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राजस्थान विधानसभा में SC/ ST एक्ट हुआ पास, विपक्ष ने साधा निशाना

SC/ ST एक्ट के 126 वें संविधान संशोधन के प्रस्ताव को गहलोत सरकार ने विधानसभा में पास किया. इस पर विपक्ष ने कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल उठाए तो वहीं सत्ता पक्ष ने कहा कि आरक्षण की समीक्षा की बात करने वाले नियम नहीं बताएं.

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गुलाबचंद कटारिया
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Published : Jan 25, 2020, 11:49 PM IST

Updated : Feb 18, 2020, 10:29 AM IST

जयपुर. SC/ ST आरक्षण को बढ़ाने वाले 126 वें संशोधन कानून को राजस्थान विधानसभा में पास कर दिया गया है. शनिवार के दिन सदन में इस कानून को पक्ष और विपक्ष ने मिलकर एक स्वर में पास किया, लेकिन प्रस्ताव पास होने के बाद पक्ष और विपक्ष में जमकर जुबानी जंग देखने को मिली. विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नीयत पर सवाल उठाए तो सत्तापक्ष ने विपक्ष को यह कहते हुए आईना दिखाने की कोशिश की कि आरक्षण की समीक्षा की बात करने वाले लोग कानून नहीं सिखाएं तो ज्यादा बेहतर है.

15वीं विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे दिन सबकी निगाहें राजस्थान विधानसभा पर थीं. इसकी वजह है कि लंबे समय बाद पक्ष और विपक्ष ने एक प्रस्ताव पर एक स्वर में सहमति जताई. दरअसल SC/ST आरक्षण को बढ़ाने वाले 126 वें संशोधन कानून के प्रस्ताव को राजस्थान की विधानसभा में रखा गया. जिसे पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में मंजूरी दी.

इस दौरान सदन में और सदन से बाहर पक्ष और विपक्ष में टकराव भी देखने को मिला. विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नीयत पर सवाल उठाए. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बहुत कम होता है कि किसी भी संशोधन कानून में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाते हैं और उसके बाद कोई राज्य उसके सहमति पत्र के प्रस्ताव को पास करता है. उन्होंने कहा कि जब 18 से 19 राज्यों ने राज्यों ने SC/ ST एक्ट में संशोधन के कानून को समर्थन दे दिया, उसके बाद आज राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस की सरकार ने इस प्रस्ताव को पास किया.

पढ़ें- CAA के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संकल्प पारित, केरल और पंजाब के बाद राजस्थान तीसरा राज्य

कटारिया ने कहा कि SC/ ST एक्ट अगर पहले भी लाते तो भी हम पूर्ण रूप से समर्थन करते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही भ्रम फैलाने की पहले भी कोशिश की थी कि बीजेपी उनका आरक्षण खत्म कर देगी. लेकिन पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया गया और आज भी हम ने ही आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया है.

साथ ही कहा कि इसमें राजस्थान की सरकार से गलती हो गई कि इनके डिपार्टमेंट हैं. इन्हें समय पर जानकारी नहीं दी, जिससे जो समर्थन पत्र समय पर चला जाना चाहिए था वह नहीं गया. जिस तरह से 18 से 19 राज्यों का समर्थन पत्र आया, उसी तरह से राजस्थान का समर्थन पत्र समय पर नहीं गया. अगर समर्थन पत्र चला जाता तो राजस्थान के SC/ ST के लोगों को लगता है कि सरकार उनके बारे में भी चिंता करती है, लेकिन अब जिस तरीके से कानून बनने के बाद और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद इस कानून के समर्थन में पत्र जारी किया गया है, वह सिर्फ कांग्रेस सरकार अपनी झेंप मिटाने के लिए किया है. जो गलती उनसे हो गई उसे सुधारने की कोशिश की गई है.

पढ़ें- CAA पर विधानसभा में चले तर्क-वितर्क, मंत्री धारीवाल ने सुनाया 'दादा जी' का किस्सा

वहीं कांग्रेस विधायक और ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि जब भी कांग्रेस ने आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया, तब बीजेपी ने कांग्रेस पर SC/ ST तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आरक्षण की समीक्षा की बात कौन करता है. मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की बात की थी, हमारी सरकार और कांग्रेस हमेशा से ही SC/ ST के लोगों के हितों को ध्यान में रखा है.

जयपुर. SC/ ST आरक्षण को बढ़ाने वाले 126 वें संशोधन कानून को राजस्थान विधानसभा में पास कर दिया गया है. शनिवार के दिन सदन में इस कानून को पक्ष और विपक्ष ने मिलकर एक स्वर में पास किया, लेकिन प्रस्ताव पास होने के बाद पक्ष और विपक्ष में जमकर जुबानी जंग देखने को मिली. विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नीयत पर सवाल उठाए तो सत्तापक्ष ने विपक्ष को यह कहते हुए आईना दिखाने की कोशिश की कि आरक्षण की समीक्षा की बात करने वाले लोग कानून नहीं सिखाएं तो ज्यादा बेहतर है.

15वीं विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे दिन सबकी निगाहें राजस्थान विधानसभा पर थीं. इसकी वजह है कि लंबे समय बाद पक्ष और विपक्ष ने एक प्रस्ताव पर एक स्वर में सहमति जताई. दरअसल SC/ST आरक्षण को बढ़ाने वाले 126 वें संशोधन कानून के प्रस्ताव को राजस्थान की विधानसभा में रखा गया. जिसे पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में मंजूरी दी.

इस दौरान सदन में और सदन से बाहर पक्ष और विपक्ष में टकराव भी देखने को मिला. विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नीयत पर सवाल उठाए. नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि बहुत कम होता है कि किसी भी संशोधन कानून में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाते हैं और उसके बाद कोई राज्य उसके सहमति पत्र के प्रस्ताव को पास करता है. उन्होंने कहा कि जब 18 से 19 राज्यों ने राज्यों ने SC/ ST एक्ट में संशोधन के कानून को समर्थन दे दिया, उसके बाद आज राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस की सरकार ने इस प्रस्ताव को पास किया.

पढ़ें- CAA के खिलाफ राजस्थान विधानसभा में संकल्प पारित, केरल और पंजाब के बाद राजस्थान तीसरा राज्य

कटारिया ने कहा कि SC/ ST एक्ट अगर पहले भी लाते तो भी हम पूर्ण रूप से समर्थन करते. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने ही भ्रम फैलाने की पहले भी कोशिश की थी कि बीजेपी उनका आरक्षण खत्म कर देगी. लेकिन पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया गया और आज भी हम ने ही आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया है.

साथ ही कहा कि इसमें राजस्थान की सरकार से गलती हो गई कि इनके डिपार्टमेंट हैं. इन्हें समय पर जानकारी नहीं दी, जिससे जो समर्थन पत्र समय पर चला जाना चाहिए था वह नहीं गया. जिस तरह से 18 से 19 राज्यों का समर्थन पत्र आया, उसी तरह से राजस्थान का समर्थन पत्र समय पर नहीं गया. अगर समर्थन पत्र चला जाता तो राजस्थान के SC/ ST के लोगों को लगता है कि सरकार उनके बारे में भी चिंता करती है, लेकिन अब जिस तरीके से कानून बनने के बाद और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद इस कानून के समर्थन में पत्र जारी किया गया है, वह सिर्फ कांग्रेस सरकार अपनी झेंप मिटाने के लिए किया है. जो गलती उनसे हो गई उसे सुधारने की कोशिश की गई है.

पढ़ें- CAA पर विधानसभा में चले तर्क-वितर्क, मंत्री धारीवाल ने सुनाया 'दादा जी' का किस्सा

वहीं कांग्रेस विधायक और ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि जब भी कांग्रेस ने आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया, तब बीजेपी ने कांग्रेस पर SC/ ST तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि आरक्षण की समीक्षा की बात कौन करता है. मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की बात की थी, हमारी सरकार और कांग्रेस हमेशा से ही SC/ ST के लोगों के हितों को ध्यान में रखा है.

Intro:
जयपुर

SC/ ST एक्ट के 126 वे संविधान संशोधन के प्रस्ताव गहलोत सरकार ने पास , विपक्ष ने उठाये नियत पर सवाल तो सत्ता पक्ष ने कहा आरक्षण की समीक्षा की बात करने वाले नही बताए नियम

एंकर:- एसीएसटी आरक्षण को बढ़ाने वाला 126 वें संशोधन कानून विपक्ष ने विधानसभा में आज प्रस्ताव पास किया गया , एससी एसटी एक्ट को बढ़ाने वाले इस कानून को पक्ष और विपक्ष ने मिलकर एक स्वर में पास किया , लेकिन प्रस्ताव पास होने के बाद पक्ष और विपक्ष में जुबानी जंग जम कर हुई , विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नियत पर सवाल उठाए तो सत्तापक्ष ने विपक्ष को यह कहते हुए आईना दिखाने की कोशिश करी की आरक्षण की समीक्षा की बात करने वाले लोग कानून नहीं सिखाए तो ज्यादा बेहतर है ।


Body:VO:- 15 विधानसभा के चौथे सत्र के दूसरे दिन सबकी निगाहें राजस्थान विधानसभा पर थी , इसकी वजह है कि लंबे समय बाद पक्ष और विपक्ष ने एक प्रस्ताव पर एक स्वर में सहमति जताई , दरअसल sc-st आरक्षण को बढ़ाने वाले 126 वे संशोधन कानून के प्रस्ताव को राजस्थान की विधानसभा में रखा गया , जिससे पक्ष और विपक्ष ने एक स्वर में मंजूरी दी , हालांकि इस दौरान सदन में ओर सदन से बाहर पक्ष और विपक्ष में टकराव भी देखने को मिला जहां विपक्ष ने सत्ता पक्ष की नियत पर सवाल उठाए नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा की बहुत कम होता है कि किसी भी संशोधन कानून में राष्ट्रपति के हस्ताक्षर हो जाते हैं और उसके बाद कोई राज्य उसके सहमति पत्र के प्रस्ताव को पास करता है , उन्होंने कहा कि जब 18 से 19 राज्यों ने राज्यों ने एससी एसटी एक्ट में संशोधन के कानून को समर्थन दे दिया उसके बाद आज राजस्थान की विधानसभा में कांग्रेस की सरकार ने इस प्रस्ताव को पास किया , कटारिया ने कहां की एससी एसटी एक अगर पहले ही लाते तभी हम पूर्ण रूप से समर्थन करते हैं , उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस ने ही भ्रम फैलाने की पहले भी कोशिश की थी कि बीजेपी उनका आरक्षण खत्म कर देगी , लेकिन पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया गया और आज भी हम ने ही आरक्षण को 10 साल के लिए बड़ा है , अब इसमें राजस्थान की सरकार से गलती हो गई कि इनके डिपार्टमेंट है इन्हें समय पर जानकारी नहीं दी , जिससे जो समर्थन पत्र समय पर चला जाना चाहिए था वह नहीं गया , जिस तरह से 18 से 19 राज्यों का समर्थन पत्र आया उत्तर से राजस्थान का समर्थन पत्र समय पर नहीं गया , कानून बनने से पहले जो समर्थन पत्र जाना चाहिए था वह नहीं गया अगर समर्थन पत्र चला जाता तो राजस्थान के एससी एसटी के लोगों को लगता है कि सरकार उनके बारे में भी चिंता करती है , लेकिन अब जिस तरीके से कानून बनने के बाद और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के बाद इस कानून के समर्थन में पत्र जारी किया गया है वह सिर्फ कांग्रेस सरकार अपनी झेब मिटाने के लिए किया है जो गलती उनसे हो गई उसे सुधारने की कोशिश करी गई है , उधर कांग्रेस विधायक और ऊर्जा मंत्री बीडी कल्ला ने कहा कि जब जब भी कांग्रेस ने आरक्षण को 10 साल के लिए बढ़ाया तब तक बीजेपी ने कांग्रेस पर एससी एसटी तुष्टिकरण की राजनीति करने का आरोप लगाया , उन्होंने कहा कि आरक्षण की समीक्षा कि बात कौन करता है , उन्होंने कहा कि जब मेने सदन में कहा कि कौन आरक्षण की समीक्षा की बात करता है तो मैंने कहा कि मोहन भागवत ने आरक्षण की समीक्षा की बात की थी , हमारी सरकार और कांग्रेस हमेशा से ही एससी एसटी के लोगों के हितों का ध्यान में रखा है यह वजह है कि कांग्रेस नहीं हमेशा आरक्षण का लाभ देने के पक्ष में रही है ।
बाइट:- गुलाबचंद कटारिया - नेता प्रतिपक्ष
बाइट:- बीड़ी कल्ला - ऊर्जा मंत्री


Conclusion:
Last Updated : Feb 18, 2020, 10:29 AM IST
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