सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्थानीय नागरिक फिरदौस ने कहा कि पांच महीने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट जाकर यह ख्याल आया है कि यहां पर रहने वाले लोगों के मूलाधिकार को छीना जा रहा है. वहीं एक और स्थानीय नागरिक रवि ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
जम्मू -कश्मीर पाबंदी : SC के फैसले पर प्रतिक्रियाएं - supreme Court verdict on Kashmir lockdown
23:18 January 10
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया
21:13 January 10
मोहम्मद अकबर लोन की प्रतिक्रिया
नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार का भरपूर इस्तेमाल किया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में लगी पाबंदियों को दूर करने से जुड़े निर्देश दिए है.
18:35 January 10
CPI नेता डॉ. कांगो की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा ) के वरिष्ठ नेता डॉ. बी. के. कांगो कहा कि घाटी में जब से अनुच्छेद 370 को रद्द किया था, तब से यहां पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाए गए थे. लोगों को आंदोलन से रोका गया, राजनीतिक नेता को हिरासत में लिया गया, इंटरनेट बंद कर दिया गया. घाटी में हर जगह प्रतिबंध थे.
कांगो ने कहा कि सरकार अब अदालत को जवाब देगी, जिसका मतलब है कि सरकार लोगों को जवाब दे रही है, क्योंकि जब भी सरकार किसी का जवाब नहीं देती है, तो लोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खड़खड़ाते हैं.
13:42 January 10
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर की प्रतिक्रिया
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट सेवा बंद करना और धारा 144 संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है.
13:23 January 10
राशिद अल्वी ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू कश्मीर में काफी समय से इंटरनेट बैन और धारा 144 पर रिव्यू करने के आदेश का स्वागत किया है. राशिद अल्वी में ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि देश अंधकार में डूबा है और ऐसे समय में सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी उम्मीद की किरण है जिससे हम उम्मीद कर सकते हैं जिसके चलते हालात कुछ ठीक हो सकते हैं.
12:15 January 10
कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू और कश्मीर का प्रत्येक व्यक्ति इस निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा था. SC ने भारत सरकार को यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को 5 अगस्त, 2019 से पारित सभी आदेशों को प्रकाशित करना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इंटरनेट पर हर आदेश न्यायिक जांच के तहत आता है.
10:19 January 10
जम्मू-कश्मीर पाबंदी : SC के फैसले पर प्रतिक्रिया
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर लॉकडाउन मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद नेताओं, वकीलों और अन्य संस्थानों से जुड़े लोगों ने अलग अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं. कोर्ट के फैसले पर अधिवक्ता सादान फरासात ने कहा कि न्यायालय ने कहा है कि राज्य द्वारा अनिश्चितकालीन इंटरनेट प्रतिबंध हमारे संविधान के तहत स्वीकार्य नहीं है और यह शक्ति का दुरुपयोग है.
इससे पहले कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार पाबंदी से जुड़े सभी फैसले सार्वजनिक करे साथ ही कमेटी कोर्ट को सात दिन के अंदर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी. कोर्ट ने पाबंदी पर आदेशों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का आदेश दिया है.
वहीं, कोर्ट ने सरकार को ई-बैंकिंग सुविधा तुरंत बहाल करने, कश्मीर में बैंकिंग, व्यापारिक सेवाएं तुरंत बहाल करने और सरकारी वेबसाइट खोलने का भी आदेश दिया है.
इसके अलावा कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में लगातार लागू धारा 144 को लेकर कहा है कि लंबे समय तक धारा 144 को लागू करना शक्ति का दुरुपयोग है. उच्चतम न्यायलय ने कहा कि बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट बैन होना चाहिए. इंटरनेट भी लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है. इसलिए लंबे वक्त के लिए इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगा सकते हैं. पाबंदियों के लिए पुख्ता कारण होना जरूरी है.
साथ कोर्ट ने कहा कि लोगों की आजादी और सुरक्षा में तालमेल बनाए रखना हमारा काम है. नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी जरूरी है.राजनीति में दखल देना हमारा काम नहीं है. कश्मीर में हिंसा का इतिहास काफी लंबा रहा है.
23:18 January 10
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्थानीय नागरिकों की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्थानीय नागरिक फिरदौस ने कहा कि पांच महीने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट जाकर यह ख्याल आया है कि यहां पर रहने वाले लोगों के मूलाधिकार को छीना जा रहा है. वहीं एक और स्थानीय नागरिक रवि ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है.
21:13 January 10
मोहम्मद अकबर लोन की प्रतिक्रिया
नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने क्षेत्राधिकार का भरपूर इस्तेमाल किया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को जम्मू कश्मीर में लगी पाबंदियों को दूर करने से जुड़े निर्देश दिए है.
18:35 January 10
CPI नेता डॉ. कांगो की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत करते हुए भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा ) के वरिष्ठ नेता डॉ. बी. के. कांगो कहा कि घाटी में जब से अनुच्छेद 370 को रद्द किया था, तब से यहां पर बहुत सारे प्रतिबंध लगाए गए थे. लोगों को आंदोलन से रोका गया, राजनीतिक नेता को हिरासत में लिया गया, इंटरनेट बंद कर दिया गया. घाटी में हर जगह प्रतिबंध थे.
कांगो ने कहा कि सरकार अब अदालत को जवाब देगी, जिसका मतलब है कि सरकार लोगों को जवाब दे रही है, क्योंकि जब भी सरकार किसी का जवाब नहीं देती है, तो लोग सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खड़खड़ाते हैं.
13:42 January 10
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर की प्रतिक्रिया
अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने बताया कि कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट सेवा बंद करना और धारा 144 संविधान के प्रावधानों के खिलाफ है.
13:23 January 10
राशिद अल्वी ने कोर्ट के आदेश का स्वागत किया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा जम्मू कश्मीर में काफी समय से इंटरनेट बैन और धारा 144 पर रिव्यू करने के आदेश का स्वागत किया है. राशिद अल्वी में ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि देश अंधकार में डूबा है और ऐसे समय में सुप्रीम कोर्ट ही आखिरी उम्मीद की किरण है जिससे हम उम्मीद कर सकते हैं जिसके चलते हालात कुछ ठीक हो सकते हैं.
12:15 January 10
कांग्रेस ने गुलाम नबी आजाद ने कहा कि जम्मू और कश्मीर का प्रत्येक व्यक्ति इस निर्णय की प्रतीक्षा कर रहा था. SC ने भारत सरकार को यह स्पष्ट कर दिया है कि सरकार को 5 अगस्त, 2019 से पारित सभी आदेशों को प्रकाशित करना चाहिए. कोर्ट ने यह भी कहा है कि इंटरनेट पर हर आदेश न्यायिक जांच के तहत आता है.
10:19 January 10
जम्मू-कश्मीर पाबंदी : SC के फैसले पर प्रतिक्रिया
नई दिल्ली : जम्मू कश्मीर लॉकडाउन मामले पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद नेताओं, वकीलों और अन्य संस्थानों से जुड़े लोगों ने अलग अलग प्रतिक्रियाएं दी हैं. कोर्ट के फैसले पर अधिवक्ता सादान फरासात ने कहा कि न्यायालय ने कहा है कि राज्य द्वारा अनिश्चितकालीन इंटरनेट प्रतिबंध हमारे संविधान के तहत स्वीकार्य नहीं है और यह शक्ति का दुरुपयोग है.
इससे पहले कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार पाबंदी से जुड़े सभी फैसले सार्वजनिक करे साथ ही कमेटी कोर्ट को सात दिन के अंदर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी. कोर्ट ने पाबंदी पर आदेशों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने का आदेश दिया है.
वहीं, कोर्ट ने सरकार को ई-बैंकिंग सुविधा तुरंत बहाल करने, कश्मीर में बैंकिंग, व्यापारिक सेवाएं तुरंत बहाल करने और सरकारी वेबसाइट खोलने का भी आदेश दिया है.
इसके अलावा कोर्ट ने जम्मू कश्मीर में लगातार लागू धारा 144 को लेकर कहा है कि लंबे समय तक धारा 144 को लागू करना शक्ति का दुरुपयोग है. उच्चतम न्यायलय ने कहा कि बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट बैन होना चाहिए. इंटरनेट भी लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है. इसलिए लंबे वक्त के लिए इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगा सकते हैं. पाबंदियों के लिए पुख्ता कारण होना जरूरी है.
साथ कोर्ट ने कहा कि लोगों की आजादी और सुरक्षा में तालमेल बनाए रखना हमारा काम है. नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी जरूरी है.राजनीति में दखल देना हमारा काम नहीं है. कश्मीर में हिंसा का इतिहास काफी लंबा रहा है.