जयपुरः राजस्थान में 19 जून को राज्यसभा की 3 सीटों के चुनाव से पहले कांग्रेस और बीजेपी के बीच शह औत मात खेल शुरू हो गया है. राज्यसभा चुनाव को लेकर जारी घटनाक्रम पर अगर गौर करें तो कांग्रेस की तरफ से नाराज विधायकों और मंत्रियों को मनाने का सिलसला चालू है.
कांग्रेस नेता और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह से मुलाकात की. इसके बाद जाट नेता हेमाराम चौधरी से भी सुरजेवाला मिले. इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने यह कह कर सनसनी फैला दी कि कांग्रेस विधायकों के खरीद-फरोख्त की कोशिश हो रही है. बीजेपी ने गहलोत के इस आरोप को महज सनसनी करार दिया.
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संख्याबल के आधार पर देखें तो कांग्रेस राज्यसभा चुनाव में बीजेपी पर भारी पड़ती दिखाई दे रही है. 19 जून को राज्यसभा के तीन सीटों पर चुनाव हैं, जिसमें तीन में से दो सीटों पर कांग्रेस की जीत तो मुकम्मल ही दिखाई दे रही है, जोर आजमाइश तो तीसरी सीट के लिए हो रही है.
राज्य में 200 विधायक हैं जिसमें 107 सीटें कांग्रेस के पास हैं. पिछले साल 6 बहुजन समाज पार्टी के विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए थे, इसके अलावा 13 में से 12 निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी कांग्रेस के साथ है तो फिर राजस्थान की सियासत उबाल पर क्यों है?
सीएम गहलोत धाक जमाना चाहते हैंः अवधेश आकोदिया
राजनीतिक विश्लेषक अवधेश आकोदिया कहते हैं कि अशोक गहलोत इस चुनाव के जरिए अपनी धाक जमाना चाहते हैं, लेकिन सतही तौर पर देखें तो इसकी कोई स्पष्ट वजह नहीं दिखती है, क्योंकि इस वक्त ना तो सरकार को कोई खतरा है और ना ही उनके नेतृत्व को ही कोई खतरा दिख रहा है. जब कांग्रेस के पास पर्याप्त संख्याबल है, निर्दलीय विधायकों का भी बल है, तो आखिर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को डर किस बात की है. क्या कांग्रेस को कांग्रेस से ही खतरा है, फिलहाल इसकी भी कोई सार्थक वजह नहीं है.
MP से राजस्थान की स्थिति काफी भिन्न...
मध्यप्रदेश से राजस्थान की स्थिति काफी भिन्न है. यहां अगर शक की सुई सचिन पायलट पर जाती है तो यह भी गलत है, क्योंकि सचिन पायलट इस समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष हैं, साथ ही वह सरकार में उप मुख्यमंत्री भी हैं.
वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा ईटीवी से बातचीत में कहते हैं कि राजस्थान में अशोक गहलोत के विकल्प के बारे में कोई नहीं सोच रहा है. जबतक सचिन पायलट खुद मैदान में न आ जाएं, जिसकी संभावना बेहद कम है.