नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सेना में स्थायी कमीशन से चिकित्सा के आधार पर महिलाओं को अयोग्य ठहराए जाने पर अपनी नाराजगी व्यक्त की है. वहां 35 से 50 वर्ष की आयु की महिला अधिकारी 25 से 30 वर्ष की आयु के पुरुष अधिकारियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही थीं. न्यायालय ने कहा कि सेना के अधिकारी अलग तरह से सोच रहे थे और इस कमी को दूर करने की जरूरत है.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ महिला अधिकारियों द्वारा मेडिकल आधार पर अयोग्य ठहराए जाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
न्यायालय ने पाया कि 2010 में महिलाओं की चिकित्सा स्थिति को स्थायी कमीशन देने के लिए माना जाना चाहिए. न्यायालय ने कहा कि इन सभी महिलाओं ने राष्ट्र की सेवा की है और अभी भी सेवा कर रही हैं. वे आज दुख में हैं.
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सेना के वकील द्वारा इस तर्क पर कि यह चिकित्सा और शारीरिक मानकों को कमजोर करेगा, अदालत ने कहा कि यदि अधिकारी सालों तक मामले को नहीं खींचते तो महिलाएं फिट होतीं.
2011 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेना में महिलाओं के लिए स्थायी कमीशन का आदेश दिया था, लेकिन इसे सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने भी इस साल फरवरी में दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा और इस धारणा को खारिज कर दिया कि महिलाएं पुरुषों की तुलना में कमजोर हैं.