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बिल्किस बानो को दो सप्ताह में मुआवजा, नौकरी और आवास दे गुजरात सरकार : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने दुष्कर्म पीड़िता बिल्किस बानो को 50 लाख का मुआवजा देने का आदेश दिया है. गुजरात सरकार को निर्देश देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि दो सप्ताह के भीतर निर्देशों का पालन किया जाए. जानें पूरा विवरण

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Sep 30, 2019, 7:32 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 3:27 PM IST

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार को निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रूपए मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास प्रदान किया जाये.

बता दें कि बिल्किस बानो 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई थीं. इस घटना के समय बिल्किस पांच महीने की गर्भवती थी.

सोमवार को केस की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा, नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया.

पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 'कोई मुआवजा अभी तक क्यों नहीं दिया गया?'

मेहता ने पीठ से कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रूपए के मुआवजे का प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिये आवेदन दायर करेगी.

पीठ ने कहा, 'नहीं, आपने अभी तक मुआवजे का भुगतान क्यों नहीं किया? क्या हमें अपने आदेश में इसका जिक्र करना चाहिए कि इस मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मुआवजे का आदेश दिया गया है?'

मेहता ने इससे सहमति व्यक्त की लेकिन कहा कि उसे बानो को नौकरी उपलब्ध कराने के लिये कुछ और वक्त दिया जाये.

पीठ ने कहा, 'दो सप्ताह के समय की भी अब जरूरत नहीं है.'

सालिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा.

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही बिल्किस बानो की अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है.

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके अप्रैल के आदेश में बानो को 50 लाख रूपए का मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार को दिया गया था और पीठ ने किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में उसे न्यायालय आने की स्वतंत्रता प्रदान की थी.

बता दें कि शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि दो सप्ताह के भीतर बिल्किस बानो को मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाये.

ये भी पढ़ें: 2002 गुजरात दंगे: SC का राज्य सरकार को आदेश, दुष्कर्म पीड़िता बिलकिस बानो को दे मुआवजा

इससे पहले, बिल्किस बानो ने पांच लाख रुपए की पेशकश ठुकराते हुये शीर्ष अदालत में राज्य सरकार को ऐसी राशि का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जो नजीर बने.

अभियोजना के अनुसार गोधरा में फरवरी, 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में अग्निकांड की घटना के बाद भड़की हिंसा के दौरान तीन मार्च को उग्र भीड़ ने अहमदाबाद के निकट एक गांव में बिल्किस के परिवार पर हमला कर दिया था. इस हमले में गर्भवती बिल्किस से सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके परिवार के कुछ सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी.

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बिलकिस बानो केस में गुजरात सरकार को निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा है कि बिल्किस बानो को दो सप्ताह के भीतर 50 लाख रूपए मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास प्रदान किया जाये.

बता दें कि बिल्किस बानो 2002 के गुजरात दंगों के दौरान बलात्कार की शिकार हुई थीं. इस घटना के समय बिल्किस पांच महीने की गर्भवती थी.

सोमवार को केस की सुनवाई के दौरान प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की पीठ ने गुजरात सरकार से सवाल किया कि शीर्ष अदालत के 23 अप्रैल के आदेश के बावजूद उसने अभी तक बिल्किस बानो को मुआवजा, नौकरी और आवास क्यों नहीं दिया.

पीठ ने सालिसीटर जनरल तुषार मेहता से पूछा, 'कोई मुआवजा अभी तक क्यों नहीं दिया गया?'

मेहता ने पीठ से कहा कि गुजरात के पीड़ितों को मुआवजा योजना में 50 लाख रूपए के मुआवजे का प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार अप्रैल के इस आदेश पर पुनर्विचार के लिये आवेदन दायर करेगी.

पीठ ने कहा, 'नहीं, आपने अभी तक मुआवजे का भुगतान क्यों नहीं किया? क्या हमें अपने आदेश में इसका जिक्र करना चाहिए कि इस मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुये मुआवजे का आदेश दिया गया है?'

मेहता ने इससे सहमति व्यक्त की लेकिन कहा कि उसे बानो को नौकरी उपलब्ध कराने के लिये कुछ और वक्त दिया जाये.

पीठ ने कहा, 'दो सप्ताह के समय की भी अब जरूरत नहीं है.'

सालिसीटर जनरल ने बाद में न्यायालय में यह आश्वासन दिया कि दो सप्ताह के भीतर पीड़ित को मुआवजे की राशि, नौकरी और आवास उपलब्ध करा दिया जायेगा.

इससे पहले, मामले की सुनवाई शुरू होते ही बिल्किस बानो की अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद गुजरात सरकार ने उसे अभी तक कुछ भी नहीं दिया है.

शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके अप्रैल के आदेश में बानो को 50 लाख रूपए का मुआवजा, नौकरी और रहने के लिये आवास उपलब्ध कराने का निर्देश सरकार को दिया गया था और पीठ ने किसी भी तरह की परेशानी की स्थिति में उसे न्यायालय आने की स्वतंत्रता प्रदान की थी.

बता दें कि शीर्ष अदालत ने 23 अप्रैल को राज्य सरकार को निर्देश दिया था कि दो सप्ताह के भीतर बिल्किस बानो को मुआवजे की राशि का भुगतान किया जाये.

ये भी पढ़ें: 2002 गुजरात दंगे: SC का राज्य सरकार को आदेश, दुष्कर्म पीड़िता बिलकिस बानो को दे मुआवजा

इससे पहले, बिल्किस बानो ने पांच लाख रुपए की पेशकश ठुकराते हुये शीर्ष अदालत में राज्य सरकार को ऐसी राशि का भुगतान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था जो नजीर बने.

अभियोजना के अनुसार गोधरा में फरवरी, 2002 में साबरमती एक्सप्रेस के डिब्बों में अग्निकांड की घटना के बाद भड़की हिंसा के दौरान तीन मार्च को उग्र भीड़ ने अहमदाबाद के निकट एक गांव में बिल्किस के परिवार पर हमला कर दिया था. इस हमले में गर्भवती बिल्किस से सामूहिक बलात्कार किया गया और उसके परिवार के कुछ सदस्यों की हत्या कर दी गयी थी.

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SC-BILKIS
2002 riots: SC asks Gujarat to give compensation, job & accommodation to Bilkis Bano within 2 weeks
         New Delhi, Sep 30 (PTI) The Supreme Court on Monday directed the Gujarat government to give within two weeks Rs 50 lakh compensation, a job and an accommodation of choice to Bilkis Bano, who was gang raped when she was five months pregnant during the 2002 riots in the state.
          A bench headed by Chief Justice Ranjan Gogoi asked the Gujarat government as to why it has not given the compensation, job and accommodation to Bilkis despite the apex court's April 23 order.
          Solicitor General Tushar Mehta, appearing for the state, told the bench that compensation of Rs 50 lakh was not provided in the victim compensation scheme of Gujarat and they would also file a plea seeking review of the top court's April order.
          "Should we note in the order that the compensation has been ordered keeping in view the peculiar facts of the case," the bench, also comprising justices S A Bobde and S A Nazeer, observed and asked the state government to give the compensation, job and accommodation to Bilkis within two weeks.
          Later, Mehta gave an undertaking in the court that the compensation, job and accommodation would be given to her within two weeks. PTI ABA MNL SJK LLP
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Last Updated : Oct 2, 2019, 3:27 PM IST

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