नई दिल्ली : कांग्रेस के 23 नेताओं ने 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन का उल्लेख करते हुए संगठन में सुधार मांग की, जिसके बाद कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी के इन असंतुष्ट नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया और संसद के दोनों सदनों में बड़े बदलाव करते हुए पत्र लिखने वाले नेताओं को दरकिनार कर दिया.
गुरुवार को सोनिया गांधी ने वरिष्ठ सांसद शशि थरूर और मनीष तिवारी को नजरअंदाज करते हुए सांसद गौरव गोगोई को लोकसभा में कांग्रेस दल के उपनेता के रूप में नियुक्त किया और सांसद रणवीर सिंह बिट्टू को पार्टी के सचेतक के रूप में नियुक्त किया. वहीं, राज्यसभा में जयराम रमेश को मुख्य सचेतक और कांग्रेस की पांच-सदस्यीय समिति का संयोजक बनाया गया है, जिसका गठन केंद्र सरकार के प्रमुख अध्यादेशों पर पार्टी के रुख को बनाने के लिए किया जाता है.
पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल को रणनीति समिति में कोई जगह नहीं मिली. इस पर कांग्रेस से निकाले गए नेता संजय झा ने तंज करते हुए ट्वीट किया, 'भारतीय संसद में आवाज उठाने वाले दो कांग्रेस से हैं.'
झा ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी और उपनेता गौरव गोगोई पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया कि शशि थरूर और मनीष तिवारी, क्रमश: केरल (15 लोकसभा सीटें) और पंजाब (8 लोकसभा सीटें) का प्रतिनिधित्व करते हैं. वह लोकसभा में कांग्रेस के 44 प्रतिशत सदस्यों का प्रतिनिधित्व करते हैं. पश्चिम बंगाल में एक सीट और असम में दो सीट. निष्पक्ष प्रतिनिधित्व है!
कांग्रेस के एक पदाधिकारी ने कहा कि जो लोग कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबी सहयोगी हैं, उन्हें महत्वपूर्ण पदों से पुरस्कृत किया गया है और असंतुष्टों को भी इस निर्णय के माध्यम से दरकिनार कर दिया गया है.
इस मामले पर कांग्रेस के मुख्य सचेतक के. सुरेश ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि यह पूरी तरह से पार्टी अध्यक्ष का फैसला है और वह इन पदों के लिए कांग्रेस के किसी भी सांसद को चुन सकती हैं.
उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने यह पत्र लिखा है, उन्हें पार्टी की संगठनात्मक संरचना की पूरी तरह से मांग करने के लिए सोमवार को आयोजित कांग्रेस कार्य समिति की बैठक के दौरान आलोचना का सामना करना पड़ा. हालांकि, बैठक के तुरंत बाद सोनिया गांधी ने पत्र लिखने वाले नेताओं को आश्वासन दिया था कि उनकी चिंताओं को पार्टी फोरम में संबोधित किया जाएगा.
एक तरफ, कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष ने स्पष्ट किया कि असंतुष्ट नेताओं के खिलाफ उनकी कोई शिकायत नहीं है. लेकिन 23 में से कई नेताओं को अपने ही राज्यों से विरोध का सामना करना पड़ा.
बैठक के दौरान लखीमपुर खीरी की जिला कांग्रेस इकाई ने जितिन प्रसाद को निष्कासित करने का प्रस्ताव पारित किया. वहीं, महाराष्ट्र के नेता सुनील केदार ने तीन कांग्रेसी नेताओं पृथ्वीराज चव्हाण, मुकुल वासनिक और मिलिंद देवड़ा को खुली धमकी देते हुए कहा कि वह सोनिया गांधी से माफी मांगें.
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इस मामले पर शशि थरूर ने गुरुवार को ट्वीट करते हुए कहा, 'मैं कांग्रेस में हाल की घटनाओं पर चार दिनों तक चुप रहा हूं, क्योंकि एक बार कांग्रेस अध्यक्ष कहती हैं कि मुद्दा पीछे छोड़ें, यह हम सभी का कर्तव्य है कि पार्टी के हितों में हम रचनात्मक रूप से काम करें. मैं अपने सभी सहयोगियों से इस सिद्धांत को बनाए रखने और बहस को समाप्त करने का आग्रह करता हूं.
हालांकि, कांग्रेस के असंतुष्ट नेताओं ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह अभी भी अपनी मांगों पर दृढ़ हैं और पार्टी के भीतर चुनाव कराने की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया है.
वहीं, वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने भी दावा किया कि अगर कांग्रेस सीडब्ल्यूसी के लिए चुनाव नहीं करेगी और पार्टी को मजबूत करने के लिए संगठनात्मक सुधार नहीं करेगी तो कांग्रेस अगले 50 साल तक विपक्ष में बैठेगी.
बता दें कि राज्यसभा के लिए गठित कांग्रेस कमेटी से आजाद को नजरअंदाज कर केसी वेणुगोपाल को इसका हिस्सा बनाया गया है, जिन्हें राहुल गांधी के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता है.