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लोन मोरेटोरियम मामला 5 अक्टूबर तक के लिए टला - extension of moratorium period

शीर्ष अदालत ने टाली गई किस्तों पर ब्याज लेने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा.

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लोन पर ब्याज माफी और अधिस्थगन याचिका पर पांच अक्टूबर को होगी सुनवाई
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Published : Sep 28, 2020, 1:47 PM IST

नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऋण की किस्त टालने की अवधि के दौरान बैंकों द्वारा ब्याज वसूलने पर 2-3 दिन में फैसला होने की संभावना है.

शीर्ष अदालत ने टाली गई किस्तों पर ब्याज लेने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा.

केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि इस मामले में बहुत गंभीरता के साथ विचार किया गया है और निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहद उन्नत स्तर पर है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह विभिन्न उद्योगों, व्यापार संघों और व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई पांच अक्टूबर को करेगी.

पीठ ने कहा, 'हम सोमवार (पांच अक्टूबर) को मामले की सुनवाई करेंगे. आपकी जो भी नीति है, जो भी आप चाहते हैं, उसे बताइए. हम इस मामले को सोमवार को सुनेंगे. हम आगे कोई स्थगन नहीं चाहते हैं. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायामूर्ति एमआर शाह भी शामिल हैं.

पढ़ें : सुप्रीम कोर्ट ने यूपीएससी और केंद्र को नोटिस जारी किया

पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान को दर्ज किया. मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार सक्रियता के साथ विचार कर रही है और इस पर दो-तीन दिनों के भीतर फैसला होने की संभावना है.

पीठ ने कहा कि मेहता गुरुवार तक संबंधित पक्षों को हलफनामा देने का प्रयास करें, ताकि इस मामले की सुनवाई पांच अक्टूबर को हो.

इससे पहले मेहता ने कहा कि कई आर्थिक मुद्दे सरकार के विचाराधीन हैं.

पीठ ने कहा, सरकार द्वारा लिए गए फैसले को हलफनामे के साथ रिकॉर्ड में लाया जाना चाहिए.

नई दिल्ली : केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि कोविड-19 महामारी के मद्देनजर ऋण की किस्त टालने की अवधि के दौरान बैंकों द्वारा ब्याज वसूलने पर 2-3 दिन में फैसला होने की संभावना है.

शीर्ष अदालत ने टाली गई किस्तों पर ब्याज लेने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र से निर्णय को रिकॉर्ड में लाने और संबंधित पक्षकारों को हलफनामा देने को कहा.

केंद्र ने शीर्ष अदालत को बताया कि इस मामले में बहुत गंभीरता के साथ विचार किया गया है और निर्णय लेने की प्रक्रिया बेहद उन्नत स्तर पर है.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह विभिन्न उद्योगों, व्यापार संघों और व्यक्तियों द्वारा दायर याचिका की सुनवाई पांच अक्टूबर को करेगी.

पीठ ने कहा, 'हम सोमवार (पांच अक्टूबर) को मामले की सुनवाई करेंगे. आपकी जो भी नीति है, जो भी आप चाहते हैं, उसे बताइए. हम इस मामले को सोमवार को सुनेंगे. हम आगे कोई स्थगन नहीं चाहते हैं. इस पीठ में न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायामूर्ति एमआर शाह भी शामिल हैं.

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पीठ ने केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता के बयान को दर्ज किया. मेहता ने कहा कि इस मुद्दे पर सरकार सक्रियता के साथ विचार कर रही है और इस पर दो-तीन दिनों के भीतर फैसला होने की संभावना है.

पीठ ने कहा कि मेहता गुरुवार तक संबंधित पक्षों को हलफनामा देने का प्रयास करें, ताकि इस मामले की सुनवाई पांच अक्टूबर को हो.

इससे पहले मेहता ने कहा कि कई आर्थिक मुद्दे सरकार के विचाराधीन हैं.

पीठ ने कहा, सरकार द्वारा लिए गए फैसले को हलफनामे के साथ रिकॉर्ड में लाया जाना चाहिए.

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