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कोरोना संकट में हर व्यक्ति को मुहैया करा रहे पौष्टिक आहार : रामविलास

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Published : Jun 16, 2020, 7:56 PM IST

Updated : Jun 16, 2020, 9:48 PM IST

केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, आत्म निर्भर भारत पैकेज, वन नेशन वन राशन कार्ड सहित कई अहम मुद्दों पर ईटीवी भारत से खास बातचीत की. जानें, केंद्रीय मंत्री ने क्या कुछ कहा...

रामविलास पासवान
रामविलास पासवान

नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और कोरोना संकट से लड़ने की पुख्ता योजना के कारण ही इस देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी देश में कहीं भी अनाज की कोई कमी नहीं हुई और किसी व्यक्ति को भूख का सामना नहीं करना पड़ा. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पासवान ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, आत्म निर्भर भारत पैकेज, वन नेशन वन राशन कार्ड सहित कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे.

सवाल : कोरोना संकट में देश में अनाज की कमी न हो, कोई भूखा न रहे, इसके लिए राज्यों में समय पर खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती थी. राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में समय पर अनाज पहुंचाना कैसे संभव हो पाया ?

जवाब : कोरोना महामारी के देश में पैर फैलाने से पहले ही इसे प्रभावी ढंग से निबटने के लिए सरकार ने सही समय पर सही फैसले लिए और देशव्यापी लॉकडाउन, प्रधानमंत्री मोदी का ठोस कदम था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और कोरोना संकट से लड़ने की पुख्ता योजना के कारण ही इस देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी देश में कहीं भी अनाज की कोई कमी नहीं हुई और किसी व्यक्ति को भूख का सामना नहीं करना पड़ा.

लॉकडाउन से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों को पहले से ही भांपते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना PMGKAY लागू की गई और इसके तहत केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आनेवाले 81करोड़ लाभार्थियों को अप्रैल, मई और जून के लिए पांच किलो अनाज प्रति व्यक्ति और एक किलो दाल प्रति परिवार मुफ्त वितरित करने का फैसला किया और इसके लिए 104.3 लाख मैट्रिक टन (LMT) चावल, 15.2 LMT गेहूं और 5.87 LMT दाल का आवंटन किया गया और देश के कोने कोने तक समय पर खाद्यान्न की आपूर्ति की जिम्मेदारी हमारे मंत्रालय को सौंपी गई.

भारतीय खाद्य निगम (FCI) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने इस जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभाया है. लॉकडाउन से अबतक FCI ने नियमित NFSA और PMGKAY के लिए रेलवे, सड़क मार्ग, जल मार्ग और पहाड़ी दुर्गम इलाकों में वायुसेना के हेलीकॉप्टर, घोड़े और बकरियों तक के माध्यम से 250 LMT अनाज का परिवहन किया है, जिसमें से 96.75 LMT चावल, 14.50 LMT गेहूं और 5.10 LMT दाल सभी राज्यों को प्राप्त हो चुका है और आगे भी जारी रहेगा.

सवाल : आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासी मजदूरों व वैसे लोगों को, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है, मई व जून महीने के लिए पांच किलो चावल या गेहूं तथा एक किलो चना दाल मुफ्त में दिया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत राज्यों में कितना अनाज व चना आवंटित हो चुका है और राज्यों ने कितना उठाव कर लिया है?

जवाब : सरकार ने 14 मई को आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की, जिसके तहत 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों, लॉकडाउन में फंसे लोग और जरूरतमंद लोग, जिनके पास कोई कार्ड नहीं है, उनको मई और जून महीने में 5 किलो अनाज प्रतिव्यक्ति और एक किलो चना प्रति परिवार मुफ्त दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने सभी राज्यों को 8 लाख टन अनाज और 39000 टन चना का आवंटन किया है और इसे सभी राज्यों को पहुंचाने की जिम्मेदारी भी हमारा मंत्रालय ही उठा रहा है. अबतक 6.25 लाख टन अनाज और 34,000 टन चना राज्यों को दिया जा चुका है और वितरण जारी है. सरकार का संकल्प है कि हर परिवार, हर व्यक्ति को संकट की इस घड़ी में पर्याप्त और पौष्टिक आहार मुहैय्या कराएंगे.

सवाल : PMGKAY व आत्म निर्भर भारत पैकेज जून तक के लिए है. अब कई राज्यों के द्वारा मांग की जा रही है कि इन योजनाओं को जून के बाद भी जारी रखा जाए? क्या इन योजनाओं को जुलाई में भी जारी रखा जाएगा?

जवाब : इन दोनों योजनाओं से गरीबों और जरूरतमंदों को इस कठिन वक्त में काफी राहत मिली है. इसे देखते हुए कई राज्यों ने इन योजनाओं को आगे बढ़ाने की मांग की है. स्थिति की समीक्षा की जा रही है. अभी सरकार ने इसपर कोई फैसला नहीं लिया है.

सवाल : मंत्री जी, आपने कहा है कि बरसात का मौसम शुरू हो रहा है. इसके मद्देनजर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और FCI को आपने निर्देश दिया है कि देश के हर कोने तक अगले चार महीने का पर्याप्त अनाज मिशन मोड में जल्द से जल्द पहुंचा दिया जाए. इस बारे में थोड़ा विस्तार से बताइए?

जवाब : देश के कोने-कोने तक जरूरत के मुताबिक अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी FCI की है जिसे यह पूरी गंभीरता से पूरा करता है। देशभर में फैले FCI के 2000 गोदामों से अनाज की आपूर्ति की जाती है और यह प्रक्रिया पूरे साल चलती रहती है. हर साल, पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में बरसात से पहले ही पर्याप्त अनाज का भंडारण कर लिया जाता है. इस वर्ष चूंकि PMGKAY और आत्मनिर्भर भारत योजना के लिए भी अतिरिक्त अनाज की आपूर्ति की जा रही है, इसलिए FCI के कंधों पर दोगुनी जिम्मेदारी आ गई है. इसीलिए मैंने विभाग को सतर्क किया है कि बरसात के चार महीने के सीजन के लिए पहाड़ी इलाकों में समय रहते अनाज का भंडारण कर लें ताकि कहीं भी अनाज की किल्लत न हो.

सवाल : ‘वन नेशन वन राशन कार्ड योजना’ क्या है? अब तक यह योजना कितने राज्यों में लागू हो चुकी है? देशभर में कब तक लागू हो जाएगी? इस योजना से सबसे ज्यादा लाभ किसको होगा?

जवाब : ‘वन नेशन वन राशन कार्ड योजना’ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके पूरे देशभर में लागू हो जाने के बाद NFSA के तहत आने वाले लाभुक देशभर में कहीं भी निवास करते हुए किसी PDS की दुकान से अपने हिस्से का अनाज ले सकेंगे. उनका पुराना राशन कार्ड ही पूरे देश में मान्य होगा. किसी नए राशन कार्ड की जरूरत नहीं होगी. एक जून से तीन राज्य- ओडिशा, सिक्किम व मिजोरम के इस योजना से जुड़ जाने के साथ ही अब तक कुल 20 राज्य IMPDS योजना से जुड़ गए हैं. वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को 31 मार्च 2021 तक पूरे देश में लागू करना है.

इसी कड़ी में 1 अगस्त तक उत्तराखंड, नागालैंड और मणिपुर को इससे जोड़ने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. बाकी बचे 13 राज्यों - प.बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, तमिलनाडु, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप और छत्तीसगढ़ को भी 31 मार्च 2021 तक इस योजना से जुड़ जाने के साथ वन नेशन वन राशनकार्ड योजना पूरे देश में लागू हो जाएगी.

इन 20 राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आने वाले यहां के लाभार्थी, इन किसी भी राज्य में निवास करते हुए, अपनी पसंद के राशन दुकान से e-PoS मशीन में अपने आधार कार्ड का सत्यापन करवाकर अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं. इसके लिए पुराना राशन कार्ड ही सभी जगह मान्य होगा. न किसी नए राशन कार्ड की जरूरत है और न ऐसा कोई नया राशन कार्ड जारी करने की सरकार की कोई योजना है. फिलहाल यह योजना देश के आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमण दीव, ओडिशा, सिक्किम और मिजोरम में लागू हो चुकी है. 1 अगस्त, 2020 तक उत्तराखण्ड, नागालैंड और मणिपुर सहित तीन और राज्य इस योजना से जुड़ जाएंगे.

पढ़ें - कांग्रेस से खुद का घर नहीं संभल रहा, भाजपा पर आरोप लगा रही : शेखावत

सवाल : देश में अभी कितना लाख टन अनाज है? उसमें कितना लाख टन चावल व गेहूं है? भविष्य में देश में अनाज की कोई कमी तो नहीं होगी न?

जवाब : 15 जून की रिपोर्ट के अनुसार अभी FCI के पास 269.31 LMT चावल और543.75 LMT गेंहू है. अत: कुल 813.06 LMT अनाज का स्टॉक उपलब्ध है. (चालू क्रय गेहूँ एवं धान, जो अभी गोदाम तक नहीं पहुंचा है, उसेछोड़कर). NFSA एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत एक माह के लिये लगभग 55 LMT अनाज की आवश्यकता होती है. इस हिसाब से सरकार के पास दो साल के लिए पर्याप्त अनाज का भंडार मौजूद है. इसके अलावा 11.87 LMT दाल का बफर स्टॉक उपलब्ध है.

सवाल: क्या ऐसे भी राज्य हैं, जिन्होंने PMGKAY व आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत अनाज का उठाव तो कर लिया, लेकिन वितरण नहीं किया?

जवाब : ऐसा नहीं है. सरकार राज्यों द्वारा किए जा रहे वितरण की पूरी निगरानी कर रही है और हर जगह लाभुकों को अनाज और दालों का वितरण हो रहा है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल और मई माह का वितरण लगभग पूरा हो चुका है. अप्रैल में इसका 93% और मई में 91% वितरण हो चुका है. जून में भी अबतक 28% वितरण पूरा हो गया है. आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी वितरण का काम पूरी तेजी से चल रहा है.

पढ़ें - विशेष : भारत को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बदलनी होगी रणनीति

सवाल : बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल है और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गरमा रहा है. आपने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सभी दल मिलकर प्रयास करें. इसके बारे में आपसे जानना चाहेंगे?

जवाब : आरक्षण के मुद्दे पर बार बार विवाद उठता रहता है. आरक्षण, बाबा साहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट की उपज है. इसपर सवाल उठाना, पूना पैक्ट को नकारना है. मंडल कमीशन पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जहां तक अनुसूचित जाति/जनजाति का सवाल है इसका संबंध अस्पृश्यता से है. संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति/जनजाति पहले से ही पिछड़ा है. संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत न सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग और ऊंची जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण दिया गया है. लोक जनशक्ति पार्टी ने सभी राजनीतिक दलों से मांग की है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पहले भी आप सभी इस सामाजिक मुद्दे पर साथ देते रहे हैं, फिर से इकठ्ठा हों. बार बार आरक्षण पर उठने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सबलोग मिलकर प्रयास करें ताकि हमेशा के लिए विवाद समाप्त हो जाए.

नई दिल्ली : केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री राम विलास पासवान ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और कोरोना संकट से लड़ने की पुख्ता योजना के कारण ही इस देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी देश में कहीं भी अनाज की कोई कमी नहीं हुई और किसी व्यक्ति को भूख का सामना नहीं करना पड़ा. ईटीवी भारत से खास बातचीत में पासवान ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना, आत्म निर्भर भारत पैकेज, वन नेशन वन राशन कार्ड सहित कई अहम मुद्दों पर अपने विचार रखे.

सवाल : कोरोना संकट में देश में अनाज की कमी न हो, कोई भूखा न रहे, इसके लिए राज्यों में समय पर खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती थी. राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में समय पर अनाज पहुंचाना कैसे संभव हो पाया ?

जवाब : कोरोना महामारी के देश में पैर फैलाने से पहले ही इसे प्रभावी ढंग से निबटने के लिए सरकार ने सही समय पर सही फैसले लिए और देशव्यापी लॉकडाउन, प्रधानमंत्री मोदी का ठोस कदम था. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व और कोरोना संकट से लड़ने की पुख्ता योजना के कारण ही इस देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान भी देश में कहीं भी अनाज की कोई कमी नहीं हुई और किसी व्यक्ति को भूख का सामना नहीं करना पड़ा.

लॉकडाउन से उत्पन्न होने वाली परिस्थितियों को पहले से ही भांपते हुए प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना PMGKAY लागू की गई और इसके तहत केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आनेवाले 81करोड़ लाभार्थियों को अप्रैल, मई और जून के लिए पांच किलो अनाज प्रति व्यक्ति और एक किलो दाल प्रति परिवार मुफ्त वितरित करने का फैसला किया और इसके लिए 104.3 लाख मैट्रिक टन (LMT) चावल, 15.2 LMT गेहूं और 5.87 LMT दाल का आवंटन किया गया और देश के कोने कोने तक समय पर खाद्यान्न की आपूर्ति की जिम्मेदारी हमारे मंत्रालय को सौंपी गई.

भारतीय खाद्य निगम (FCI) और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (NAFED) ने इस जिम्मेदारी को पूरी गंभीरता से निभाया है. लॉकडाउन से अबतक FCI ने नियमित NFSA और PMGKAY के लिए रेलवे, सड़क मार्ग, जल मार्ग और पहाड़ी दुर्गम इलाकों में वायुसेना के हेलीकॉप्टर, घोड़े और बकरियों तक के माध्यम से 250 LMT अनाज का परिवहन किया है, जिसमें से 96.75 LMT चावल, 14.50 LMT गेहूं और 5.10 LMT दाल सभी राज्यों को प्राप्त हो चुका है और आगे भी जारी रहेगा.

सवाल : आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत प्रवासी मजदूरों व वैसे लोगों को, जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है, मई व जून महीने के लिए पांच किलो चावल या गेहूं तथा एक किलो चना दाल मुफ्त में दिया जा रहा है. आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत राज्यों में कितना अनाज व चना आवंटित हो चुका है और राज्यों ने कितना उठाव कर लिया है?

जवाब : सरकार ने 14 मई को आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा की, जिसके तहत 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों, लॉकडाउन में फंसे लोग और जरूरतमंद लोग, जिनके पास कोई कार्ड नहीं है, उनको मई और जून महीने में 5 किलो अनाज प्रतिव्यक्ति और एक किलो चना प्रति परिवार मुफ्त दिया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने सभी राज्यों को 8 लाख टन अनाज और 39000 टन चना का आवंटन किया है और इसे सभी राज्यों को पहुंचाने की जिम्मेदारी भी हमारा मंत्रालय ही उठा रहा है. अबतक 6.25 लाख टन अनाज और 34,000 टन चना राज्यों को दिया जा चुका है और वितरण जारी है. सरकार का संकल्प है कि हर परिवार, हर व्यक्ति को संकट की इस घड़ी में पर्याप्त और पौष्टिक आहार मुहैय्या कराएंगे.

सवाल : PMGKAY व आत्म निर्भर भारत पैकेज जून तक के लिए है. अब कई राज्यों के द्वारा मांग की जा रही है कि इन योजनाओं को जून के बाद भी जारी रखा जाए? क्या इन योजनाओं को जुलाई में भी जारी रखा जाएगा?

जवाब : इन दोनों योजनाओं से गरीबों और जरूरतमंदों को इस कठिन वक्त में काफी राहत मिली है. इसे देखते हुए कई राज्यों ने इन योजनाओं को आगे बढ़ाने की मांग की है. स्थिति की समीक्षा की जा रही है. अभी सरकार ने इसपर कोई फैसला नहीं लिया है.

सवाल : मंत्री जी, आपने कहा है कि बरसात का मौसम शुरू हो रहा है. इसके मद्देनजर खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग और FCI को आपने निर्देश दिया है कि देश के हर कोने तक अगले चार महीने का पर्याप्त अनाज मिशन मोड में जल्द से जल्द पहुंचा दिया जाए. इस बारे में थोड़ा विस्तार से बताइए?

जवाब : देश के कोने-कोने तक जरूरत के मुताबिक अनाज पहुंचाने की जिम्मेदारी FCI की है जिसे यह पूरी गंभीरता से पूरा करता है। देशभर में फैले FCI के 2000 गोदामों से अनाज की आपूर्ति की जाती है और यह प्रक्रिया पूरे साल चलती रहती है. हर साल, पहाड़ी और दुर्गम इलाकों में बरसात से पहले ही पर्याप्त अनाज का भंडारण कर लिया जाता है. इस वर्ष चूंकि PMGKAY और आत्मनिर्भर भारत योजना के लिए भी अतिरिक्त अनाज की आपूर्ति की जा रही है, इसलिए FCI के कंधों पर दोगुनी जिम्मेदारी आ गई है. इसीलिए मैंने विभाग को सतर्क किया है कि बरसात के चार महीने के सीजन के लिए पहाड़ी इलाकों में समय रहते अनाज का भंडारण कर लें ताकि कहीं भी अनाज की किल्लत न हो.

सवाल : ‘वन नेशन वन राशन कार्ड योजना’ क्या है? अब तक यह योजना कितने राज्यों में लागू हो चुकी है? देशभर में कब तक लागू हो जाएगी? इस योजना से सबसे ज्यादा लाभ किसको होगा?

जवाब : ‘वन नेशन वन राशन कार्ड योजना’ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है, जिसके पूरे देशभर में लागू हो जाने के बाद NFSA के तहत आने वाले लाभुक देशभर में कहीं भी निवास करते हुए किसी PDS की दुकान से अपने हिस्से का अनाज ले सकेंगे. उनका पुराना राशन कार्ड ही पूरे देश में मान्य होगा. किसी नए राशन कार्ड की जरूरत नहीं होगी. एक जून से तीन राज्य- ओडिशा, सिक्किम व मिजोरम के इस योजना से जुड़ जाने के साथ ही अब तक कुल 20 राज्य IMPDS योजना से जुड़ गए हैं. वन नेशन वन राशन कार्ड योजना को 31 मार्च 2021 तक पूरे देश में लागू करना है.

इसी कड़ी में 1 अगस्त तक उत्तराखंड, नागालैंड और मणिपुर को इससे जोड़ने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. बाकी बचे 13 राज्यों - प.बंगाल, असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, चंडीगढ़, तमिलनाडु, पुडुचेरी, अंडमान निकोबार, लक्षद्वीप और छत्तीसगढ़ को भी 31 मार्च 2021 तक इस योजना से जुड़ जाने के साथ वन नेशन वन राशनकार्ड योजना पूरे देश में लागू हो जाएगी.

इन 20 राज्यों में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत आने वाले यहां के लाभार्थी, इन किसी भी राज्य में निवास करते हुए, अपनी पसंद के राशन दुकान से e-PoS मशीन में अपने आधार कार्ड का सत्यापन करवाकर अपने हिस्से का अनाज ले सकते हैं. इसके लिए पुराना राशन कार्ड ही सभी जगह मान्य होगा. न किसी नए राशन कार्ड की जरूरत है और न ऐसा कोई नया राशन कार्ड जारी करने की सरकार की कोई योजना है. फिलहाल यह योजना देश के आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरियाणा, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तेलंगाना, त्रिपुरा, बिहार, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दमण दीव, ओडिशा, सिक्किम और मिजोरम में लागू हो चुकी है. 1 अगस्त, 2020 तक उत्तराखण्ड, नागालैंड और मणिपुर सहित तीन और राज्य इस योजना से जुड़ जाएंगे.

पढ़ें - कांग्रेस से खुद का घर नहीं संभल रहा, भाजपा पर आरोप लगा रही : शेखावत

सवाल : देश में अभी कितना लाख टन अनाज है? उसमें कितना लाख टन चावल व गेहूं है? भविष्य में देश में अनाज की कोई कमी तो नहीं होगी न?

जवाब : 15 जून की रिपोर्ट के अनुसार अभी FCI के पास 269.31 LMT चावल और543.75 LMT गेंहू है. अत: कुल 813.06 LMT अनाज का स्टॉक उपलब्ध है. (चालू क्रय गेहूँ एवं धान, जो अभी गोदाम तक नहीं पहुंचा है, उसेछोड़कर). NFSA एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत एक माह के लिये लगभग 55 LMT अनाज की आवश्यकता होती है. इस हिसाब से सरकार के पास दो साल के लिए पर्याप्त अनाज का भंडार मौजूद है. इसके अलावा 11.87 LMT दाल का बफर स्टॉक उपलब्ध है.

सवाल: क्या ऐसे भी राज्य हैं, जिन्होंने PMGKAY व आत्म निर्भर भारत पैकेज के तहत अनाज का उठाव तो कर लिया, लेकिन वितरण नहीं किया?

जवाब : ऐसा नहीं है. सरकार राज्यों द्वारा किए जा रहे वितरण की पूरी निगरानी कर रही है और हर जगह लाभुकों को अनाज और दालों का वितरण हो रहा है. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत अप्रैल और मई माह का वितरण लगभग पूरा हो चुका है. अप्रैल में इसका 93% और मई में 91% वितरण हो चुका है. जून में भी अबतक 28% वितरण पूरा हो गया है. आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत भी वितरण का काम पूरी तेजी से चल रहा है.

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सवाल : बिहार विधानसभा चुनाव इसी साल है और आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर से गरमा रहा है. आपने सभी राजनीतिक दलों से आग्रह किया है कि आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सभी दल मिलकर प्रयास करें. इसके बारे में आपसे जानना चाहेंगे?

जवाब : आरक्षण के मुद्दे पर बार बार विवाद उठता रहता है. आरक्षण, बाबा साहेब आंबेडकर और महात्मा गांधी के बीच हुए पूना पैक्ट की उपज है. इसपर सवाल उठाना, पूना पैक्ट को नकारना है. मंडल कमीशन पर फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जहां तक अनुसूचित जाति/जनजाति का सवाल है इसका संबंध अस्पृश्यता से है. संविधान के मुताबिक अनुसूचित जाति/जनजाति पहले से ही पिछड़ा है. संविधान में प्रदत्त अधिकारों के तहत न सिर्फ अनुसूचित जाति/जनजाति बल्कि अन्य पिछड़े वर्ग और ऊंची जाति के गरीब लोगों को भी आरक्षण दिया गया है. लोक जनशक्ति पार्टी ने सभी राजनीतिक दलों से मांग की है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पहले भी आप सभी इस सामाजिक मुद्दे पर साथ देते रहे हैं, फिर से इकठ्ठा हों. बार बार आरक्षण पर उठने वाले विवाद को खत्म करने के लिए आरक्षण संबंधी सभी कानूनों को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल करने के लिए सबलोग मिलकर प्रयास करें ताकि हमेशा के लिए विवाद समाप्त हो जाए.

Last Updated : Jun 16, 2020, 9:48 PM IST
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