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रेप आरोपी की पहचान छिपाने की अपील, याचिका पर SC ने केन्द्र से मांगा जवाब - कुलदीप राय

रेप के आरोपी की पहचान सार्वजनिक नहीं की जाए. इससे संबंधित एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई है. कोर्ट ने केन्द्र सरकार से इस पर जवाब मांगा है. याचिका कर्ता का कहना है कि आरोप अगर साबित नहीं होता है, तो इससे उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचता है.

सुप्रीम कोर्ट फाइल फोटो
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Published : Jul 29, 2019, 7:51 PM IST

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज रेप के आरोपियों की पहचान को सार्वजनिक न करने वाली दो याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस दे कर जबाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि रेप के कई ऐसे मामलों में गलत रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी की पहचान सार्वजनिक होने पर उसकी सामजिक प्रतिष्ठा पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और बी आर गवई ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूरा विवरण फाइल करने के लिए कहा है.

बता दें, रीपक कंसल और यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. इस याचिका में कहा गया है कि महिलाओं या बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न और रेप जैसे कई मामलों में गलत रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी की पहचान सार्वजनिक होने से उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर गहरा धक्का लगता है, यह संविधान की ओर से मिले सम्मान के साथ समाज में रहने के अधिकार का उल्लंघन करता है. वैसे भी देश का कानून कहता है कि जब तक अदालत किसी को दोषी साबित नहीं करती, व्यक्ति को निर्दोष ही माना जाता है.

वकील सनप्रीत सिंह अजमानी और कुलदीप राय ने यूथ बार एशोसियसन आफ इंडिया की तरफ से याचिका दाखिल की है.

याचिका में कहा गया है कि गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए अपराधी की पहचान छिपाने के लिए जिससे किसी व्यक्ति को वह निर्दोष हो तो दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
वकील ने याचिका में कहा कि जब तक अपराध सिद्ध नहीं हो जाता है तब तक किसी भी व्यक्ति की पहचान सोशल मीडिया.प्रिन्ट मीडिया ,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उजागर नहीं करना चाहिए.

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याचिका में कहा गया कि कठिनाइयों से कमाया हुआ सम्मान का नुकसान होता है, इसकी भरपाई नहीं की जा सकती है.

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने आज रेप के आरोपियों की पहचान को सार्वजनिक न करने वाली दो याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस दे कर जबाब मांगा है. याचिका में कहा गया है कि रेप के कई ऐसे मामलों में गलत रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी की पहचान सार्वजनिक होने पर उसकी सामजिक प्रतिष्ठा पर गहरा प्रभाव पड़ता है.

सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय पीठ के न्यायाधीश शरद अरविंद बोबडे और बी आर गवई ने याचिका पर सुनवाई के दौरान सरकार से पूरा विवरण फाइल करने के लिए कहा है.

बता दें, रीपक कंसल और यूथ बार एसोसिएशन ऑफ इंडिया नाम की संस्था ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की है. इस याचिका में कहा गया है कि महिलाओं या बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न और रेप जैसे कई मामलों में गलत रिपोर्ट दर्ज होने पर आरोपी की पहचान सार्वजनिक होने से उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा पर गहरा धक्का लगता है, यह संविधान की ओर से मिले सम्मान के साथ समाज में रहने के अधिकार का उल्लंघन करता है. वैसे भी देश का कानून कहता है कि जब तक अदालत किसी को दोषी साबित नहीं करती, व्यक्ति को निर्दोष ही माना जाता है.

वकील सनप्रीत सिंह अजमानी और कुलदीप राय ने यूथ बार एशोसियसन आफ इंडिया की तरफ से याचिका दाखिल की है.

याचिका में कहा गया है कि गाइडलाइन बनाई जानी चाहिए अपराधी की पहचान छिपाने के लिए जिससे किसी व्यक्ति को वह निर्दोष हो तो दिक्कतों का सामना न करना पड़े.
वकील ने याचिका में कहा कि जब तक अपराध सिद्ध नहीं हो जाता है तब तक किसी भी व्यक्ति की पहचान सोशल मीडिया.प्रिन्ट मीडिया ,इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को उजागर नहीं करना चाहिए.

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