हैदराबाद : कोविड-19 के कारण भारत में सार्वजनिक परिवहन को सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन करने के लिए 6,00,000 बसों की संख्या की आवश्यकता होगी. दरअसल यहां 2.5 करोड़ दैनिक यात्री प्रतिदिन सफर करते है. दिल्ली स्थित रणनीतिक संचार संस्था 'क्लाइमेट ट्रेंड्स' ने अपने अध्ययन यह जानकारी दी है.
भारत में बस
सड़क परिवहन 2016-17 के रिकार्ड के अनुसार भारत का सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय सड़कों पर चलने वाली बसों के कुल हिस्सों का केवल 149100 (8.0%) है. बाकी के 1715200 (92.0%) निजी क्षेत्र द्वारा चलाया जाता है. इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन एंड डेवलपमेंट पॉलिसी (ITDP) के अनुसार लगभग 20% शहरी यात्री दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में सार्वजनिक परिवहन पर निर्भर है.
अध्ययन में पाया गया कि 43 लाख की औसतन दैनिक सवारियों के साथ दिल्ली को कम से कम 14,300 बसों की आवश्यकता होगी. इसमें राष्ट्रीय राजधानी का कुल बस बेड़े 5,576 है. प्रति दिन महाराष्ट्र में बेस्ट ने औसतन 22 लाख यात्रियों के लिए 2,865 बसों का संचालन करता है.
टीएसआरटीसी की 10,460 बसें हैं और सामान्य दिनों में इसकी सेवाएं हर दिन एक करोड़ लोगों तक पहुंचती है. यूआईटीपी (इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट) के एक अध्ययन के अनुसार सर्वेक्षण किए गए बस ऑपरेटरों की औसतन कोविड 19 के पहले सवारियों की संख्या 15 लाख थी. अध्ययन के अनुसार 43 लाख की औसत दैनिक सवारियों के साथ दिल्ली को 14,300 बसों की आवश्यकता होगी. इसमें कुल बसों की संख्या 5,576 है.
भारत को अपने सार्वजनिक परिवहन बेड़े में 24 गुना कम बसें हैं क्योंकि लोगों को कोविड के समय में सामाजिक दूरियों के मानदंडों का पालन करने की आवश्यकता है.
बृहन्मुंबई इलेक्ट्रिक सप्लाई और ट्रांसपोर्ट बसों में केवल 30 यात्रियों को ही अनुमति देने के मुंबई मानदंडों के अनुसार अध्ययन में पाया गया कि देश को प्रतिदिन 2.5 करोड़ यात्रियों के लिए 666,667 बसों की आवश्यकता होगी. हालांकि, वर्तमान में इसके पास केवल 25,000 ऑपरेशनल बसें है.
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कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बसें लॉकडाउन के दौरान केवल एक से दो प्रतिशत सामान्य सेवाएं चालू थीं. 67 प्रतिशत ऑपरेटर केवल सरकारी अनुरोधों पर चिकित्सा और आवश्यक कर्मियों के लिए विशेष सेवाएं संचालित कर रहा था.