श्रीनगर : सईद अरिज को लोग माडर्न लाडीशाह के नाम से जानते हैं. लाडीशाह को सामुदायिक संचार का सबसे अच्छा साधन माना जाता था. इसमें न कोई ड्रामा है और न ही कोई छिपा हुआ एजेंडा.
लोककथाओं के अनुसार लदीशाह सरकार की पहल के बारे में जनता को सूचित करने के लिए घर-घर जाते थे. महाराजा डोगरा के शासन काल में ऐसा होता था. इसमें एक व्यक्ति पारंपरिक परिधान के साथ गीतों को अलग-अलग बेहद रोचक तरीकों से प्रस्तुत करता है.
यह तो बस एक साधारण स्थानीय (देशी कश्मीर) भाषा की जानकारी मात्र है. ईटीवी भारत से बात करते हुए माडर्न लाडीशाह आरिज ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) को रद करने और राजनीतिक कैदियों की रिहाई से जुड़े अभियान के दौरान लोकगीत का प्रयोग किया.
उन्होंने कहा कि मैं कश्मीरी परंपरा को पुनर्जीवित और अपनी भावनाओं को साझा करना चाहती थी. कश्मीर के लोगों के साथ इसे अनुभव करना चाहती थी.
उन्होंने कहा कि उनके परिवार ने हमेशा से उनका साथ दिया है.
आरिज कश्मीरी पत्रकारों पर गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) को रद करने की मांग करते हुए अपने वीडियो के कारण सुर्खियों में आ गईं.
2.57 मिनट के वीडियो में अरीज ने पत्रकारों पर लगाए गए कड़े कानून पर करारा प्रहार किया है और उस पर टिप्पणी करते हुए उसे खूबसूरती से व्यक्त किया है.