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रक्षामंत्री राजनाथ रूस के दौरे पर, एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की जल्द आपूर्ति पर देंगे जोर

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Published : Jun 22, 2020, 10:48 PM IST

Updated : Jun 23, 2020, 12:25 AM IST

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रूस दौरे के दौरान जल्द से जल्द भारत को S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम के डिलीवरी करने की मांग करेंगे. भारत की ओर से जल्द आपूर्ति की यह मांग ऐसे समय की जा रही है, जब चीन के साथ सीमा पर उसका विवाद चल रहा है.

S 400 missile system
S-400

नई दिल्ली : चीन के साथ जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस यात्रा पर सोमवार को रवाना हो गए. इस दौरान वह समय पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराने तथा द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने के तौर-तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री इस दौरान रूस के नेताओं के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य तथा समूचे रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा कर सकते हैं. S-400 मिसाइल की आपूर्ति रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रमुख प्राथमिकता होगी.

बता दें कि 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीच नई दिल्ली में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के अवसर पर 5.4 अरब डॉलर के मिसाइल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

हालांकि रूस के मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुशकिन ने हाल में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते एस-400 सहित सैन्य करारों के क्रियान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है.

जनवरी 2018 ने अमेरिका में प्रतिबंध अधिनियम (सीएएटीएसए) लागू हुआ था, जिसके तहत ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ रक्षा समझौते करने वाली कंपनियों को लक्षित किया गया.

रूस के दौरे पर मॉस्कों पहुंचे रक्षामंत्री

अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने रूस पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया कि उसकी यूक्रेन और सीरिया के युद्धों में मास्को की लगातार भागीदारी रहती है और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इसके कथित तौर पर हस्तक्षेप किया.

भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए अक्टूबर 2018 में एस-400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के करार पर दस्तखत किए थे.

15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. इसलिए भारत सेना को मजबूती देने की लिए S-400 की जल्द से जल्द आपूर्ति चाहता है. आपकों बता दें कि चीन ने रूस से पहले ही इस मिसाइल की आपूर्ति करवा ली है.

अधिकारियों ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद सिंह ने रूस की यात्रा स्थगित नहीं की क्योंकि रूस के साथ भारत के दशकों पुराने सैन्य संबंध हैं. उन्होंने कहा कि सिंह रूसी सैन्य अधिकारियों के साथ अपनी बातचीत में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली समय पर उपलब्ध कराए जाने का आग्रह कर सकते हैं.

यह भी पढ़ें- चीन ने कहा- सीमा पर झड़प में हमारे 20 से कम सैनिकों की मौत हुई

रिपोर्टों से पता चलता है कि चीन पहले ही रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली का अधिग्रहण कर चुका है. इस वजह से यह भारत के लिए चिंता विषय बना हुआ है. चीन के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत की प्रथम प्राथमिक S-400 आपूर्ति होगी.

राजनाथ सिंह रूस के उच्च सैन्य अधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे और द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 24 जून को मॉस्को में आयोजित भव्य सैन्य परेड में शामिल होंगे.

राजनाथ सिंह से उम्मीद की जाती है कि वह रूसियों से भारत को प्राथमिकता देने का अनुरोध करेंगे और 2021 तक S-400 मिसाइल रक्षा प्रणालाी की दो इकाईयों की आपूर्ति करने का आग्रह कर सकते हैं.

भारत ने मिसाइल प्रणाली के लिए पिछले साल रूस को लगभग 80 करोड़ डॉलर की किस्त का पहला भुगतान किया था. मॉस्को को अगले साल की दूसरी छमाही में प्रणाली उपलब्ध कराने की शुरुआत करनी थी.

रूस रवाना होने से पहले सिंह ने ट्वीट किया, 'तीन दिवसीय यात्रा पर मॉस्को रवाना हो रहा हूं. यह यात्रा भारत-रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर देगी. मुझे मास्को में 75वीं विजय दिवस परेड में भी शामिल होना है.'

यह भी पढ़ें- सीमा विवाद के हल के लिए भारत को अक्साई चिन की जिद छोड़नी होगी : सुधीन्द्र कुलकर्णी

रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ नितिन ए गोखले ने ईटीवी भारत से कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को यात्रा का एक प्रमुख एजेंडा S-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी में तेजी लानी होगी. इसके लिए वह रूस को राजी करना चाहेंगे.

नई दिल्ली : चीन के साथ जारी तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह तीन दिवसीय रूस यात्रा पर सोमवार को रवाना हो गए. इस दौरान वह समय पर एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली उपलब्ध कराने तथा द्विपक्षीय संबंधों को और विस्तारित करने के तौर-तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं. माना जा रहा है कि रक्षा मंत्री इस दौरान रूस के नेताओं के साथ क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य तथा समूचे रक्षा सहयोग को मजबूत करने पर भी चर्चा कर सकते हैं. S-400 मिसाइल की आपूर्ति रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की प्रमुख प्राथमिकता होगी.

बता दें कि 2018 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बीच नई दिल्ली में वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के अवसर पर 5.4 अरब डॉलर के मिसाइल समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

हालांकि रूस के मिशन उप प्रमुख रोमन बाबुशकिन ने हाल में कहा था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते एस-400 सहित सैन्य करारों के क्रियान्वयन में कुछ विलंब हो सकता है.

जनवरी 2018 ने अमेरिका में प्रतिबंध अधिनियम (सीएएटीएसए) लागू हुआ था, जिसके तहत ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ रक्षा समझौते करने वाली कंपनियों को लक्षित किया गया.

रूस के दौरे पर मॉस्कों पहुंचे रक्षामंत्री

अमेरिकी सीनेटरों के एक समूह ने रूस पर यह कहते हुए प्रतिबंध लगाया कि उसकी यूक्रेन और सीरिया के युद्धों में मास्को की लगातार भागीदारी रहती है और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इसके कथित तौर पर हस्तक्षेप किया.

भारत ने अमेरिकी प्रतिबंधों की ट्रंप प्रशासन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए अक्टूबर 2018 में एस-400 हवाई रक्षा मिसाइल प्रणाली की पांच इकाइयां खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के करार पर दस्तखत किए थे.

15 जून को पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. इसमें भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे. इसलिए भारत सेना को मजबूती देने की लिए S-400 की जल्द से जल्द आपूर्ति चाहता है. आपकों बता दें कि चीन ने रूस से पहले ही इस मिसाइल की आपूर्ति करवा ली है.

अधिकारियों ने कहा कि चीन के साथ सीमा पर तनाव होने के बावजूद सिंह ने रूस की यात्रा स्थगित नहीं की क्योंकि रूस के साथ भारत के दशकों पुराने सैन्य संबंध हैं. उन्होंने कहा कि सिंह रूसी सैन्य अधिकारियों के साथ अपनी बातचीत में एस-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली समय पर उपलब्ध कराए जाने का आग्रह कर सकते हैं.

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रिपोर्टों से पता चलता है कि चीन पहले ही रूस से S-400 मिसाइल प्रणाली का अधिग्रहण कर चुका है. इस वजह से यह भारत के लिए चिंता विषय बना हुआ है. चीन के साथ सीमा पर बढ़ते तनाव के मद्देनजर भारत की प्रथम प्राथमिक S-400 आपूर्ति होगी.

राजनाथ सिंह रूस के उच्च सैन्य अधिकारियों के साथ वार्ता करेंगे और द्वितीय विश्वयुद्ध में नाजी जर्मनी पर सोवियत विजय की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में 24 जून को मॉस्को में आयोजित भव्य सैन्य परेड में शामिल होंगे.

राजनाथ सिंह से उम्मीद की जाती है कि वह रूसियों से भारत को प्राथमिकता देने का अनुरोध करेंगे और 2021 तक S-400 मिसाइल रक्षा प्रणालाी की दो इकाईयों की आपूर्ति करने का आग्रह कर सकते हैं.

भारत ने मिसाइल प्रणाली के लिए पिछले साल रूस को लगभग 80 करोड़ डॉलर की किस्त का पहला भुगतान किया था. मॉस्को को अगले साल की दूसरी छमाही में प्रणाली उपलब्ध कराने की शुरुआत करनी थी.

रूस रवाना होने से पहले सिंह ने ट्वीट किया, 'तीन दिवसीय यात्रा पर मॉस्को रवाना हो रहा हूं. यह यात्रा भारत-रूस रक्षा और सामरिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए बातचीत का अवसर देगी. मुझे मास्को में 75वीं विजय दिवस परेड में भी शामिल होना है.'

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रणनीतिक मामलों के विशेषज्ञ नितिन ए गोखले ने ईटीवी भारत से कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मॉस्को यात्रा का एक प्रमुख एजेंडा S-400 मिसाइल प्रणाली की डिलीवरी में तेजी लानी होगी. इसके लिए वह रूस को राजी करना चाहेंगे.

Last Updated : Jun 23, 2020, 12:25 AM IST
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