नई दिल्ली : अयोध्या मामले की सुनवाई के अंतिम दिन मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने हिन्दू महासभा की तरफ से पेश नक्शा फाड़ दिया. इस विषय को लेकर हिन्दू पक्षकार काफी नाराज चल रहे हैं.
इस मामले को लेकर राम जन्मभूमि न्यास से जुड़े राम विलास वेदांती ने राजीव धवन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की बात कही. हालांकि उन्होंने आगे कहा कि वह मुकदमा दर्ज नहीं कराएंगे, क्योंकि इससे रामलला का मामला प्रभावित हो सकता है. इस पर विचार करने के बाद उन्होंने धवन के खिलाफ नक्शा फाड़ने के मामले को ज्यादा तूल देना जरूरी नहीं समझा. उन्होंने यह भी कहा कि राजीव धवन ने कोर्ट का अपमान किया है और उन पर कड़ा एक्शन होना चाहिए.
क्या है पूरा मामला, जानें
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को उस समय अजीबो-गरीब स्थिति पैदा हो गयी, जब राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई के अंतिम दिन मुस्लिम पक्षकारों की पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने संविधान पीठ के समक्ष भगवान राम का सही जन्मस्थल दर्शाने वाला कथित सचित्र नक्शा फाड़ दिया. इस मामले में एक हिन्दू पक्षकार की ओर से यह नक्शा उनके वकील ने संविधान पीठ को दिखाया था.
अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के एक गुट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह द्वारा ध्वस्त किये गये ढांचे के मध्य गुंबद को ही रामलला का जन्मस्थान होने के दावे के समर्थन में विदेशी और भारतीय लेखकों द्वारा लिखी पुस्तकों और मौके के नक्शे को आधार बनाये जाने पर आपत्ति की थी.
धवन ने कहा कि अब इस तरह के दस्तावेज को आधार नहीं बनाया जा सकता क्योंकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने दूसरे दस्तावेजों में 'जन्मस्थान' की स्थिति के मुद्दे पर विचार किया था.
धवन ने जब सचित्र नक्शे को आधार बनाये जाने का पुरजोर विरोध किया तो सिंह ने कहा कि वह इस नक्शे को रिकार्ड पर लेने के लिये दबाव नहीं डालेंगे. यह नक्शा बिहार काडर के आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल की पुस्तक 'अयोध्या रिविजिटेड' का भी हिस्सा है.
इस पर धवन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ से पूछा कि उन्हें अब इसका (नक्शे) क्या करना चाहिए.
पीठ ने कहा कि वह इस दस्तावेज के टुकड़े कर सकते हैं.
इस पर राजीव धवन ने वकीलों और आगंतुकों से खचाखच भरे न्यायालय कक्ष में अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अधिवक्ता द्वारा उपलब्ध कराया गया सचित्र नक्शा फाड़ कर सभी को हतप्रभ कर दिया.
यह नाटक यहीं नहीं खत्म हुआ और भोजनावकाश के बाद सुनवाई के दौरान धवन ने एक बार फिर उनके द्वारा दस्तावेज फाड़े जाने की घटना का जिक्र किया और कहा कि 'न्यायालय के बाहर यह वायरल हो गया है.'
धवन ने कहा, 'यह खबर वायरल हो गयी है कि मैंने अपने आप ही ये दस्तावेज फाड़ दिये.'
धवन ने कहा कि उन्होंने पीठ से अनुमति मांगी थी कि क्या इन कागजात को फेंका जा सकता है और प्रधान न्यायाधीश का जवाब था, 'यदि यह अप्रासंगिक है, आप इसे फाड़ सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'प्रधान न्यायाधीश ने कहा मैं इन कागजों को फाड़ सकता हूं और मैंने सिर्फ उनके आदेश का पालन किया. मैं ऐसे मामलों में (वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद) दातार की सलाह लेता हूं और उन्होंने मुझसे कहा कि यह निर्देश है.'
सीजेआई ने तपाक से कहा, 'डॉ. धवन सही हैं कि प्रधान न्यायाधीश ने कहा, अत: उन्होंने इसे फाड़ दिया. यह स्पष्टीकरण भी व्यापक रूप से रिपोर्ट होने दीजिए.' प्रधान न्यायाधीश के साथ एक अन्य न्यायाधीश एस अब्दुल नजीर ने सहमति व्यक्त करते हुए कहा, 'अब इसे व्यापक रूप से रिपोर्ट किया गया है.
सिंह की दलीलों के दौरान बार-बार हो रहे व्यवधान से पीठ नाराज हो गयी और इस पर प्रधान न्यायाधीश ने टिप्पणी की, 'हमारे लिए अब बहस खत्म हो गयी है.'