नई दिल्ली : लेखा परीक्षकों को उच्च गुणवत्ता की ऑडिट को लेकर अत्याधुनिक उपलब्ध प्रौद्योगिकी से लैस होने की जरूरत है. शोध संस्थान सेंटर फॉर इकोनॉमिक पॉलिसी रिसर्च (सीईपीआर) ने एक रिपोर्ट में यह बात कही है.
सीईपीआर ने कहा, 'वर्तमान समय में कामकाज व्यापक और जटिल है. लेखा परीक्षकों के लिए गहराई से अध्ययन और उसके बाद विश्लेषण को लेकर पूरे आंकड़े तक पहुंच और प्रणाली का अध्ययन मुश्किल होता जा रहा है.'
इसमें कहा गया है, 'प्रभावी रिपोर्ट तैयार करने को लेकर आंकड़ों के विश्लेषण और प्रणाली के अध्ययन के लिए सीमित साधन एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है. ये सीमाएं बड़े और छोटे उपक्रमों दोनों के मामलों में है.'
रिपोर्ट के अनुसार आंकड़ों की तेजी से बढ़ती मात्रा को देखते हुए ऑडिटरों को उपलब्ध अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी उपकरणों से लैस होने की जरूरत है ताकि वे अपनी लेखा परीक्षा में अधिक मात्रा में आंकड़ों का बेहतर तरीके से विश्लेषण कर सके.'
भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (आईसीएआई) की केंद्रीय परिषद के पूर्व सदस्य विजय गुप्त ने कहा, 'ऑडिट कंपनियां जिन ग्राहकों के वैश्वीकृत कारोबार के लेखा का काम कर रही हैं, उन्हें अत्याधुनिक ऑडिट प्रौद्योगिकी की जरूरत है. उन्हें इस प्रकार की प्रक्रियाओं से युक्त होने की जरूरत है.'
मौजूदा आर्थिक माहौल में ऑडिट उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है और देश में लेखा पेशे को लेकर नकारात्मक माहौल से स्थिति और खराब हो रही है.
हाल के समय में कई ऐसे मामले सामने आएं जब आडिटरों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. इसमें सत्यम घोटाला मामले में पीडब्ल्यूसी की भूमिका तथा आईएल एंड एफएस धोखाधड़ी के संदर्भ में डेलायट और बीएसआर के मामले शामिल हैं.
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एनएसईएल के मामले में 2013 में मुंबई की आर्थिक अपराध इकाई ने ऑडिटरों को गिरफ्तार किया था, लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया.