नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार को निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रूपए मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास प्रदान किया जाये.
बता दें कि बिल्किस बानो 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई थीं. इस घटना के समय बिल्किस पांच महीने की गर्भवती थी.
सोमवार को केस की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा, नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया.
पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 'कोई मुआवजा अभी तक क्यों नहीं दिया गया?'
मेहता ने पीठ से कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रूपए के मुआवजे का प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिये आवेदन दायर करेगी.
पीठ ने कहा, 'नहीं, आपने अभी तक मुआवजे का भुगतान क्यों नहीं किया? क्या हमें अपने आदेश में इसका जिक्र करना चाहिए कि इस मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मुआवजे का आदेश दिया गया है?'
मेहता ने इससे सहमति व्यक्त की लेकिन कहा कि उसे बानो को नौकरी उपलब्ध कराने के लिये कुछ और वक्त दिया जाये.
पीठ ने कहा, 'दो सप्ताह के समय की भी अब जरूरत नहीं है.'
सालिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा.
इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही बिल्किस बानो की अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है.
शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके अप्रैल के आदेश में बानो को 50 लाख रूपए का मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार को दिया गया था और पीठ ने किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में उसे न्यायालय आने की स्वतंत्रता प्रदान की थी.
बता दें कि शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि दो सप्ताह के भीतर बिल्किस बानो को मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाये.
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इससे पहले, बिल्किस बानो ने पांच लाख रुपए की पेशकश ठुकराते हुये शीर्ष अदालत में राज्य सरकार को ऐसी राशि का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जो नजीर बने.
अभियोजना के अनुसार गोधरा में फरवरी, 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में अग्निकांड की घटना के बाद भड़की हिंसा के दौरान तीन मार्च को उग्र भीड़ ने अहमदाबाद के निकट एक गांव में बिल्किस के परिवार पर हमला कर दिया था. इस हमले में गर्भवती बिल्किस से सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके परिवार के कुछ सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी.