नई दिल्ली : विपक्षी नेताओं ने बुधवार को कार्यकर्ता स्टान स्वामी के साथ एकजुटता प्रदर्शित की, जिन पर यूएपीए के तहत मामला दर्ज किया गया है और मांग की कि कठोर कानून को वापस लिया जाए.
उन्होंने लोगों से अपील की कि वे लोगों के अधिकार छीने जाने के सरकार के प्रयासों पर अपनी चुप्पी तोड़ें.
एनआईए ने 83 वर्षीय स्वामी को आठ अक्टूबर को भीमा कोरेगांव मामले में गिरफ्तार किया था. कार्यकर्ताओं एवं नेताओं ने स्वामी की गिरफ्तारी की निंदा की है और कहा है कि पार्किंसन बीमारी से ग्रस्त होने और स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याएं होने के बावजूद वह जेल में हैं.
पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज (पीयूसीएल) की तरफ से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दावा किया कि केंद्र सरकार हाशिए पर खड़े समुदाय के लोगों की आवाज दबाने का प्रयास कर रही है.
एक वीडियो संदेश में उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकार में एकता, ईमानदारी और लोकतांत्रिक ढांचे पर हमला किया जा रहा है.
उन्होंने कहा आज केंद्र में राजग की सरकार है यह उन लोगों की आवाज दबा रही है जो आदिवासियों, दलितों और हाशिये के लोगों के लिए आवाज उठा रहे हैं, यह गैर भाजपा शासित राज्यों को प्रताड़ित कर रही है, आज हमारे देश में विभिन्न संवैधानिक व्यवस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है.
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माकपा नेता सीताराम येचुरी और द्रमुक की कनिमोई ने सिविल सोसाइटी समूहों और लोगों से अपील की कि लोगों के अधिकारों पर सरकार द्वारा किए जा रहे हमले पर अपनी चुप्पी तोड़ें.
मामले में यूएपीए के तहत कुल 16 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
येचुरी ने आरोप लगाए यूएपीए का घोर दुरुपयोग किया गया है, पोटा की तरह इस कानून को भी विधि की पुस्तक से निकालना होगा. हालांकि, यह केवल एक कानून का मुद्दा नहीं है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि स्वामी को सम्मान और समर्थन मिलना चाहिए, न कि जेल.