नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की इकाई संस्कृत भारती ने कहा है कि वो सरकार से मांग करेगी कि नई शिक्षा प्रणाली में संस्कृत को विशेष जगह दी जाए.
संस्कृत भारती दिल्ली में दो दिवसीय विश्वसम्मेलन का आयोजन कर रही है जिसमें उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू , गृह मंत्री अमित शाह, शिक्षा मंत्री समेत कई केंद्रीय मंत्री बतौर मुख्य अतिथि अलग अलग सत्रों में मौजूद रहेंगे.
दो दिवसीय आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख शिरीष भेडसगावकर ने बताया कि दो दिवसीय कार्यक्रम में कुल 17 देशों से प्रतिनिधि आये हैं.
आयोजन का उद्देश्य देश के साथ साथ पूरे विश्व में संस्कृत भाषा का प्रचार प्रसार कैसे हो और लोग अपने दैनिक जीवन में संस्कृत भाषा को कैसे सम्मिलित करें इस पर चर्चा होगी.
इसके साथ ही कई तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये गए हैं.
संस्कृत भाषा को आने वाली नई शिक्षा प्रणाली में अनिवार्य रूप से सम्मिलित करने के सवाल पर संस्कृत भारती के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख ने कहा कि वो जरूर इस बात को शिक्षा मंत्री के समक्ष रखेंगे की संस्कृत भाषा को सम्माननीय स्थान मिले.
गौरतलब है कि संघ लगातार संस्कृत भाषा को आगे बढ़ाने के लिये अग्रसर रहा है. ऐसे में ये दो दिवसीय विश्व सम्मेलन जो संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार पर ही आधारित है इसे एक अहम आयोजन के रूप में देखा जा रहा है.
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पहले ये कार्यक्रम हर तीन साल पर आयोजित होता था, जिसमें देश भर से संस्कृत भारती से जुड़े कार्यकर्ता शामिल होते थे लेकिन ऐसा पहली बार हो रहा है जब विश्व के 17 देशों से भी कार्यायकर्ता इस महाआयोजन में शामिल हो रहे हैं.
इस तरह से इसे आरएसएस की इकाई के शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखा जा रहा है.