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प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना को लेकर भ्रम में हैं निजी अस्पताल

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Published : May 29, 2020, 6:05 PM IST

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत कोविड-19 के इलाज के लिए बीमा पैकेज को परिभाषित नहीं किया है. इस कारण कई राज्यों के निजी अस्पताल इसको लेकर पूरी तरह से भ्रम में हैं. कई अस्पतालों को जानकारी नहीं है कि कोविड-19 के तहत दावा करने के लिए कौन सा पैकेज है और उपचार की लागत क्या है?

प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र

नई दिल्ली : देशभर में कई राज्यों ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत कोविड -19 के इलाज के लिए बीमा पैकेज को परिभाषित नहीं किया है. इतना ही देशभर के निजी अस्पतालों में PMJAY के तहत किए गए उपचार के दावों की प्रक्रिया को लागू करने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.

कई राज्यों के निजी अस्पताल इसको लेकर पूरी तरह से भ्रम में हैं. कई अस्पतालों को जानकारी नहीं है कि कोविड-19 के तहत दावा करने के लिए कौन सा पैकेज है और उपचार की लागत क्या है?

वसूली नहीं होने का डर ने इस तरह के उपचारों के खर्च में अनिश्चितता ने उनके समस्या को और बढ़ा दिया है.

उल्लेखनीय है कि कोविड 19 का इलाज सरकारी अस्पतालों में तो निःशुल्क है, लेकिन निजी अस्पतालों में ऐसा नहीं है.

निजी बीमा कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अधिकतर राज्यों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पैकेज को परिभाषित नहीं किया गया है. इस कारण मरीजों को ज्यादातर सांस की बीमारी के तहत वर्गीकृत किया जा रहा है.

अधिकारी ने आगे कहा कि लोग इलाज के खर्च के बारे में निश्चित नहीं हैं. यदि PMJAY में कोई पैकेज है, तो गरीब लोगों को कम से कम उपचार की लागत के बारे में कुछ तो जानकारी हो.

पढ़ें : एक मजबूत, सुरक्षित और सशक्त भारत पीएम मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता : गृह मंत्री

PMJAY के तहत, वेंटिलेटर शुल्क लगभग 4,500 रुपये प्रतिदिन हैं. हालांकि, कोविड-19 के मामले में, कुछ सुरक्षा उपकरण अतिरिक्त लगते हैं, जैसे खर्चा लगभग सात हजार से आठ हजार पहुंच जाता है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के एक अधिकारी के अनुसार, अधिकतर राज्य सरकारें दो महीने के लॉकडाउन के बाद भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) से पैकेज की स्वीकृति प्राप्त नहीं कर पाई हैं.

अपनी ओर से, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि गुणवत्ता बनाए रखते हुए कीमतें सस्ती रहें.

एनएचए के सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने कहा कि स्वास्थ्य प्राधिकरण सभी राज्य सरकारों को कोविड-19 उपचार की कीमतों पर निजी अस्पतालों के साथ बातचीत करने के लिए राजी कर रहा है.

डॉ. भूषण ने स्वीकार किया है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना उपचार का थोक कारोबार किया जा रहा है. यह हकीकत है कि अब तक कोरोना में PMJAY की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं रही, लेकिन अगर मामलों की संख्या में वृद्धि होती है, तो सार्वजनिक क्षेत्र मरीजों की देखभाल करने में सक्षम नहीं हो सकता है. इसलिए निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाएगी.

डॉ. भूषण का यह भी मानना है कि अधिकतर निजी अस्पताल गंभीर आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं. यहां तक कि कई अस्पताल अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने की हालत में नहीं हैं. मुझे आशा है कि राज्य सरकारें अस्पतालों से बात करेंगे.

PMJAY के तहत सभी उपचारों में पिछले दो महीनों में गिरावट देखी गई है. अगस्त 2019 और फरवरी 2020 में जहां 7.4 लाख लोगों का इलाज हुआ था. वहीं आंकड़ा मार्च 2020 में 57 प्रतिशत गिरकर 3.2 लाख हो गया और अप्रैल में यह 84 प्रतिशत से 53,000 तक सीमित हो गया.

नई दिल्ली : देशभर में कई राज्यों ने प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY) के तहत कोविड -19 के इलाज के लिए बीमा पैकेज को परिभाषित नहीं किया है. इतना ही देशभर के निजी अस्पतालों में PMJAY के तहत किए गए उपचार के दावों की प्रक्रिया को लागू करने में मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है.

कई राज्यों के निजी अस्पताल इसको लेकर पूरी तरह से भ्रम में हैं. कई अस्पतालों को जानकारी नहीं है कि कोविड-19 के तहत दावा करने के लिए कौन सा पैकेज है और उपचार की लागत क्या है?

वसूली नहीं होने का डर ने इस तरह के उपचारों के खर्च में अनिश्चितता ने उनके समस्या को और बढ़ा दिया है.

उल्लेखनीय है कि कोविड 19 का इलाज सरकारी अस्पतालों में तो निःशुल्क है, लेकिन निजी अस्पतालों में ऐसा नहीं है.

निजी बीमा कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अधिकतर राज्यों में प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पैकेज को परिभाषित नहीं किया गया है. इस कारण मरीजों को ज्यादातर सांस की बीमारी के तहत वर्गीकृत किया जा रहा है.

अधिकारी ने आगे कहा कि लोग इलाज के खर्च के बारे में निश्चित नहीं हैं. यदि PMJAY में कोई पैकेज है, तो गरीब लोगों को कम से कम उपचार की लागत के बारे में कुछ तो जानकारी हो.

पढ़ें : एक मजबूत, सुरक्षित और सशक्त भारत पीएम मोदी की सर्वोच्च प्राथमिकता : गृह मंत्री

PMJAY के तहत, वेंटिलेटर शुल्क लगभग 4,500 रुपये प्रतिदिन हैं. हालांकि, कोविड-19 के मामले में, कुछ सुरक्षा उपकरण अतिरिक्त लगते हैं, जैसे खर्चा लगभग सात हजार से आठ हजार पहुंच जाता है.

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के एक अधिकारी के अनुसार, अधिकतर राज्य सरकारें दो महीने के लॉकडाउन के बाद भी राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (NHA) से पैकेज की स्वीकृति प्राप्त नहीं कर पाई हैं.

अपनी ओर से, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण यह सुनिश्चित करने की कोशिश कर रहा है कि गुणवत्ता बनाए रखते हुए कीमतें सस्ती रहें.

एनएचए के सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने कहा कि स्वास्थ्य प्राधिकरण सभी राज्य सरकारों को कोविड-19 उपचार की कीमतों पर निजी अस्पतालों के साथ बातचीत करने के लिए राजी कर रहा है.

डॉ. भूषण ने स्वीकार किया है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना उपचार का थोक कारोबार किया जा रहा है. यह हकीकत है कि अब तक कोरोना में PMJAY की महत्वपूर्ण भूमिका नहीं रही, लेकिन अगर मामलों की संख्या में वृद्धि होती है, तो सार्वजनिक क्षेत्र मरीजों की देखभाल करने में सक्षम नहीं हो सकता है. इसलिए निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ जाएगी.

डॉ. भूषण का यह भी मानना है कि अधिकतर निजी अस्पताल गंभीर आर्थिक समस्या का सामना कर रहे हैं. यहां तक कि कई अस्पताल अपने कर्मचारियों को तनख्वाह देने की हालत में नहीं हैं. मुझे आशा है कि राज्य सरकारें अस्पतालों से बात करेंगे.

PMJAY के तहत सभी उपचारों में पिछले दो महीनों में गिरावट देखी गई है. अगस्त 2019 और फरवरी 2020 में जहां 7.4 लाख लोगों का इलाज हुआ था. वहीं आंकड़ा मार्च 2020 में 57 प्रतिशत गिरकर 3.2 लाख हो गया और अप्रैल में यह 84 प्रतिशत से 53,000 तक सीमित हो गया.

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