मॉस्को : भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ मॉस्को में चल रही बैठक खत्म हो गई है. ऐसी संभावना जताई जा रही है कि बैठक में कई मुद्दों के साथ दोनों देशों के बीच जारी तनाव को लेकर चर्चा की गई है. बैठक में रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी शामिल रहें.
विदेश मंत्री ने आज रूस की राजधानी मास्को में आठ सदस्यीय शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लिया. बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी और रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भी शामिल रहें.
यह एससीओ विदेश मंत्रियों की तीसरी बैठक थी जिसमें भारत ने पूर्ण सदस्य के रूप में भाग लिया.
जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए रूस की चार दिवसीय यात्रा पर यहां आए हैं.
इससे पहले 2018 में 23-24 अप्रैल को बीजिंग और 2019 में 21-22 मई को बिश्केक (किर्गिज गणराज्य) में दो बैठकों का आयोजन किया गया था.
आपको बता दें कि रूस, चीन, किर्गीज गणराज्य, कजाखस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपतियों ने 2001 में शंघाई में हुए एक शिखर सम्मेलन में एससीओ की स्थापना की थी.
भारत और पाकिस्तान को 2005 में पर्यवेक्षकों के तौर पर इस समूह में शामिल किया गया था. दोनों ही देशों को 2017 में इस संगठन के पूर्ण सदस्य के तौर पर शामिल किया गया.
उज्बेकिस्तान-कजाखस्तान के समकक्षों से मुलाकात
वहीं विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उज्बेकिस्तान के अपने समकक्ष अब्दुल अजीज कामिलोव और कजाखस्तान के अपने समकक्ष मुख्तार तिलेउबर्दी के साथ मॉस्को में अलग-अलग बैठकें कीं और क्षेत्रीय चिंताओं एवं सुरक्षा के मामलों पर मध्य एशियाई देशों के साथ सहयोग पर सहमति जताई.
जयशंकर ने ट्वीट किया कि उज्बेकिस्तान के विदेश मंत्री के साथ सौहार्दपूर्ण बैठक से दिन की शुरुआत की.
उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय चिंताओं से निबटने के लिए करीबी समन्वय स्थापित करने पर सहमति जताई. हम हमारी बढ़ती विकास साझेदारी को आगे लेकर जाएंगे. मैं मध्य एशिया मामलों में उज्बेकिस्तान की अहम भूमिका की सराहना करता हूं.
ताशकंद में भारतीय दूतावास ने कहा कि उज्बेकिस्तान और भारत के संबंध काफी पुराने हैं. संस्कृत और पाली साहित्य में कम्बोज का कई बार जिक्र किया गया है. ऐसा बताया जताया है कि कम्बोज में मौजूदा उज्बेकिस्तान के हिस्से शामिल थे. शक समुदाय ने कौरवों के पक्ष में महाभारत में भाग लिया था. प्राचीन व्यापार मार्ग उत्तरापथ उज्बेकिस्तान से होकर जाता था.
सोवियत काल में उज्बेकिस्तान से भारत का निकट संवाद था. भारतीय नेता ताशकंद और अन्य स्थानों पर कई बार गए. पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का पाकिस्तान के साथ ताशकंद घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर के बाद 11 जनवरी, 1966 को ताशकंद में निधन हुआ था.
कामिलोव से मुलाकात के बाद जयशंकर ने तिलेउबर्दी के साथ बैठक की.
जयशंकर ने ट्वीट किया कि एससीओ शिखर सम्मेलन से पहले कजाखस्तान के अपने समकक्ष से मुलाकात करके खुशी हुई.
उन्होंने कहा कि हमने व्यापार और ऊर्जा क्षेत्र में आदान-प्रदान पर चर्चा की. हम शांतिरक्षा के मामले पर निकटता से काम करना और क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा पर सहयोग करना जारी रखेंगे.
भारत और कजाखस्तान के बीच संबंध 2,000 साल से भी अधिक पुराने हैं. कजाखस्तान ने दिसंबर 1991 में अपनी स्वतंत्रता की घोषणा की थी और भारत इसे सबसे पहले मान्यता देने वाले देशों में शामिल है.
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध फरवरी 1992 में स्थापित किए गए थे.
किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के समकक्षों से मुलाकात
इससे पहले, जयशंकर ने बुधवार को यहां किर्गिस्तान और ताजिकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ अलग-अलग द्विपक्षीय बैठकें कीं थीं और दोनों मध्य एशियाई देशों के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी को और अधिक मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा की थी.