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भारत-चीन सीमा विवाद : वायुसेना की इस सप्ताह बैठक, राफेल की तैनाती पर चर्चा

पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ जारी तनातनी के बीच भारतीय वायुसेना के अधिकारी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चर्चा करने के लिए इस सप्ताह बैठक करेंगे. इस दौरान राफेल की तैनाती को लेकर भी चर्चा की जाएगी. राफेल की पहली खेप इस महीने के अंत तक आएगी. पढ़ें विस्तार से...

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राफेल तनाती पर होगी चर्चा
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Published : Jul 19, 2020, 3:39 PM IST

Updated : Jul 19, 2020, 3:50 PM IST

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर चीन के साथ गतिरोध जारी है. इस पर चर्चा करने के लिए वायुसेना के शीर्ष कमांडर इस सप्ताह लद्दाख में बैठक करेंगे. इस दौरान राफेल लड़ाकू विमानों की भारत-चीन सीमा पर तैनाती की भी चर्चा की जाएगी. बता दें, इस महीने के अंत तक भारत को राफेल की पहली खेप मिलने वाली है.

भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष कमांडर की दो दिवसीय वार्ता 22 जुलाई से शुरू होगी.

सूत्रों ने कहा कि वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया की अगुवाई में होने वाली इस बैठक का प्रमुख मुद्दा पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सीमाओं में सैन्य बल द्वारा की गई फॉरवर्ड ब्लॉक होगा. इस बैठक में सातों कमांडर इन चीफ शामिल होंगे.

वायुसेना ने अपने आधुनिक बेड़े जैसे मिराज 2000, सुखोई -30 और मिग -29 के सभी लड़ाकू विमानों को अग्रिम चौकियों पर तैनात किया है, जिनके द्वारा सीमा पर दिन-रात निगरानी की जा रही है.

अपग्रेड अपाचे हेलीकॉप्टर को भी भारत चीन सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया है, जो रात के समय भी पूर्वी लद्दाख सीमा पर लगातार चौकसी बरत रहे हैं.

अधिकारियों ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सबसे अपग्रेड जेट अपने प्रतिकूल परिस्थितियों में वायुसेना को बढ़त देने जा रहे हैं, क्योंकि वे सबसे अपग्रेड हथियारों से लैस हैं.

उन्होंने कहा कि इंडिया स्पेसिफिक इन्हांसमेंट (भारत विशिष्ट संवर्द्धन) लड़ाकू विमान के साथ-साथ लंबी दूरी के हथियार जैसे मीटियर एयर टू एयर मिसाइल भारत को चीन और पाकिस्तान पर बढ़त दिलाएंगे. वायुसेना रूसी मूल के विमान के साथ फ्रांसीसी सेनानियों के एकीकरण पर भी काम कर रही है.

भारतीय वायुसेना प्रमुख ने इस परियोजना के लिए भारतीय समझौते के प्रमुख के रूप में भारत के अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे के समापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके तहत लगभग 60,000 करोड़ रुपये के 36 राफेल जेट आपातकालीन खरीद मार्ग के तहत भारत आएंगे.


भारत-चीन सीमा विवाद : वायुसेना की इस सप्ताह बैठक, राफेल की तैनाती पर चर्चा

नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर चीन के साथ गतिरोध जारी है. इस पर चर्चा करने के लिए वायुसेना के शीर्ष कमांडर इस सप्ताह लद्दाख में बैठक करेंगे. इस दौरान राफेल लड़ाकू विमानों की भारत-चीन सीमा पर तैनाती की भी चर्चा की जाएगी. बता दें, इस महीने के अंत तक भारत को राफेल की पहली खेप मिलने वाली है.

भारतीय वायुसेना के अधिकारियों ने बताया कि शीर्ष कमांडर की दो दिवसीय वार्ता 22 जुलाई से शुरू होगी.

सूत्रों ने कहा कि वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया की अगुवाई में होने वाली इस बैठक का प्रमुख मुद्दा पूर्वी लद्दाख और उत्तरी सीमाओं में सैन्य बल द्वारा की गई फॉरवर्ड ब्लॉक होगा. इस बैठक में सातों कमांडर इन चीफ शामिल होंगे.

वायुसेना ने अपने आधुनिक बेड़े जैसे मिराज 2000, सुखोई -30 और मिग -29 के सभी लड़ाकू विमानों को अग्रिम चौकियों पर तैनात किया है, जिनके द्वारा सीमा पर दिन-रात निगरानी की जा रही है.

अपग्रेड अपाचे हेलीकॉप्टर को भी भारत चीन सीमा की अग्रिम चौकियों पर तैनात किया गया है, जो रात के समय भी पूर्वी लद्दाख सीमा पर लगातार चौकसी बरत रहे हैं.

अधिकारियों ने कहा कि दक्षिण एशियाई क्षेत्र के सबसे अपग्रेड जेट अपने प्रतिकूल परिस्थितियों में वायुसेना को बढ़त देने जा रहे हैं, क्योंकि वे सबसे अपग्रेड हथियारों से लैस हैं.

उन्होंने कहा कि इंडिया स्पेसिफिक इन्हांसमेंट (भारत विशिष्ट संवर्द्धन) लड़ाकू विमान के साथ-साथ लंबी दूरी के हथियार जैसे मीटियर एयर टू एयर मिसाइल भारत को चीन और पाकिस्तान पर बढ़त दिलाएंगे. वायुसेना रूसी मूल के विमान के साथ फ्रांसीसी सेनानियों के एकीकरण पर भी काम कर रही है.

भारतीय वायुसेना प्रमुख ने इस परियोजना के लिए भारतीय समझौते के प्रमुख के रूप में भारत के अब तक के सबसे बड़े रक्षा सौदे के समापन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसके तहत लगभग 60,000 करोड़ रुपये के 36 राफेल जेट आपातकालीन खरीद मार्ग के तहत भारत आएंगे.

Last Updated : Jul 19, 2020, 3:50 PM IST
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