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भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी नई तकनीक, पशुओं को जानलेवा 'ब्लू टंग' से बचाया जा सकेगा

भारत के पशु वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक की खोजी है, जिससे अब पशुओं को घातक बीमारी 'ब्लू टंग' से बचाया जा सकेगा. डायग्नोस्टिक किट की विशेषता यह है कि इसे पूरे विश्व में पहली बार भारत ने बनाया है. 'ब्लू टंग' एक वायरस से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई उपचार नहीं था. जानें विस्तार से...

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा
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Published : Oct 17, 2019, 4:50 PM IST

नई दिल्ली : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एक ऐसी डायग्नोस्टिक किट बनाई है, जिससे न सिर्फ पशुओं में होने वाली जानलेवा 'ब्लू टंग' नामक बीमारी का अब समय पूर्व पता लगाया जा सकेगा बल्कि पशुओं को इस घातक बीमारी से बचाया भी जा सकेगा.

दरअसल इस किट का आविष्कार आईसीएआर के ही अंग भारतीय पशु चिकित्सा शोध संस्थान इज्जतनगर (बरेली) के वैज्ञानिकों ने किया है.

गौरतलब है कि 'ब्लू टंग' एक वायरस से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई उपचार नहीं था. यह बीमारी आम तौर पर भैंस, भेड़, ऊँट, सुअर और बकरी को अधिक प्रभावित करती है.

हालांकि भारत में वैज्ञानिकों ने ऐसे 23 वायरस का पता लगाया है, जो मवेशियों इस बीमारी को प्रभावित करते हैं.

इस डायग्नोस्टिक किट की विशेषता यह है कि पूरे विश्व में पहली बार भारत ने इसे बनाया है. यानी कि अब भारत से ये विदेशों तक भी पहुंचायी जा सकेगी.

ईटीवी भारत ने भारतीय पशु वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा से विशेष बातचीत की.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा से ईटीवी भारत ने की विशेष बातचीत...

डॉ. महापात्रा ने बताया कि ALESA (एलिसा डायग्नोस्टिक किट) तकनीक पर आधारित यह डायग्नोस्टिक किट बेहद उपयोगी सिद्ध हुई है और आने वाले समय मे जहां आवश्यकता होगी, इसे उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा, 'इतना ही नहीं चूंकि यह तकनीक विकसित करने वाला भारत दुनिया में अकेला देश है, इसलिए हम इसे अन्य देशों को भी एक्सपोर्ट कर सकेंगे.'

इसे भी पढे़ं - झारखंड के 24 किसान इजराइल के लिए रवाना, सीखेंगे कृषि तकनीक के नए गुर

उन्होंने बताया कि विश्वभर में कुल 29 ऐसे वायरस हैं, जिनका पता लगाया गया है और अफ्रीकी देशों में भी भारी संख्या में मवेशी 'ब्लू टंग' नामक बीमारी से प्रभावित होकर मर जाते हैं. ऐसे में ये डायग्नोस्टिक किट एक वरदान की तरह साबित होगी.

महापात्रा के अनुसार किसानों और विशेष कर उनके लिए, जो पशुपालन से जुड़े हैं, पहले 'ब्लू टंग' जैसी जानलेवा बीमारी भारी नुकसान ले कर आती थी. वहीं अब इस डायग्नोस्टिक किट से वो न केवल वायरस के फैलने का पता लगा सकेंगे बल्कि समय से पहले इसको रोकने में भी मदद मिल सकती है.

एलिसा डायग्नोस्टिक किट के नाम से जानी जाने वाली यह तकनीक पूरे देश के लिए एक बड़ी उपल्बधि है, जिससे पशुओं की जान बच सकेगी.

नई दिल्ली : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने एक ऐसी डायग्नोस्टिक किट बनाई है, जिससे न सिर्फ पशुओं में होने वाली जानलेवा 'ब्लू टंग' नामक बीमारी का अब समय पूर्व पता लगाया जा सकेगा बल्कि पशुओं को इस घातक बीमारी से बचाया भी जा सकेगा.

दरअसल इस किट का आविष्कार आईसीएआर के ही अंग भारतीय पशु चिकित्सा शोध संस्थान इज्जतनगर (बरेली) के वैज्ञानिकों ने किया है.

गौरतलब है कि 'ब्लू टंग' एक वायरस से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है, जिसका अब तक कोई उपचार नहीं था. यह बीमारी आम तौर पर भैंस, भेड़, ऊँट, सुअर और बकरी को अधिक प्रभावित करती है.

हालांकि भारत में वैज्ञानिकों ने ऐसे 23 वायरस का पता लगाया है, जो मवेशियों इस बीमारी को प्रभावित करते हैं.

इस डायग्नोस्टिक किट की विशेषता यह है कि पूरे विश्व में पहली बार भारत ने इसे बनाया है. यानी कि अब भारत से ये विदेशों तक भी पहुंचायी जा सकेगी.

ईटीवी भारत ने भारतीय पशु वैज्ञानिकों की इस उपलब्धि पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा से विशेष बातचीत की.

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा से ईटीवी भारत ने की विशेष बातचीत...

डॉ. महापात्रा ने बताया कि ALESA (एलिसा डायग्नोस्टिक किट) तकनीक पर आधारित यह डायग्नोस्टिक किट बेहद उपयोगी सिद्ध हुई है और आने वाले समय मे जहां आवश्यकता होगी, इसे उपलब्ध कराया जाएगा. उन्होंने कहा, 'इतना ही नहीं चूंकि यह तकनीक विकसित करने वाला भारत दुनिया में अकेला देश है, इसलिए हम इसे अन्य देशों को भी एक्सपोर्ट कर सकेंगे.'

इसे भी पढे़ं - झारखंड के 24 किसान इजराइल के लिए रवाना, सीखेंगे कृषि तकनीक के नए गुर

उन्होंने बताया कि विश्वभर में कुल 29 ऐसे वायरस हैं, जिनका पता लगाया गया है और अफ्रीकी देशों में भी भारी संख्या में मवेशी 'ब्लू टंग' नामक बीमारी से प्रभावित होकर मर जाते हैं. ऐसे में ये डायग्नोस्टिक किट एक वरदान की तरह साबित होगी.

महापात्रा के अनुसार किसानों और विशेष कर उनके लिए, जो पशुपालन से जुड़े हैं, पहले 'ब्लू टंग' जैसी जानलेवा बीमारी भारी नुकसान ले कर आती थी. वहीं अब इस डायग्नोस्टिक किट से वो न केवल वायरस के फैलने का पता लगा सकेंगे बल्कि समय से पहले इसको रोकने में भी मदद मिल सकती है.

एलिसा डायग्नोस्टिक किट के नाम से जानी जाने वाली यह तकनीक पूरे देश के लिए एक बड़ी उपल्बधि है, जिससे पशुओं की जान बच सकेगी.

Intro:भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के भारतीय पशु चिकित्सा शोध संस्थान ने एक ऐसी डायग्नोस्टिक किट बनाई है जिससे पशुओं में होने वाले जानलेवा 'ब्लू टंग' बीमारी का समय से पता लगाया जा सकेगा और इससे पशुओं को बचाया भी जा सकेगा । 'ब्लू टंग' एक वायरस से फैलने वाली जानलेवा बीमारी है जिसका कोई उपचार नहीं है । ये बीमारी आम तौर पर भैंस, भेड़, ऊँट, सुअर और बकरी को ज्यादा प्रभावित करती है । भारत में वैज्ञानिकों ने ऐसे 23 वायरस का पता लगाया है जो मवेशियों को प्रभावित करते हैं ।
इस डायग्नोस्टिक किट की सबसे विशेष बात ये है कि ये पूरे विश्व में पहली बार भारत में बनाया गया है । यानी कि अब भारत से ये विदेशों तक भी पहुँचेगा ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के डायरेक्टर जेनरल डॉ त्रिलोचन मोहपात्रा ने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में इस कीट के बारे में विस्तार से बताया ।


Body:डॉ मोहपात्रा ने बताया की ALESA तकनीक पर आधारित यह डायग्नोस्टिक किट बेहद उपयोगी सिद्ध हुआ है और आने वाले समय मे ये जहाँ भी जरूरत होगी उपलब्ध कराई जाएगी ।
इतना ही नहीं, चूंकि ये तकनीक विकसित करने वाला भारत दुनिया में अकेला देश है इसलिये हम इसे अन्य देशों को भी एक्सपोर्ट कर सकेंगे ।
विश्व भर में कुल 29 ऐसे वायरस हैं जिनका पता लगाया गया है और अफ्रीकी देशों में भी भारी संख्या में मवेशी ब्लू टंग नामक बीमारी से प्रभावित हो कर जान गंवाते हैं ऐसे में ये डायग्नोस्टिक किट एक वरदान की तरह साबित होगी ।
किसानों और विशेष कर जो किसान पशुपालन से जुड़े हैं उनके लिये पहले 'ब्लू टंग' जैसी जानलेवा बीमारी जहां भारी नुकसान ले कर आती थी वहीं अब इस डायग्नोस्टिक किट से वो न केवल वायरस के फैलने का पता लगा सकेंगे बल्कि समय से पहले इसको रोकने में भी मदद मिल सकती है ।
एलिसा डायग्नोस्टिक किट के नाम से जानी जाने वाली यह तकनीक पूरे देश के लिये एक उपलब्धी है जिससे कि हजारों पशुओं की जान बचाई जा सकेगी ।


Conclusion:वीडियो में देखें ICAR के DG डॉ त्रिलोचन महापात्रा से ईटीवी भारत की विशेष बातचीत ।
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