचिव कुमार ने कहा, 'एमडीएल देश में पनडुब्बियों का निर्माण करने वाली ऐसी पहली पोत फैक्ट्री है जिसने 1992 में आईएनएस शल्की बनाया था.'
एमडीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक राकेश आनंद ने कहा, '20 अप्रैल को पी5 बी विध्वंसक ‘इंफाल’ और आज वेला के लांच के साथ हमने देश की सुरक्षा की दिशा में यह योगदान किया है.'