नई दिल्ली : ख्यातिनाम महिला तीक्ष्णतावादी और राष्ट्रीय महिला फेडरेशन (NFIW) की उपाध्यक्ष गार्गी चक्रवर्ती ने महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध की बढ़ती घटनाओं में अपराधी और सांसदों के बीच सांठगांठ पर गंभीर चिंता व्यक्त की है.
गार्गी ने ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि महिलाओं के बढ़ते अपराध की समस्या व्यवस्था की वजह से है. यह एक कैंसर की तरह है, अगर समय पर इसका पता नहीं चला तो आगे दिक्कत बहुत बढ़ जाती है.
अपनी चिंता व्यक्त करते हुए, चक्रवर्ती ने कहा कि अपराधी केवल संसद में ही नहीं हैं, बल्कि अपराधियों के साथ उनकी साठगांठ भी एक गंभीर खतरा है.
गार्गी ने कहा कि उन्नाव, कठुआ और चिन्मयानंद के मामले कुछ ऐसे रहे हैं, जिनमें सांसद भी संलिप्त रहे हैं.
महिला कार्यकर्ता ने कहा, 'अभियुक्तों को बरी करना भी एक गंभीर मामला है. हमें यह सोचने की जरूरत है कि उन लोगों को छुड़ाने के पीछे कौन लोग शामिल है.'
एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) के सर्वेक्षण के अनुसार, नए चुने गए लोकसभा सदस्यों में से लगभग आधे के खिलाफ आपराधिक आरोप हैं, 2014 की तुलना में इसमें 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई है.
एडीआर द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में पता चला कि 539 निर्वाचित उम्मीदवारों में से 233 सांसदों या 43 प्रतिशत पर आपराधिक आरोप हैं.
इन सांसदों में से 116 (39%) आपराधिक मामलों वाले सांसद अकेले भाजपा के खेमे में हैं. इसके बाद कांग्रेस के 29 (57%) सांसदों पर आपरधिक आरोप लगे हैं, वहीं जदयू से 13 (81%), द्रमुक से 10 (43%) और त्रिणमूल कांग्रेस से 9 (41%) उम्मीदवार शामिल हैं.
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विडंबना यह है कि मौजूदा सांसदों के खिलाफ दर्ज मामलों में से 29 प्रतिशत बलात्कार, हत्या, हत्या का प्रयास या महिलाओं के खिलाफ अपराध शामिल हैं.
चक्रवर्ती ने कहा कि भीड़तंत्र या सार्वजनिक लिंचिंग इसका समाधान नहीं है. हमें पुलिस सुधारों और ऐसे मामलों के फास्ट ट्रैक ट्रायल की जरूरत है.
उन्होंने यह बात संसद में राज्यसभा सांसद जया बच्चन द्वारा दिए गए एक बयान का उल्लेख करते हुए कही.
गौरतलब है कि हैदराबाद स्थित महिला पशु चिकित्सक के क्रूर सामूहिक बलात्कार और हत्या से पूरे भारत में महिलाओं की सुरक्षा पर नई बहस छेड़ दी है.
इससे पहले ऐसा 2012 में हुआ था, जब एक 23 वर्षीय युवती के क्रूर सामूहिक बलात्कार पर पूरे देश ने नाराजगी जताई थी.