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राफेल से बढ़ेगी ताकत, जानिए वायुसेना ने अंबाला एयरबेस ही क्यों चुना - राफेल के लिए अंबाला एयरबेस

आज लड़ाकू विमान राफेल को भारतीय वायुसेना में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया.बता दें, 29 जुलाई को पांच राफेल विमानों की पहली खेप अंबाला एयरबेस पहुंची थी. इस लड़ाकू विमान की खासियत क्या है और राफेल के लिए अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया ? जानिए कुछ दिलचस्प तथ्य इस विशेष रिपोर्ट में...

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जानें, अंबाला एयरबेस और वायुसेना की ताकत राफेल के बारे में...
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Published : Sep 10, 2020, 9:11 AM IST

Updated : Sep 10, 2020, 12:07 PM IST

अंबाला : चीन से तनातनी के बीच पांच राफेल विमानों की पहली खेप भारतीय वायुसेना को सौंपी जा चुकी है. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर हैं. ये विमान भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 17 'द गोल्डन एरोज' में शामिल किए गए हैं. अंबाला स्थित एयरबेस को ये पांचों राफेल विमान सौंपे गए हैं.

अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?

अंबाला एयरबेस का भी अपना गौरवशाली इतिहास और बहादुरी के कई किस्से हैं. यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है. साथ ही अंबाला एयरबेस इकलौता एयरबेस है, जहां से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं तक महज 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है और किसी भी युद्ध का अंजाम बदला जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

इंडियन एयर फोर्स के एक्स सार्जेंट खुशबीर सिंह दत्त ने बताया कि अंबाला एयरबेस के बेड़े पर इन लड़ाकू विमानों को शामिल करने का काफी अधिक महत्व है. इससे पहले भी जितनी बार युद्ध हुए हैं हमेशा दुश्मन की सेनाएं अंबाला एयरबेस को ही टारगेट बनाती थी ताकि मिलिट्री को किसी भी तरह की वायु सेना की मदद न प्राप्त हो सके.

राफेल विमान की खासियत

  • दुनिया के सबसे ताकतवर लडाकू विमानों में शुमार राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
  • ये विमान एक मिनट में 2500 राउंड फायरिंग की क्षमता रखता है.
  • इसकी अधिकतम स्पीड 2130 किमी/घंटा है और ये 3700 किमी तक मारक क्षमता रखता है.
  • इस विमान में एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है, जो कि पाकिस्तान के एफ-16 से 5300 किलो ज्यादा है.
  • राफेल न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में भी ये खूबी नहीं है.
  • हवा से लेकर जमीन तक हमला करने की काबिलियत रखने वाले राफेल में 3 तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल और तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.

द गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन को मिलेगी कमान

राफेल विमानों का ये बेड़ा एयरफोर्स की 17वीं स्क्वाड्रन को सौंपा गया है. इस स्क्वाड्रन को द गोल्डन एरोज (The Golden Arrows) के नाम से जाना जाता है. इस स्क्वाड्रन का भी बड़ा गौरवशाली इतिहास है. अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन में स्थित ये वही स्क्वाड्रन है, जिसने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. तब इस स्क्वाड्रन की कमांड पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के हाथों में थी. तव वे इस स्क्वॉड्रन के विंग कमांडर थे. 17वीं स्क्वाड्रन के बमबर्षक में मिग-21 प्रमुख रूप से शामिल थे.

पढ़ें :

जब देश में मिग-21 विमानों की दुर्घटना ज्यादा होने लगी तो इस विमान को वायुसेना से बाहर किया जाने लगा. इसके बाद 2016 में इस स्क्वाड्रन को भंग कर दिया था, लेकिन राफेल मिलने के साथ ही इस स्क्वाड्रन को फिर से सक्रिय किया गया है. सितंबर 2019 में द गोल्डन एरोज को एक बार फिर से बहाल कर दिया गया. सरकार ने फैसला किया कि नए राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती यहीं पर की जाएगी. इसी के साथ ही हवा के ये जांबाज राफेल की ताकत से लैस होकर देश की हिफाजत करने को फिर से तैयार हैं.

भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदें हैं जिसमें से 5 विमान आ चुके हैं और बाकी विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. भारतीय वायुसेना में राफेल की एंट्री के साथ ही अब कोई भी मुल्क भारत की ओर नजर उठाकर देखने से पहले 10 बार सोचेगा.

अंबाला : चीन से तनातनी के बीच पांच राफेल विमानों की पहली खेप भारतीय वायुसेना को सौंपी जा चुकी है. इन पांच विमानों में तीन सिंगल सीटर और दो डबल सीटर हैं. ये विमान भारतीय वायुसेना के स्क्वाड्रन नंबर 17 'द गोल्डन एरोज' में शामिल किए गए हैं. अंबाला स्थित एयरबेस को ये पांचों राफेल विमान सौंपे गए हैं.

अंबाला एयरबेस को ही क्यों चुना गया?

अंबाला एयरबेस का भी अपना गौरवशाली इतिहास और बहादुरी के कई किस्से हैं. यहां पर भारत के जंगी बेड़े की सबसे घातक और सुपरसोनिक मिसाइल, ब्रह्मोस की स्क्वाड्रन भी तैनात है. साथ ही अंबाला एयरबेस इकलौता एयरबेस है, जहां से चीन और पाकिस्तान की सीमाओं तक महज 15 मिनट में पहुंचा जा सकता है और किसी भी युद्ध का अंजाम बदला जा सकता है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

इंडियन एयर फोर्स के एक्स सार्जेंट खुशबीर सिंह दत्त ने बताया कि अंबाला एयरबेस के बेड़े पर इन लड़ाकू विमानों को शामिल करने का काफी अधिक महत्व है. इससे पहले भी जितनी बार युद्ध हुए हैं हमेशा दुश्मन की सेनाएं अंबाला एयरबेस को ही टारगेट बनाती थी ताकि मिलिट्री को किसी भी तरह की वायु सेना की मदद न प्राप्त हो सके.

राफेल विमान की खासियत

  • दुनिया के सबसे ताकतवर लडाकू विमानों में शुमार राफेल एक मिनट में 60 हजार फीट की ऊंचाई तक पहुंच सकता है.
  • ये विमान एक मिनट में 2500 राउंड फायरिंग की क्षमता रखता है.
  • इसकी अधिकतम स्पीड 2130 किमी/घंटा है और ये 3700 किमी तक मारक क्षमता रखता है.
  • इस विमान में एक बार में 24,500 किलो तक का वजन ले जाया जा सकता है, जो कि पाकिस्तान के एफ-16 से 5300 किलो ज्यादा है.
  • राफेल न सिर्फ फुर्तीला है, बल्कि इससे परमाणु हमला भी किया जा सकता है. पाकिस्तान के सबसे ताकतवर फाइटर जेट एफ-16 और चीन के जे-20 में भी ये खूबी नहीं है.
  • हवा से लेकर जमीन तक हमला करने की काबिलियत रखने वाले राफेल में 3 तरह की मिसाइलें लगेंगी. हवा से हवा में मार करने वाली मीटियोर मिसाइल. हवा से जमीन में मार करने वाली स्कैल्प मिसाइल और तीसरी है हैमर मिसाइल. इन मिसाइलों से लैस होने के बाद राफेल काल बनकर दुश्मनों पर टूट पड़ेगा.

द गोल्डन एरोज स्क्वाड्रन को मिलेगी कमान

राफेल विमानों का ये बेड़ा एयरफोर्स की 17वीं स्क्वाड्रन को सौंपा गया है. इस स्क्वाड्रन को द गोल्डन एरोज (The Golden Arrows) के नाम से जाना जाता है. इस स्क्वाड्रन का भी बड़ा गौरवशाली इतिहास है. अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन में स्थित ये वही स्क्वाड्रन है, जिसने 1999 में करगिल युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ठिकानों को ध्वस्त कर दिया था. तब इस स्क्वाड्रन की कमांड पूर्व एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के हाथों में थी. तव वे इस स्क्वॉड्रन के विंग कमांडर थे. 17वीं स्क्वाड्रन के बमबर्षक में मिग-21 प्रमुख रूप से शामिल थे.

पढ़ें :

जब देश में मिग-21 विमानों की दुर्घटना ज्यादा होने लगी तो इस विमान को वायुसेना से बाहर किया जाने लगा. इसके बाद 2016 में इस स्क्वाड्रन को भंग कर दिया था, लेकिन राफेल मिलने के साथ ही इस स्क्वाड्रन को फिर से सक्रिय किया गया है. सितंबर 2019 में द गोल्डन एरोज को एक बार फिर से बहाल कर दिया गया. सरकार ने फैसला किया कि नए राफेल लड़ाकू विमानों की तैनाती यहीं पर की जाएगी. इसी के साथ ही हवा के ये जांबाज राफेल की ताकत से लैस होकर देश की हिफाजत करने को फिर से तैयार हैं.

भारत ने फ्रांस से 36 राफेल विमान खरीदें हैं जिसमें से 5 विमान आ चुके हैं और बाकी विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक पूरी हो जाएगी. भारतीय वायुसेना में राफेल की एंट्री के साथ ही अब कोई भी मुल्क भारत की ओर नजर उठाकर देखने से पहले 10 बार सोचेगा.

Last Updated : Sep 10, 2020, 12:07 PM IST
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