नई दिल्ली : भारतीय रेलवे दिसंबर 2021 तक सभी 6,000 इंजनों में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) लगाएगा. यह डिजिटल इंडिया इनिशिएटिव का हिस्सा है, इसका उद्देश्य यात्री और माल गाड़ियों के परिचालन की दक्षता में सुधार और ट्रेनों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है.
इसके अलावा भारतीय रेलवे ट्रैकिंग सिस्टम को उन्नत बनाने के लिए दिसंबर 2022 तक अपने सभी बोगियों और इंजनों में रेडियो-फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टैग (RFID) का उपयोग करेगा. इससे रेलवे के लिए इंजनों और बोगियों की सटीक स्थिति को ट्रैक करना आसान हो जाएगा.
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद कुमार यादव ने गुरुवार को प्रेस वार्ता में बताया कि रेलवे पहले ही 2,700 इलेक्ट्रिक इंजनों और 3,800 डीजल इंजनों में जीपीएस सिस्टम लगा चुका है.
उन्होंने कहा, 'रेलवे की सभी प्रमुख प्रक्रियाओं को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया गया है, जिसमें ट्रेनों की सैटेलाइट ट्रैकिंग भी शामिल है. दिसंबर 2021 तक, सभी 6,000 लोकोमोटिव (इंजनों) को जीपीएस से लैस किया जाएगा.'
साथ ही यादव ने कहा कि भारतीय रेलवे ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं. उन्होंने कहा कि 600 इंजनों को इस साल के अंत तक जीपीएस से जोड़ा जाएगा.
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि इस कदम से ट्रेनों के संचालन में सुधार होगा. साथ ही ट्रेनों की दक्षता और उनकी सुरक्षा में भी सुधार होगा.
बता दें कि इंजनों में इंस्टॉल जीपीएस सिस्टम से ट्रेनों की स्पीड और लोकेशन से संबंधित रियल टाइम डेटा की जानकारी मिलती है. यह ट्रेनों के आगमन और प्रस्थान के बारे में यात्रियों को सही जानकारी देने में भी मदद करता है.