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माल्या की फर्म बंद करने के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज

न्यायमूर्ति यूयू ललित की अगुवाई वाली खंडपीठ ने माल्या की यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकार यूबी समूह की 102 वर्षीय पैरेंट कंपनी के समापन पर अपनी मुहर लगा दी है.

SC junks UBHL plea against HC order
पैरेंट कंपनी के समापन पर लगी मुहर
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Published : Oct 26, 2020, 4:57 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शराब कारोबारी विजय माल्या की यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) की याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें, विजय माल्या की इस कंपनी ने कर्नाटक हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी. इस याचिका में किंगफिसर एयरलाइंस लिमिटेड के बकाए की रिकवरी के लिए कंपनी को बंद करने पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ चुनौती दी गई थी.

यूबी समूह की 102 वर्षीय पैरेंट कंपनी के समापन पर लगी मुहर

न्यायमूर्ति यूयू ललित की अगुवाई वाली खंडपीठ ने माल्या की यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकार यूबी समूह की 102 वर्षीय पैरेंट कंपनी के समापन पर मुहर लगा दी है. सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के कंसोर्टियम का प्रतिनिधित्व करते हुए शीर्ष अदालत को सूचित किया कि अब तक लगभग 3,600 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है, लेकिन अभी भी माल्या और यूबीबीएल से 11,000 करोड़ रुपये वसूले जाने हैं.

बकाया राशि का निपटान करने को विभिन्न बैंकों को की पेशकश

रोहतगी ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कंपनी की संपत्तियों को कुर्क नहीं करना चाहिए था, क्योंकि ये एनक्मबर्ड संपत्तियां थीं और इस तरह बैंकों का संपत्तियों पर पहला दावा था. फरवरी 2018 में कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार यूबीएचएल का अपने लेनदारों का कुल बकाया लगभग 7,000 करोड़ रुपये है. 30 सितंबर को यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने अपनी बकाया राशि का निपटान करने के लिए विभिन्न बैंकों को 14,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी.

पढ़ें: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ब्रिटेन में माल्या मामले में चल रही गुप्त कार्यवाही, प्रत्यर्पण में हो रही देरी

सीनियर एडवोकेट ने पेश की थी दलील

यूनाइटेड ब्रेवरीज की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि चूंकि कंपनी की संपत्ति कुल ऋण से अधिक है, इसलिए कंपनी को बंद करने के आदेश देने का फैसला नहीं बनता. वैद्यनाथन ने जोर देकर कहा कि ईडी ने कंपनी की कई संपत्तियों को कुर्क किया था, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी संपत्ति बैंकों के लिए उपलब्ध नहीं थी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को शराब कारोबारी विजय माल्या की यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड (यूबीएचएल) की याचिका को खारिज कर दिया है. बता दें, विजय माल्या की इस कंपनी ने कर्नाटक हाई कोर्ट में यह याचिका दायर की थी. इस याचिका में किंगफिसर एयरलाइंस लिमिटेड के बकाए की रिकवरी के लिए कंपनी को बंद करने पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ चुनौती दी गई थी.

यूबी समूह की 102 वर्षीय पैरेंट कंपनी के समापन पर लगी मुहर

न्यायमूर्ति यूयू ललित की अगुवाई वाली खंडपीठ ने माल्या की यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग्स लिमिटेड कंपनी की याचिका को खारिज कर दिया है. देश की सर्वोच्च अदालत ने इस प्रकार यूबी समूह की 102 वर्षीय पैरेंट कंपनी के समापन पर मुहर लगा दी है. सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने एसबीआई की अगुवाई में बैंकों के कंसोर्टियम का प्रतिनिधित्व करते हुए शीर्ष अदालत को सूचित किया कि अब तक लगभग 3,600 करोड़ रुपये की वसूली की जा चुकी है, लेकिन अभी भी माल्या और यूबीबीएल से 11,000 करोड़ रुपये वसूले जाने हैं.

बकाया राशि का निपटान करने को विभिन्न बैंकों को की पेशकश

रोहतगी ने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को कंपनी की संपत्तियों को कुर्क नहीं करना चाहिए था, क्योंकि ये एनक्मबर्ड संपत्तियां थीं और इस तरह बैंकों का संपत्तियों पर पहला दावा था. फरवरी 2018 में कर्नाटक हाई कोर्ट के आदेश के अनुसार यूबीएचएल का अपने लेनदारों का कुल बकाया लगभग 7,000 करोड़ रुपये है. 30 सितंबर को यूनाइटेड ब्रेवरीज होल्डिंग लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि उसने अपनी बकाया राशि का निपटान करने के लिए विभिन्न बैंकों को 14,000 करोड़ रुपये की पेशकश की थी.

पढ़ें: केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया, ब्रिटेन में माल्या मामले में चल रही गुप्त कार्यवाही, प्रत्यर्पण में हो रही देरी

सीनियर एडवोकेट ने पेश की थी दलील

यूनाइटेड ब्रेवरीज की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट सीएस वैद्यनाथन ने शीर्ष अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया था कि चूंकि कंपनी की संपत्ति कुल ऋण से अधिक है, इसलिए कंपनी को बंद करने के आदेश देने का फैसला नहीं बनता. वैद्यनाथन ने जोर देकर कहा कि ईडी ने कंपनी की कई संपत्तियों को कुर्क किया था, जिसके परिणामस्वरूप कोई भी संपत्ति बैंकों के लिए उपलब्ध नहीं थी.

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