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भारत ने एंटी-टैंक मिसाइल 'सैंट' का सफल परीक्षण किया

भारत ने आज ओडिशा के तट से दूर एंटी-टैंक (SANT) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया.

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Published : Oct 19, 2020, 10:47 PM IST

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भुवनेश्वर : भारत ने आज ओडिशा के तट से दूर एंटी-टैंक (SANT) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. सोमवार को सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा मिसाइल विकसित की जा रही है. बताया जा रहा है कि यह मिसाइल लॉन्च के बाद लॉक-ऑन और लॉन्च से पहले लॉक-ऑन दोनों तरह की क्षमताओं से लैस होगी.

इससे पहले भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक नौसेना प्रारूप का भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित एक विध्वंसक पोत से रविवार को अरब सागर में सफल परीक्षण किया था.परीक्षण के दौरान इस मिसाइल 'आईएनएस चेन्नई' विध्वंसक पोत से दागी गई और इसने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेद दिया था.

रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, ‘ब्रह्मोस प्रमुख हमलावर शस्त्र’ के रूप में लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद कर युद्ध पोत की अपराजेयता को सुनिश्चित करेगा, इस तरह विध्वंसक युद्ध पोत भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म बन जाएगा.'

ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत-रूस का संयुक्त उद्यम है. यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन कर रहा है, जो पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन से दागी जा सकती हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सप्ताह में भारत ने कई मिसाइलों का परीक्षण किया है, जिनमें सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-1 शामिल हैं.

इसके अलावा भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य का भी परीक्षण किया.

रूद्रम-1 के सफल परीक्षण को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यह भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है.

साथ ही भारत ने बीते 30 सितंबर को ब्रह्मोस के सतह से सतह पर मार करने वाले नये प्रारूप का सफल परीक्षण किया था. इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी (जो मूल रूप से थी) से बढ़ाकर 400 किमी की दूरी तक की गई.

भुवनेश्वर : भारत ने आज ओडिशा के तट से दूर एंटी-टैंक (SANT) मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया. सोमवार को सूत्रों ने इस बात की जानकारी दी.

सूत्रों ने बताया कि भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा मिसाइल विकसित की जा रही है. बताया जा रहा है कि यह मिसाइल लॉन्च के बाद लॉक-ऑन और लॉन्च से पहले लॉक-ऑन दोनों तरह की क्षमताओं से लैस होगी.

इससे पहले भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के एक नौसेना प्रारूप का भारतीय नौसेना के स्वदेश निर्मित एक विध्वंसक पोत से रविवार को अरब सागर में सफल परीक्षण किया था.परीक्षण के दौरान इस मिसाइल 'आईएनएस चेन्नई' विध्वंसक पोत से दागी गई और इसने लक्ष्य को पूरी सटीकता से भेद दिया था.

रक्षा मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है, ‘ब्रह्मोस प्रमुख हमलावर शस्त्र’ के रूप में लंबी दूरी पर स्थित लक्ष्य को भेद कर युद्ध पोत की अपराजेयता को सुनिश्चित करेगा, इस तरह विध्वंसक युद्ध पोत भारतीय नौसेना का एक और घातक प्लेटफार्म बन जाएगा.'

ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत-रूस का संयुक्त उद्यम है. यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन कर रहा है, जो पनडुब्बी, जहाज, विमान या जमीन से दागी जा सकती हैं.

उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ सप्ताह में भारत ने कई मिसाइलों का परीक्षण किया है, जिनमें सतह से सतह पर मार करने वाली सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस और एंटी रेडिएशन मिसाइल रूद्रम-1 शामिल हैं.

इसके अलावा भारत ने परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम हाइपरसोनिक मिसाइल शौर्य का भी परीक्षण किया.

रूद्रम-1 के सफल परीक्षण को एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है क्योंकि यह भारत का प्रथम स्वदेश विकसित एंटी रेडिएशन हथियार है.

साथ ही भारत ने बीते 30 सितंबर को ब्रह्मोस के सतह से सतह पर मार करने वाले नये प्रारूप का सफल परीक्षण किया था. इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किमी (जो मूल रूप से थी) से बढ़ाकर 400 किमी की दूरी तक की गई.

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