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मीटू : रमानी को मुझ पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने का कोई हक नहीं- अकबर

पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि पत्रकार प्रिया रमानी को उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है. बता दें कि रमानी ने 2018 में मीटू आंदोलन के दौरान अकबर के खिलाफ आरोप लगाए थे. विस्तार से पढ़ें पूरी खबर...

पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर
पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर
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Published : Jan 14, 2021, 4:59 PM IST

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि पत्रकार प्रिया रमानी को उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है. यौन उत्पीड़न की यह कथित घटना दशकों पुरानी है.

उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ उपचार हमेशा मौजूद था और रमानी के आरोप नेकनीयत से और जनहित में नहीं हैं.

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवीन्द्र कुमार की अदालत में वकील गीता लूथरा के माध्यम से अकबर ने ये बातें कहीं. अदालत में अकबर द्वारा रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत पर अंतिम सुनवाई चल रही थी. अकबर ने अपनी शिकायत में कहा है कि रमानी करीब 20 साल पहले उनके पत्रकार रहने के दौरान अपने साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर उनकी (अकबर) छवि खराब कर रही हैं.

रमानी ने 2018 में मीटू आंदोलन के दौरान अकबर के खिलाफ आरोप लगाए थे.

लूथरा ने कहा, 'रमानी ने अकबर को मीडिया में सबसे खराब व्यक्ति बताया था. जब आप किसी पर आरोप लगाते हैं तो आपको साक्ष्य देने होते हैं और आपने क्या जांच की है, बताना होता है. 25-30 साल के बाद आप अदालत नहीं जाते हैं. आप कहते हैं कि उस वक्त कोई कानून नहीं था. यह कौन सा कानून है जो 1860 से मौजूद नहीं था.'

लूथरा ने कहा कि रमानी के आरोपों का कोई सबूत या गवाही नहीं है.

यह भी पढ़ें- मानहानि मामला: एमजे अकबर ने कहा-रिमानी के ट्वीट दुर्भावना पूर्ण

उन्होंने कहा, 'यह गवाह (रमानी) सच नहीं बोल रहा. कोई सबूत या गवाही या सत्यापन करने योग्य सामग्री नहीं है. किसी को खराब व्यक्ति बताने जैसा गैर जिम्मेदाराना बयान दिया गया.'

उन्होंने कहा कि हजारों ट्वीट किए गए, अखबारों, पत्रिकाओं में खबरें छपीं. उनकी (अकबर) छवि खराब करने के लिए वह इससे ज्यादा और क्या कर सकती थीं? उनको कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी. सारी कीमत अकबर ने चुकाई.'

लूथरा ने कहा, 'उन्होंने बिना सोचे-समझे गैर जिम्मेदाराना तरीके से बस कुछ कह दिया. यह नेकनीयत से नहीं था. मैं कह सकती हूं कि यह जनहित में नहीं था. उनके पास अकबर को खराब कहने का कोई आधार नहीं था.'

उन्होंने कहा कि रमानी ने अकबर की छवि खराब की और उनके आरोप जंगल में आग की तरह फैल गए.

उन्होंने कहा, 'कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ उपचार हमेशा से मौजूद था. दो-तीन दशक बाद बिना किसी उचित प्रक्रिया के आप आरोप नहीं लगा सकते हैं. चूंकि, आप इसे साबित नहीं कर सकते हैं, इसलिए यह झूठ है और आपको ऐसा करने का अधिकार नहीं है.'

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को तय की है.

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर ने दिल्ली की एक अदालत से कहा कि पत्रकार प्रिया रमानी को उन पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि उनके पास कोई साक्ष्य नहीं है. यौन उत्पीड़न की यह कथित घटना दशकों पुरानी है.

उन्होंने कहा कि कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ उपचार हमेशा मौजूद था और रमानी के आरोप नेकनीयत से और जनहित में नहीं हैं.

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवीन्द्र कुमार की अदालत में वकील गीता लूथरा के माध्यम से अकबर ने ये बातें कहीं. अदालत में अकबर द्वारा रमानी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि की शिकायत पर अंतिम सुनवाई चल रही थी. अकबर ने अपनी शिकायत में कहा है कि रमानी करीब 20 साल पहले उनके पत्रकार रहने के दौरान अपने साथ यौन उत्पीड़न का आरोप लगाकर उनकी (अकबर) छवि खराब कर रही हैं.

रमानी ने 2018 में मीटू आंदोलन के दौरान अकबर के खिलाफ आरोप लगाए थे.

लूथरा ने कहा, 'रमानी ने अकबर को मीडिया में सबसे खराब व्यक्ति बताया था. जब आप किसी पर आरोप लगाते हैं तो आपको साक्ष्य देने होते हैं और आपने क्या जांच की है, बताना होता है. 25-30 साल के बाद आप अदालत नहीं जाते हैं. आप कहते हैं कि उस वक्त कोई कानून नहीं था. यह कौन सा कानून है जो 1860 से मौजूद नहीं था.'

लूथरा ने कहा कि रमानी के आरोपों का कोई सबूत या गवाही नहीं है.

यह भी पढ़ें- मानहानि मामला: एमजे अकबर ने कहा-रिमानी के ट्वीट दुर्भावना पूर्ण

उन्होंने कहा, 'यह गवाह (रमानी) सच नहीं बोल रहा. कोई सबूत या गवाही या सत्यापन करने योग्य सामग्री नहीं है. किसी को खराब व्यक्ति बताने जैसा गैर जिम्मेदाराना बयान दिया गया.'

उन्होंने कहा कि हजारों ट्वीट किए गए, अखबारों, पत्रिकाओं में खबरें छपीं. उनकी (अकबर) छवि खराब करने के लिए वह इससे ज्यादा और क्या कर सकती थीं? उनको कोई कीमत नहीं चुकानी पड़ी. सारी कीमत अकबर ने चुकाई.'

लूथरा ने कहा, 'उन्होंने बिना सोचे-समझे गैर जिम्मेदाराना तरीके से बस कुछ कह दिया. यह नेकनीयत से नहीं था. मैं कह सकती हूं कि यह जनहित में नहीं था. उनके पास अकबर को खराब कहने का कोई आधार नहीं था.'

उन्होंने कहा कि रमानी ने अकबर की छवि खराब की और उनके आरोप जंगल में आग की तरह फैल गए.

उन्होंने कहा, 'कार्यस्थल पर उत्पीड़न के खिलाफ उपचार हमेशा से मौजूद था. दो-तीन दशक बाद बिना किसी उचित प्रक्रिया के आप आरोप नहीं लगा सकते हैं. चूंकि, आप इसे साबित नहीं कर सकते हैं, इसलिए यह झूठ है और आपको ऐसा करने का अधिकार नहीं है.'

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 18 जनवरी को तय की है.

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