पुणे : कोविड-19 वैश्विक महामारी के बीच ऑनलाइन कक्षाओं के लिए स्मार्टफोन नहीं खरीद पा रहे गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए महाराष्ट्र के सोलापुर जिले में एक स्कूल ने घरों की दीवारों पर पाठ्य पुस्तकों के पाठ लिखकर उन्हें शिक्षा देने की एक नई पहल शुरू की है.
सोलापुर के नीलमनगर इलाके में घरों के बाहर करीब 300 दीवारों पर पहली से 10वीं कक्षा के विभिन्न विषयों के पाठों को आसान भाषा में लिखा गया है.
नीलमनगर के प्राथमिक स्कूल 'आशा मराठी विद्यालय' के शिक्षक राम गायकवाड़ ने बताया कि इससे बच्चों के लिए किसी भी निश्चित दीवार के सामने खड़े होकर पढ़ना आसान हो गया है और साथ ही सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का भी पालन हो रहा है.
प्राथमिक विद्यालय और इसके माध्यमिक खंड श्री धर्माना सादुल प्रशाला में आस-पास के करीब 1,700 बच्चे पढ़ते हैं.
गायकवाड़ ने कहा कि यह गरीब घर के बच्चे हैं, जिनके माता-पिता मजदूर हैं और इनमें से अधिकतर जिले की कपड़ा इकाइयों में काम करते हैं.
उन्होंने कहा, 'मौजूदा कोविड-19 स्थिति में ऑनलाइन शिक्षा एक नया मानक है, जिसके लिए तेज इंटरनेट वाला स्मार्टफोन जरूरी है. लेकिन अधिकतर छात्रों के अभिभावकों के पास स्मार्टफोन या अन्य उपकरण नहीं है, इसलिए ऑनलाइन कक्षाएं उनके लिए संभव नहीं है.'
उन्होंने कहा कि इसलिए स्कूल ने शैक्षणिक संस्थान के आस-पास स्थित घरों की दीवारों पर पाठ्य पुस्तकों के पाठ लिखने की योजना बनाई.
गायकवाड़ ने कहा, 'हमने नीलमनगर के घरों पर पाठ्य सामग्री लिख दी, जिससे यह आसान, समझने लायक और रुचिपूर्ण बन गया. छात्र अपनी सहूलियत के अनुसार अब कभी भी दीवार के सामने खड़े होकर पाठ दोहरा लेते हैं और सभी सामाजिक दूरी के नियम का पालन भी कर रहे हैं.'
उन्होंने बताया कि दीवारों पर लिखे पाठों में अक्षर, संख्या, शब्द और वाक्य निर्माण, व्याकरण, गणितीय सूत्र, सामान्य ज्ञान और विभिन्न अन्य विषयों के पाठ शामिल हैं.
गायकवाड़ ने बताया कि जिन छात्रों के पास स्मार्टफोन या अन्य उपरण हैं, उनके लिए स्कूल ऑनलाइन कक्षाएं भी आयोजित कर रहा है.
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आशा मराठी विद्यालय की प्रधानाचार्य तसलीम पठान ने कहा, 'घरों की दीवारों पर पाठ्य सामग्री लिखने से छात्रों को फायदा हो रहा है. दीवारों से पाठ पढ़ते समय छात्र सामाजिक दूरी बनाए रखने के नियम का पालन करते हैं और मास्क भी पहनते हैं.'