नई दिल्ली : माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने शुक्रवार को कहा कि चुनावी बॉन्ड के संबंध में उच्चतम न्यायालय के फैसले ने राजनीतिक दलों को मिलने वाली दान राशि की पारदर्शिता को नुकसान पहुंचाने की भाजपा की कोशिश नाकाम कर दी है.
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Supreme Court demolishes stance taken by Modi, Jaitley & BJP - which had pushed this as a Money bill, for opaque, secret Electoral bonds. The court says transparency is the basic principle of electoral funding. People have a right to know which party got how much, and from whom. https://t.co/2Nf5zU06jX
— Sitaram Yechury (@SitaramYechury) April 12, 2019 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
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येचुरी ने ट्वीट कर कहा, ‘उच्चतम न्यायालय ने गोपनीय चुनावी बॉन्ड का कानून बनाने वाले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और भाजपा की पहल को ध्वस्त कर दिया है. अदालत ने कहा है कि पारदर्शिता चुनावी चंदे का मूल आधार है. जनता को यह जानने का अधिकार है कि किस दल को कहां से कितना पैसा दान में मिला है.’
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Our armed Forces are performing their designated duty in a democratic setup. When their name is misused by the ruling party, it diminishes the Forces & corrodes our democracy. Strictest possible disciplinary action against the ruling party, its leaders is the only way to end this pic.twitter.com/Bh8izMSto2
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उन्होंने कहा कि चुनावी बॉन्ड में दानदाता की पहचान उजागर नहीं करने का प्रावधान लागू करने की भाजपा की कोशिश नाकाम होने की राह पर है.
येचुरी ने कहा, ‘कालेधन के रास्ते दान देने वाले अब इस राह को अपनाने से डरेंगे. आज चुनाव आयोग को दान का ब्योरा मिलेगा कल यह ब्योरा जनता की पहुंच में होगा.’
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गौरतलब है कि राजनीतिक दलों की फंडिंग के लिए केंद्र सरकार की इलेक्टॉरल बॉन्ड स्कीम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला दिया है. अब राजनीतिक दलों को चंदा देने से संबंधित चुनावी बॉन्ड पर रोक नहीं लगेगी. कोर्ट ने कहा कि ऐसे सभी दल, जिनको चुनावी बॉन्ड के जरिए चंदा मिला है, वो सील कवर में चुनाव आयोग को ब्योरा देंगे.
सेना के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा राष्ट्रपति को पत्र लिख कर राजनीतिक लाभ के लिये सेना के पराक्रम का इस्तेमाल करने पर नाराजगी जताने के मामले में येचुरी ने कहा, ‘लोकतांत्रिक व्यवस्था में हमारे सैन्य बल अपने निर्धारित दायित्वों का निर्वाह कर रहे हैं. जब सत्तारूढ़ दल उनके नाम का दुरुपयोग करेगा तो इससे सेना और लोकतंत्र का स्तर गिरेगा.’
येचुरी ने कहा कि इस मामले में सत्तारूढ़ दल के नेताओं के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई ही इसका एकमात्र समाधान है. उल्लेखनीय है कि सेना के लगभग 150 पूर्व अधिकारियों ने राष्ट्रपति को एक कथित पत्र लिखकर लोकसभा चुनाव में सेना के पराक्रम का राजनीतिक लाभ के लिये इस्तेमाल किये जाने की शिकायत की है.