चेन्नई : कहते हैं दृढ़ संकल्प और कुछ करने का जूनून हो, तो बंजर जमीन में भी पौधा उगाया जा सकता है. इस कहावत को तमिलनाडु के एक सफाईकर्मी परमेश्वरी ने सही साबित कर दिखाया है. उन्होंने वैथेश्वरन कोविल के मंदिर शहर (temple town) में एक विशाल कचरा डंप यार्ड को उन्होंने हरे भरे मैदान में बदल दिया है.
दिलचस्प बात यह है कि वह शहर की मूल निवासी नहीं हैं. वह नागरिक निकाय अनुबंध पर काम करने वाले अपने पति के साथ यहां आई और बाद में यहीं बस गईं. आर्थिक मजबूरी के कारण किराए पर आवास नहीं ले सके और युगल डंप यार्ड के करीब एक कोने में रहने लगा. खैर, इसने परमेश्वरी के जुनून को कम नहीं होने दिया था और इसका परिणाम सबके सामने है.
बंजर भूमि को पहले कचरे के ढेर में बदला गया था, जिसे परमेश्वरी हर रोज देख रही थी, लेकिन वह इस कूड़े को देखकर निराश नहीं हो रही थी बल्कि एक अवसर के रूप में देख रही थी. उसने वहां पहले छोटे पैमाने पर खेती की और धीरे धारे उसे हरे मैदान में तबदील कर दिया.
परमेश्वरी और उनके पति, दोनों सैनिटरी कर्मचारी हैं, वह किराए पर अपने लिए मकान नहीं ले सकती. उनके पति डंप यार्ड के चौकीदार के रूप में कार्यरत रहे हैं, जहां कचरे को अलग किया जाता है और जैविक उर्वरक में पुनर्नवीनीकरण किया जाता है. इस कारण नागरिक निकाय के कार्यकारी अधिकारी ने युगल को डंप यार्ड में रहने की अनुमति दी थी क्योंकि वहां एक चौकीदार की आवश्यकता थी.
डंप यार्ड में रहने से उनकी प्रेरणा कम नहीं हुई. बल्कि उन्होंने विशाल भूमि में बागवानी करने का फैसला किया और पेड़ लगाना और खेती भी शुरू कर दी.
पढ़ें- इस गांव के लोग कर रहे राम की प्रतिमा स्थापित करने का विरोध
उन्होंने कहा कि मुझे हमेशा से ही खेती करने और पेड़ उगाने में दिलचस्पी थी. एक दिन, मुझे यह विचार आया कि यहां की बंजर भूमि पर क्यों न खेती की जाए. अगले दिन, मैं कुदाली लेकर गई और एक छोटे से क्षेत्र को समतल कर दिया. फिर, मैंने मक्का बोया, जिसमें बहुत कम पानी की आवश्यकता होती है.
नगर पंचायत में अपना काम पूरा करने के बाद, मैं पौधों को पानी देने लगी और जल्द ही फसल तैयार हो जाएगी.
उसके काम को प्रोत्साहित करते हुए, कार्यकारी अधिकारी ने उसे एक इलेक्ट्रिक पंखा भेंट किया है.
उनके इस काम से तमिलनाडु के स्थानीय प्रशासन मंत्री एसपी वेलुमनी काफी प्रभावित हुए. उन्होंने परमेश्वरी के कार्य की सरहाना की.