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राफेल मामले में केन्द्र को झटका, मामले की दोबारा होगी सुनवाई

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Published : Apr 10, 2019, 11:05 AM IST

Updated : Apr 10, 2019, 1:15 PM IST

राफेल मामले में SC ने केंद्र को झटका देते हुए उसकी दलीलें खारिज कर दी हैं. साथ ही रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हिस्सा होंगे.

प्रतीकात्मक इमेज.

नई दिल्ली: राफेल मामले पर केंद्र सरकार को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले पर दोबारा सुनवाई के लिए तैयार हो गयी है. राफेल मामले पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हिस्सा होंगे.

जानकारी के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था.

14 दिसंबर के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

पीठ ने कहा, 'केंद्र द्वारा जताई गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम पुनर्विचार याचिकाओं के अन्य पहलू पर विचार करेंगे.'

उसने कहा, 'अगर हम प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर देते हैं, तभी दूसरे पहलुओं को देखेंगे.'

केंद्र सरकार ने दावा किया था कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़े दस्तावेजों को विशेषाधिकार प्राप्त बताया था और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के अनुसार इन दस्तावेजों को सबूत नहीं माना जा सकता.

केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई उन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता क्योंकि इन दस्तावेजों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी संरक्षण प्राप्त है। सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 (1)(A) के अनुसार भी जानकारी सार्वजनिक करने से छूट प्राप्त है. हांलाकि भूषण ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण हैं और पूरी तरह अविचारणीय हैं.

अरुण शौरी ने दी प्रतिक्रिया
राफेल सौदे मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने बुधवार का कहा कि वह दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र के तर्क को सर्वसम्मति से खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से खुश हैं.
शौरी ने कहा कि वह प्रसन्न हैं, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से दिए फैसले में केंद्र सरकार के दस्तावेजों की स्वीकार्यता संबंधी अजीब तर्क को खारिज कर दिया. केंद्र सरकार के तर्क का अर्थ है कि रक्षा सौदे में कोई गलती नहीं की जा सकती.'

कांग्रेस ने क्या कहा
मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'मोदी जी जितना चाहें भाग सकते हैं और झूठ बोल सकते हैं। लेकिन आज नहीं तो कल सच सामने आ जाएगा.'
उन्होंने दावा किया, 'राफेल घोटाले की परतें एक-एक करके खुल रही हैं. अब 'कोई गोपनीयता का कानून नहीं है' जिसके पीछे आप छिप सकें.'

सुरजेवाला ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने कानूनी सिद्धान्त को बरकरार रखा है. परेशान मोदी जी ने राफेल के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून लगाने की धमकी दी.
चिंता मत करिए मोदी जी, अब जांच होने जा रही है चाहे आप चाहें या नहीं चाहें.'

नई दिल्ली: राफेल मामले पर केंद्र सरकार को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट राफेल मामले पर दोबारा सुनवाई के लिए तैयार हो गयी है. राफेल मामले पर बुधवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने रक्षा मंत्रालय से लीक हुए दस्तावेजों की वैधता को मंजूरी दे दी है. कोर्ट के फैसले के मुताबिक दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई का हिस्सा होंगे.

जानकारी के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस पर फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने 14 मार्च को उन विशेषाधिकार वाले दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र की प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला सुरक्षित रखा था जिन्हें पूर्व केंद्रीय मंत्रियों यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी तथा वकील प्रशांत भूषण ने शीर्ष अदालत के 14 दिसंबर के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका में शामिल किया था.

14 दिसंबर के फैसले में उच्चतम न्यायालय ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे के खिलाफ सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया था.

पीठ ने कहा, 'केंद्र द्वारा जताई गयी प्रारंभिक आपत्तियों पर फैसला करने के बाद ही हम पुनर्विचार याचिकाओं के अन्य पहलू पर विचार करेंगे.'

उसने कहा, 'अगर हम प्रारंभिक आपत्ति को खारिज कर देते हैं, तभी दूसरे पहलुओं को देखेंगे.'

केंद्र सरकार ने दावा किया था कि फ्रांस के साथ राफेल लड़ाकू विमान सौदे से जुड़े दस्तावेजों को विशेषाधिकार प्राप्त बताया था और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के अनुसार इन दस्तावेजों को सबूत नहीं माना जा सकता.

केंद्र की तरफ से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा था कि संबंधित विभाग की अनुमति के बिना कोई उन्हें अदालत में पेश नहीं कर सकता क्योंकि इन दस्तावेजों को सरकारी गोपनीयता कानून के तहत भी संरक्षण प्राप्त है। सूचना के अधिकार कानून की धारा 8 (1)(A) के अनुसार भी जानकारी सार्वजनिक करने से छूट प्राप्त है. हांलाकि भूषण ने दलील दी थी कि केंद्र सरकार की आपत्तियां दुर्भावनापूर्ण हैं और पूरी तरह अविचारणीय हैं.

अरुण शौरी ने दी प्रतिक्रिया
राफेल सौदे मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी ने बुधवार का कहा कि वह दस्तावेजों की स्वीकार्यता पर केंद्र के तर्क को सर्वसम्मति से खारिज करने के उच्चतम न्यायालय के आदेश से खुश हैं.
शौरी ने कहा कि वह प्रसन्न हैं, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने सर्वसम्मति से दिए फैसले में केंद्र सरकार के दस्तावेजों की स्वीकार्यता संबंधी अजीब तर्क को खारिज कर दिया. केंद्र सरकार के तर्क का अर्थ है कि रक्षा सौदे में कोई गलती नहीं की जा सकती.'

कांग्रेस ने क्या कहा
मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, 'मोदी जी जितना चाहें भाग सकते हैं और झूठ बोल सकते हैं। लेकिन आज नहीं तो कल सच सामने आ जाएगा.'
उन्होंने दावा किया, 'राफेल घोटाले की परतें एक-एक करके खुल रही हैं. अब 'कोई गोपनीयता का कानून नहीं है' जिसके पीछे आप छिप सकें.'

सुरजेवाला ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय ने कानूनी सिद्धान्त को बरकरार रखा है. परेशान मोदी जी ने राफेल के भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले स्वतंत्र पत्रकारों के खिलाफ सरकारी गोपनीयता कानून लगाने की धमकी दी.
चिंता मत करिए मोदी जी, अब जांच होने जा रही है चाहे आप चाहें या नहीं चाहें.'

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Last Updated : Apr 10, 2019, 1:15 PM IST
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