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असम संधि के उपबंध छह पर समिति ने मुख्यमंत्री को सौंपी रिपोर्ट

असम संधि का उपबंध छह असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान एवं विरासत की रक्षा करने, उसे संरक्षित करने एवं उसका प्रचार करने के लिए संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक सुरक्षा (इनमें से जो भी उचित हो) देने से संबंधित है.

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असम संधि के उपबंध छह पर समिति ने सोनोवाल को रिपोर्ट सौंपी
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Published : Feb 25, 2020, 10:55 PM IST

Updated : Mar 2, 2020, 2:15 PM IST

गुवाहाटी : असम संधि के उपबंध छह के क्रियान्वयन संबंधी एक उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को अपनी रिपोर्ट औपचारिक रूप से सौंप दी.

रिपोर्ट में असमी व्यक्ति की परिभाषा और स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए 'कट ऑफ' वर्ष संबंधी तथा कुछ अन्य सुझाव दिए गए हैं.

असम संधि का उपबंध छह असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान एवं विरासत की रक्षा करने, उसे संरक्षित करने एवं उसका प्रचार करने के लिए संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक सुरक्षा (इनमें से जो भी उचित हो) देने से संबंधित है.

गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीके शर्मा ने राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों, शीर्ष अधिकारियों और पत्रकारों की उपस्थिति में रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी.

न्यायमूर्ति शर्मा ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देते हुए कहा कि 15 सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले पूरे असम में अनेक लोगों से मुलाकात की.

शर्मा ने कहा, 'रिपोर्ट 15 जनवरी तक के लक्षित समय के भीतर पूरी कर ली गई. हमारा कार्यकाल 15 फरवरी को समाप्त हो गया. हमें मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपने का आमंत्रण मिला, जिससे कि वह इसे आगे केंद्रीय गृहमंत्री को भेज सकें. हमने आज यह काम पूरा कर लिया.'

रिपोर्ट की विषयवस्तु के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि उनके लिए इस बारे में कुछ भी कहना 'उचित' नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'क्योंकि इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है और अब तक केंद्रीय गृह मंत्री को नहीं सौंपा गया है. इसलिए मेरे लिए कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.'

शर्मा ने कहा, 'हमने असम समझौते के विभिन्न उपबंधों पर चर्चा की, असम का दौरा किया और 1,200 से अधिक अभिवेदन मिले. हमने विभिन्न पक्षों से बात की और तब हमने रिपोर्ट तैयार की जो आज हमने मुख्यमंत्री को सौंप दी.' उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में 'असमी' व्यक्ति की परिभाषा भी दी गई है.

पढ़ें : नागरिकता विधेयक को लेकर अनावश्यक अशांति पैदा की जा रही है : सोनोवाल

असम के स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए 'कट ऑफ' वर्ष के बारे में उन्होंने कहा, 'विभिन्न तबकों की ओर से विभिन्न परामर्श आए. कुछ ने कहा कि यह यांदाबो संधि 1826 का वर्ष होना चाहिए. कुछ अन्य ने कहा कि यह 1950 का साल होना चाहिए, जब भारत गणराज्य बना. एक अन्य सलाह यह थी कि यह 1971 का वर्ष होना चाहिए. सभी सुझावों का अध्ययन करने के बाद हम एक तारीख पर पहुंचे जो हमें ठीक लगी.'

गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने गलत खबरों को लेकर भी आगाह किया.

उन्होंने कहा, 'यह दावा पूरी तरह गलत है कि समिति की एक टीम दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने जा रही है. यह खबर भी गलत है कि रिपोर्ट असम के मुख्य सचिव और असम समझौता क्रियान्वयन विभाग को सौंपी गई है.'

यह पूछे जाने पर कि आसू के तीन शीर्ष नेताओं सहित समिति के कुछ सदस्य आज रिपोर्ट सौंपे जाने के समय मौजूद क्यों नहीं थे, शर्मा ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी करने में समर्थ नहीं हैं.

आसू के नेताओं ने सोमवार को पत्रकारों से कहा था कि उनका काम पूरा हो गया है, क्योंकि रिपोर्ट तैयार हो गई है.

गुवाहाटी : असम संधि के उपबंध छह के क्रियान्वयन संबंधी एक उच्चस्तरीय समिति ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को अपनी रिपोर्ट औपचारिक रूप से सौंप दी.

रिपोर्ट में असमी व्यक्ति की परिभाषा और स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए 'कट ऑफ' वर्ष संबंधी तथा कुछ अन्य सुझाव दिए गए हैं.

असम संधि का उपबंध छह असमिया लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषायी पहचान एवं विरासत की रक्षा करने, उसे संरक्षित करने एवं उसका प्रचार करने के लिए संवैधानिक, कानूनी और प्रशासनिक सुरक्षा (इनमें से जो भी उचित हो) देने से संबंधित है.

गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति के अध्यक्ष न्यायाधीश (सेवानिवृत्त) बीके शर्मा ने राज्य मंत्रिमंडल के सदस्यों, शीर्ष अधिकारियों और पत्रकारों की उपस्थिति में रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी.

न्यायमूर्ति शर्मा ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट देते हुए कहा कि 15 सदस्यीय समिति ने रिपोर्ट तैयार करने से पहले पूरे असम में अनेक लोगों से मुलाकात की.

शर्मा ने कहा, 'रिपोर्ट 15 जनवरी तक के लक्षित समय के भीतर पूरी कर ली गई. हमारा कार्यकाल 15 फरवरी को समाप्त हो गया. हमें मुख्यमंत्री को रिपोर्ट सौंपने का आमंत्रण मिला, जिससे कि वह इसे आगे केंद्रीय गृहमंत्री को भेज सकें. हमने आज यह काम पूरा कर लिया.'

रिपोर्ट की विषयवस्तु के बारे में पूछे जाने पर शर्मा ने कहा कि उनके लिए इस बारे में कुछ भी कहना 'उचित' नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'क्योंकि इसे सार्वजनिक नहीं किया गया है और अब तक केंद्रीय गृह मंत्री को नहीं सौंपा गया है. इसलिए मेरे लिए कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.'

शर्मा ने कहा, 'हमने असम समझौते के विभिन्न उपबंधों पर चर्चा की, असम का दौरा किया और 1,200 से अधिक अभिवेदन मिले. हमने विभिन्न पक्षों से बात की और तब हमने रिपोर्ट तैयार की जो आज हमने मुख्यमंत्री को सौंप दी.' उन्होंने यह भी कहा कि रिपोर्ट में 'असमी' व्यक्ति की परिभाषा भी दी गई है.

पढ़ें : नागरिकता विधेयक को लेकर अनावश्यक अशांति पैदा की जा रही है : सोनोवाल

असम के स्थानीय व्यक्ति की पहचान के लिए 'कट ऑफ' वर्ष के बारे में उन्होंने कहा, 'विभिन्न तबकों की ओर से विभिन्न परामर्श आए. कुछ ने कहा कि यह यांदाबो संधि 1826 का वर्ष होना चाहिए. कुछ अन्य ने कहा कि यह 1950 का साल होना चाहिए, जब भारत गणराज्य बना. एक अन्य सलाह यह थी कि यह 1971 का वर्ष होना चाहिए. सभी सुझावों का अध्ययन करने के बाद हम एक तारीख पर पहुंचे जो हमें ठीक लगी.'

गुवाहाटी उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश ने गलत खबरों को लेकर भी आगाह किया.

उन्होंने कहा, 'यह दावा पूरी तरह गलत है कि समिति की एक टीम दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने जा रही है. यह खबर भी गलत है कि रिपोर्ट असम के मुख्य सचिव और असम समझौता क्रियान्वयन विभाग को सौंपी गई है.'

यह पूछे जाने पर कि आसू के तीन शीर्ष नेताओं सहित समिति के कुछ सदस्य आज रिपोर्ट सौंपे जाने के समय मौजूद क्यों नहीं थे, शर्मा ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी करने में समर्थ नहीं हैं.

आसू के नेताओं ने सोमवार को पत्रकारों से कहा था कि उनका काम पूरा हो गया है, क्योंकि रिपोर्ट तैयार हो गई है.

Last Updated : Mar 2, 2020, 2:15 PM IST
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