नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज मद्रास उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा, जिसमें मुदुमलाई अभ्यारण्य वन परिक्षेत्र में नीलगिरी एलिफेंट कॉरिडोर के साथ सभी रिसॉर्ट और निर्माणों को ध्वस्त करने का निर्देश दिया गया था. हाथियों के पलायन के लिए एक सुरक्षित मार्ग बनाने के लिए यह आदेश पारित किया गया था. अदालत ने एक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक तीन सदस्यीय समिति भी नियुक्त की जो अवैध निर्माणों की जांच करेगी.
बता दें कि, मुदुमलाई एक खूबसूरत राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य है, जो तमिलनाडु राज्य के नीलगिरी जिले में है. अपने वन्य जीवन और रोमांचक के लिए मुदुमलाई देश-विदेश के सैलानियों को काफी हद तक आकर्षित करता है.
अनुमति के बावजूद रिसॉर्ट्स सील
इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने रिसॉर्ट्स के मालिकों द्वारा दायर की गई दलीलों के एक बैच पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिन्होंने मद्रास हाई कोर्ट के विध्वंस के आदेश को चुनौती दी थी और तर्क दिया था कि उनके रिसॉर्ट्स को अनुमति दिए जाने के बावजूद सील कर दिया गया था.
याचिकाकर्ताओं में से एक अभिनेता और राज्य सभा के पूर्व सांसद मिथुन चक्रवर्ती भी शामिल थे.
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निर्माण को रोकने का आदेश
2011 में मद्रास हाई कोर्ट ने एलिफेंट कॉरिडोर के साथ सभी रिसॉर्ट्स और निर्माणों को रोकने का आदेश दिया था और उसके बाद राज्य सरकार ने भी उसी के लिए आदेश जारी किया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट के समक्ष चुनौती दी गई थी.
जंगल में हैं 821 अवैध निर्माण
जंगल में लगभग 821 अवैध निर्माण हैं, जो अधिसूचित नीलगिरी एलिफेंट कॉरिडोर के भीतर बनाए गए हैं. 390 संरचनाएं अवैध थीं, जिनमें से 71 संपन्न लोगों की थीं. उच्च न्यायालय के आदेश को एलिफेंट अधिकार कार्यकर्ता राजेंद्रन द्वारा दायर याचिका पर पारित किया गया था.