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रिटायर्ड इंजीनियर ने पेश की मिसाल, घर को बनाया अस्पताल

जबलपुर के एक शख्स ने अपनी पत्नी के लिए घर को हॉस्पिटल में तब्दील कर दिया. जहां ऑक्सीजन सिलेंडर से लेकर वेंटिलेटर तक सब कुछ मौजूद है. दिलचस्प बात यह है कि घर को हॉस्पिटल में तब्दील करने वाला शख्स उसका मैनेजमेंट भी संभाल रहा है. यह शख्स कोई क्वालीफाइड डॉक्टर नहीं, बल्कि एक रिटायर्ड इंजीनियर हैं. ईटीवी भारत ने उनसे खास बातचीत की और उनके घर का मुआयना भी किया. देखिए यह स्पेशल रिपोर्ट.

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Published : Oct 9, 2020, 10:19 PM IST

retired engineer gyan prakash converted his house into a hospital for sick wife
कोरोना काल में बुजुर्ग ने पेश की अनूठी मिसाल

जबलपुर : मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाले 74 साल के बुजुर्ग ने पति-पत्नी के प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है. पत्नी के बीमार होने पर पति ने पूरे घर को अस्पताल में ही तब्दील कर दिया है. जहां वेंटिलेटर से लेकर आईसीयू वार्ड तक सब कुछ मौजूद है. खास बात यह है कि यह शख्स न तो कोई डॉक्टर है और न ही मेडिकल लाइन से इनकी फैमली जुड़ी है. इसके बाद भी रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश ने पत्नी को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के लिए घर को अस्पताल बना डाला. आश्चर्य की बात यह है कि 74 साल के ज्ञान प्रकाश खुद उसका मैनेजमेंट संभालते हैं.

कोरोना काल में बुजुर्ग ने पेश की अनूठी मिसाल

रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश जबलपुर के जीसीएफ क्वार्टर हाउसिंग सोसायटी अधारताल में रहते हैं. उन्होंने अपनी बीमार पत्नी कुमुदिनी श्रीवास्तव के लिए घर में ही आईसीयू वार्ड बना दिया है. चार साल पहले ज्ञान प्रकाश की पत्नी कुमुदिनी श्रीवास्तव को सांस लेने में हल्की समस्या हुई. इसके बाद उन्होंने अस्पतालों के चक्कर लगाना शुरू किए. उनकी पत्नी को 'रेस्पिरेट्री फैलियर नारकोसिस' नाम की बीमारी है. इस वजह से कुमुदिनी सही तरीके से सांस नहीं ले पातीं और उन्हें इंफेक्शन का भी डर बना रहता है.

ज्ञान प्रकाश के बच्चे विदेश में नौकरी करते हैं. ज्ञान प्रकाश ने अस्पतालों के महंगे बिल और व्यवस्था से परेशान होकर तय किया कि वह घर में ही एक आईसीयू वार्ड बनाएंगे. लिहाजा उन्होंने वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट, सैनिटाइजर जैसी आईसीयू में मिलने वाली तमाम सुविधाएं अपने बेडरूम में लगा ली हैं.

क्या-क्या हैं सुविधाएं?

  • पूरे घर में ऑक्सीजन लाइन पड़ी हुई है, ताकि यदि उनकी पत्नी को बेडरूम से बाहर भी निकलना है तो पूरे घर में उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट मिल सके.
  • घर में ही पानी को सैनिटाइज करने के लिए एक सिस्टम लगाया गया है.
  • 24 घंटे बिजली की व्यवस्था बनाए रखने को सोलर सिस्टम लगाया गया है.
  • कार को भी एंबुलेंस जैसा मॉडिफाई किया गया है.
  • एक अत्याधुनिक वेंटिलेटर लेकर आए हैं, जिसे उन्होंने अपनी पत्नी के हिसाब से मॉडिफाई करवाया है और बीते 1 साल से लगातार इस मिनी आईसीयू वार्ड में वे अपनी पत्नी को सेवाएं दे रहे हैं.

ट्रेंड नर्स का भी ले रहे साथ
रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश कहते हैं कि हॉस्पिटल में मरीज के इंफेक्शन के चांस ज्यादा हैं, लेकिन घर पर ऐसा कुछ भी नहीं है. हां, कभी-कभी इमरजेंसी में अस्पताल जाना पड़ता है, लेकिन अभी हॉस्पिटल से ज्यादा अच्छे तरीके से वो घर पर अपनी वाइफ की देखभाल कर पा रहे हैं. हालांकि उन्होंने अस्पताल की एक ट्रेंड नर्स को भी अपने साथ में रखा हुआ है.

नर्स ने कहा- मिलता है सुकून
इस मामले पर सीनियर नर्स का कहना है कि उन्होंने कई बड़े अस्पतालों में काम किया है, लेकिन इस मिनि आईसीयू वार्ड में काम करके उन्हें बड़ा सुकून मिल रहा है. उन्होंने कहा कि यहां पर अस्पतालों जैसी लूटपाट की बात है. नर्स ने कहा कि रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश के घर में परिजन मरीज को पूरा समय दे पाते हैं और मरीज भी एक अच्छी जिंदगी जी सकता है. रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश के मिनी आईसीयू में धीरे-धीरे वह सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, जो शहर के बड़े अस्पतालों में 10 से 15 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब पर उपलब्ध होती हैं.

रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं पत्नी
कुमुदिनी श्रीवास्तव खुद रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं और ज्ञान प्रकाश इंजीनियर से रिटायर हुए हैं. उन्होंने इसके पहले भी हेलमेट और मोटरसाइकिल के डिजाइन पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी और उन्हीं की वजह से मोटरसाइकिल के डिजाइन में बदलाव हुआ है और हेलमेट की उपयोगिता पर हाईकोर्ट ने आदेश दिए. अब यह नया प्रयोग लोगों को पसंद आता है, तो इस तरह के मिनी आईसीयू वार्ड कई घरों में दिखेंगे.

कोरोना काल में पेश किया आदर्श उदाहरण
कोरोना के संकट काल में जब अस्पतालों में बिस्तर नहीं हैं और अस्पताल जाने से भी आम आदमी डर रहा है. ऐसे हालात में यदि लोग अपने घरों में महंगे डाइनिंग रूम, महंगे बेडरूम के साथ एक मिनी आईसीयू वार्ड का निर्माण भी कर लें, तो घर की उपयोगिता ज्यादा साबित हो सकती है, ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने इसका उदाहरण पेश किया है.

जबलपुर : मध्य प्रदेश के जबलपुर में रहने वाले 74 साल के बुजुर्ग ने पति-पत्नी के प्रेम की अनूठी मिसाल पेश की है. पत्नी के बीमार होने पर पति ने पूरे घर को अस्पताल में ही तब्दील कर दिया है. जहां वेंटिलेटर से लेकर आईसीयू वार्ड तक सब कुछ मौजूद है. खास बात यह है कि यह शख्स न तो कोई डॉक्टर है और न ही मेडिकल लाइन से इनकी फैमली जुड़ी है. इसके बाद भी रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश ने पत्नी को अच्छी स्वास्थ्य सेवा देने के लिए घर को अस्पताल बना डाला. आश्चर्य की बात यह है कि 74 साल के ज्ञान प्रकाश खुद उसका मैनेजमेंट संभालते हैं.

कोरोना काल में बुजुर्ग ने पेश की अनूठी मिसाल

रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश जबलपुर के जीसीएफ क्वार्टर हाउसिंग सोसायटी अधारताल में रहते हैं. उन्होंने अपनी बीमार पत्नी कुमुदिनी श्रीवास्तव के लिए घर में ही आईसीयू वार्ड बना दिया है. चार साल पहले ज्ञान प्रकाश की पत्नी कुमुदिनी श्रीवास्तव को सांस लेने में हल्की समस्या हुई. इसके बाद उन्होंने अस्पतालों के चक्कर लगाना शुरू किए. उनकी पत्नी को 'रेस्पिरेट्री फैलियर नारकोसिस' नाम की बीमारी है. इस वजह से कुमुदिनी सही तरीके से सांस नहीं ले पातीं और उन्हें इंफेक्शन का भी डर बना रहता है.

ज्ञान प्रकाश के बच्चे विदेश में नौकरी करते हैं. ज्ञान प्रकाश ने अस्पतालों के महंगे बिल और व्यवस्था से परेशान होकर तय किया कि वह घर में ही एक आईसीयू वार्ड बनाएंगे. लिहाजा उन्होंने वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सपोर्ट, सैनिटाइजर जैसी आईसीयू में मिलने वाली तमाम सुविधाएं अपने बेडरूम में लगा ली हैं.

क्या-क्या हैं सुविधाएं?

  • पूरे घर में ऑक्सीजन लाइन पड़ी हुई है, ताकि यदि उनकी पत्नी को बेडरूम से बाहर भी निकलना है तो पूरे घर में उन्हें ऑक्सीजन सपोर्ट मिल सके.
  • घर में ही पानी को सैनिटाइज करने के लिए एक सिस्टम लगाया गया है.
  • 24 घंटे बिजली की व्यवस्था बनाए रखने को सोलर सिस्टम लगाया गया है.
  • कार को भी एंबुलेंस जैसा मॉडिफाई किया गया है.
  • एक अत्याधुनिक वेंटिलेटर लेकर आए हैं, जिसे उन्होंने अपनी पत्नी के हिसाब से मॉडिफाई करवाया है और बीते 1 साल से लगातार इस मिनी आईसीयू वार्ड में वे अपनी पत्नी को सेवाएं दे रहे हैं.

ट्रेंड नर्स का भी ले रहे साथ
रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश कहते हैं कि हॉस्पिटल में मरीज के इंफेक्शन के चांस ज्यादा हैं, लेकिन घर पर ऐसा कुछ भी नहीं है. हां, कभी-कभी इमरजेंसी में अस्पताल जाना पड़ता है, लेकिन अभी हॉस्पिटल से ज्यादा अच्छे तरीके से वो घर पर अपनी वाइफ की देखभाल कर पा रहे हैं. हालांकि उन्होंने अस्पताल की एक ट्रेंड नर्स को भी अपने साथ में रखा हुआ है.

नर्स ने कहा- मिलता है सुकून
इस मामले पर सीनियर नर्स का कहना है कि उन्होंने कई बड़े अस्पतालों में काम किया है, लेकिन इस मिनि आईसीयू वार्ड में काम करके उन्हें बड़ा सुकून मिल रहा है. उन्होंने कहा कि यहां पर अस्पतालों जैसी लूटपाट की बात है. नर्स ने कहा कि रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश के घर में परिजन मरीज को पूरा समय दे पाते हैं और मरीज भी एक अच्छी जिंदगी जी सकता है. रिटायर्ड इंजीनियर ज्ञान प्रकाश के मिनी आईसीयू में धीरे-धीरे वह सभी अत्याधुनिक सुविधाएं हैं, जो शहर के बड़े अस्पतालों में 10 से 15 हजार रुपए प्रतिदिन के हिसाब पर उपलब्ध होती हैं.

रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं पत्नी
कुमुदिनी श्रीवास्तव खुद रिटायर्ड प्रिंसिपल हैं और ज्ञान प्रकाश इंजीनियर से रिटायर हुए हैं. उन्होंने इसके पहले भी हेलमेट और मोटरसाइकिल के डिजाइन पर हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई थी और उन्हीं की वजह से मोटरसाइकिल के डिजाइन में बदलाव हुआ है और हेलमेट की उपयोगिता पर हाईकोर्ट ने आदेश दिए. अब यह नया प्रयोग लोगों को पसंद आता है, तो इस तरह के मिनी आईसीयू वार्ड कई घरों में दिखेंगे.

कोरोना काल में पेश किया आदर्श उदाहरण
कोरोना के संकट काल में जब अस्पतालों में बिस्तर नहीं हैं और अस्पताल जाने से भी आम आदमी डर रहा है. ऐसे हालात में यदि लोग अपने घरों में महंगे डाइनिंग रूम, महंगे बेडरूम के साथ एक मिनी आईसीयू वार्ड का निर्माण भी कर लें, तो घर की उपयोगिता ज्यादा साबित हो सकती है, ज्ञान प्रकाश श्रीवास्तव ने इसका उदाहरण पेश किया है.

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