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सुप्रीम कोर्ट ने एससी, एसटी को नौकरियों में पदोन्नति देने वाली मांग वाली याचिका को स्थगित किया

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Published : Feb 7, 2020, 8:29 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 1:43 PM IST

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में पदोन्नति और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए क्रीमी लेयर के आरक्षण की मांग करने वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने स्थगित कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में पदोन्नति और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए क्रीमी लेयर को आरक्षण के मांग करने वाली याचिका को स्थगित कर दिया.

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में, भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ के सामने इस मामले का उल्लेख करते हुए इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने की मांग की थी.

इससे पहले भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आ चुका है, जहां अदालत ने फैसला सुनाया था कि एससी और एससी की क्रीमी लेयर को आरक्षण का अधिकार नहीं होना चाहिए और इसका लाभ सबसे गरीब लोगों तक पहुंचना चाहिए.

2006 में शीर्ष अदालत ने नागराज मामले में फैसला सुनाया था कि क्रीमी लेयर को एससी एसटी आरक्षण से बाहर रखा जाना चाहिए. जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आरक्षण का लाभ गरीब लोगों को मिले.

पढ़ें- कोयला घोटाला : SC सोमवार को करेगा विशेष वकील के नाम पर विचार

2018 में भी अटॉर्नी जनरल ने इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट इस पर सहमत नहीं हुई थी.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को नौकरियों में पदोन्नति और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए क्रीमी लेयर को आरक्षण के मांग करने वाली याचिका को स्थगित कर दिया.

बता दें कि पिछले साल दिसंबर में, भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे के नेतृत्व वाली पीठ के सामने इस मामले का उल्लेख करते हुए इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने की मांग की थी.

इससे पहले भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट के सामने आ चुका है, जहां अदालत ने फैसला सुनाया था कि एससी और एससी की क्रीमी लेयर को आरक्षण का अधिकार नहीं होना चाहिए और इसका लाभ सबसे गरीब लोगों तक पहुंचना चाहिए.

2006 में शीर्ष अदालत ने नागराज मामले में फैसला सुनाया था कि क्रीमी लेयर को एससी एसटी आरक्षण से बाहर रखा जाना चाहिए. जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि आरक्षण का लाभ गरीब लोगों को मिले.

पढ़ें- कोयला घोटाला : SC सोमवार को करेगा विशेष वकील के नाम पर विचार

2018 में भी अटॉर्नी जनरल ने इस मामले को एक बड़ी पीठ के पास भेजने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन कोर्ट इस पर सहमत नहीं हुई थी.

Intro:The Supreme Court today adjourned the petition seeking for application of creamy layer concept to the Schedule caste and schedule tribe in promotion of jobs and admission in educational institutions.


Body:In December last year, the Attorney General of India KK Venugopal had mentioned the matter before the Chief Justice of India SA Bobde led bench seeking to refer the matter of exclusion of SC ST from creamy layer concept to the larger bench.

Earlier also this matter has come up before the Supreme court where the court had ruled that creamy layer of SC and SC should not be entitled to reservations and the benefits should reach the poorest of them.

In 2006 the apex court had ruled in Nagraj case that creamy layer must be excluded from SC ST reservations. This would ensure benefits reach the poorest of them.

In 2018 also the AG had approached the court to refer the matter to a larger bench but the court hadn't agreed upon.


Conclusion:
Last Updated : Feb 29, 2020, 1:43 PM IST
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