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JNU: छात्रों ने सुनाई पुलिस बर्बरता की दास्तां, कहा- जारी रहेगी लड़ाई - थाने में बैठाकर रखा

सोमवार देर शाम जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का शिकार हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि वह बढ़ी हुई फीस के रोलबैक की मांग को लेकर लगातार कुलपति से मुलाकात करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन जब उनकी ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई तो संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए, उन्होंने शांतिपूर्ण मार्च निकाला.

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Published : Nov 20, 2019, 12:23 PM IST

Updated : Nov 20, 2019, 7:01 PM IST

19:00 November 20

HRD मंत्रालय की कमेटी से मिले छात्र संघ प्रतिनिधि

छात्र संघ प्रतिनिधि से बातचीत

छात्रों को बिना शामिल किए ही उनके लिए निर्णय
एमएचआरडी द्वारा गठित की गई 3 सदस्य उच्च स्तरीय कमेटी इस बैठक में जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे. वहीं छात्र संघ के महासचिव सतीश चंद्र यादव ने कहा कि छात्रों कि मांग है कि बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से वापस हो, उन्होंने कहा कि प्रशासन छात्रों को लेकर अगर कोई मीटिंग आयोजित करता है तो उसमें छात्र प्रतिनिधि को शामिल किए बिना ही छात्रों के लिए निर्णय ले लिया जाता है जो पूरी तरह से गलत है.

इस तरह की मीटिंग में छात्र प्रतिनिधि को शामिल करना होगा. इसके अलावा यादव ने कहा कि मौजूदा हॉस्टल मैन्युअल को पूरी तरह से रिजेक्ट किया जाए और जो नया हॉस्टल मैन्युअल पर हो उसमें छात्र संघ के लोग भी शामिल किए जाएं

'जेएनयू की स्थिति के लिए कुलपति जिम्मेदार'
यादव ने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी को बताया कि पिछले 23 दिनों से वह कुलपति से मिलने की मांग कर रहे हैं लेकिन वह छात्रों से मुलाकात नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जो आज स्थिति है उसके लिए खुद कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार जिम्मेदार है. जिसके कारण अब उन्हें कुलपति के पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. इसी के चलते छात्र अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि छात्र प्रतिनिधियों से मुलाकात करने से पहले 3 सदस्य कमेटी की मुलाकात सभी स्कूलों के डीन से भी हुई थी. जहां पर उन्होंने उच्च स्तरीय कमेटी को बताया कि विश्वविद्यालय में हॉस्टल की फीस बढ़ाना क्यों जरूरी है. साथ ही कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को इसमें छूट दी जा रही है. वहीं कुलपति ने एक बार फिर छात्रों से स्ट्राइक वापस लेने और क्लास लौटने की अपील की है.

18:52 November 20

अन्य विश्वविद्यालयों और जेएनयू की फीस तुलना

etvbharat
अन्य विश्वविद्यालयों की फीस से तुलना

12:40 November 20

जेएनयू छात्र शशि भूषण से बातचीत

जेएनयू छात्र से बताचीत

पुलिस की लाठीचार्ज से घायल दिव्यांग दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि पुलिस ने सभी लाइटें बंद कर लाठीचार्ज किया और यह कहने पर भी कि मैं दृष्टिबाधित हूं तो कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है.

'पुलिस ने बरसाई लाठियां'
वहीं पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के बारे में बताते हुए कहा कि सोमवार को अपने साथियों के साथ प्रदर्शन करते हुए वे संसद की ओर जा रहे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां बरसानी शुरू कर दी. उनके साथियों ने घेरा बनाकर उनका बचाव करने की कोशिश की तो उनके साथियों को भी पुलिस वालों ने खूब मारा और यह कहने पर की वह दृष्टिबाधित है, उसे किनारे पर खड़ा करने के लिए कह दिया.

'अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है'
शशि भूषण ने कहा कि मेरी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो मेरे साथियों ने जब मुझे एक तरफ खड़ा कर दिया, तब पुलिस वालों ने मुझे लाठियों से पीटना शुरू किया. पीठ पर लाठी मारकर जमीन पर गिरा दिया फिर जूतों से पेट और सीने पर मारने लगे जिसकी वजह से पसलियों में भी काफी चोटें आई हैं.

उन्होंने कहा कि मेरे यह कहने पर कि मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे क्यों मार रहे हो पुलिस वालों ने कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है. इसके बाद उन्हें गर्दन से उठाया और वहां से भाग जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि जब दिव्यांग के साथ कोई रियायत नहीं की जा रही तो समझा जा सकता है कि आम छात्रों की पुलिस ने क्या हालत की होगी.

'छात्राओं को टॉयलेट से निकाल कर मारा'
उन्होंने कहा कि पुलिस बर्बरता यहीं नहीं रुकी. उन्होंने छात्राओं को पब्लिक टॉयलेट से बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाला और उनके साथ भी बदसलूकी की. शशि भूषण ने कहा कि छात्रों के हित की बात तो कोई नहीं करता लेकिन उनकी छवि धूमिल करने के लिए उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि जिस विश्वविद्यालय पर गर्व करना चाहिए उसके लिए कहा जाता है कि यहां आतंकवादी पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्र को नोबेल प्राइज दिया गया है उसका तो कहीं ज़िक्र नहीं हुआ बल्कि जेएनयू को आतंकियों का गढ़ कह दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में आतंकवादियों को नोबेल दिया जाता है.

12:29 November 20

दिव्यांग छात्रों को थाने ले गई पुलिस

दिव्यांग छात्रों को पुलिस ने रोका

सोमवार को प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के दिव्यांग छात्रों पर हुई लाठीचार्ज के विरोध में पुलिस मुख्यालय जा रहे दिव्यांग छात्रों की बस को पुलिस ने बीच रास्ते में रोक लिया और वसंत कुंज थाने ले गई.

12:21 November 20

छात्रों ने बताई पुलिस बर्बरता की दास्तां

जेएनयू छात्रों से बातचीत

11:48 November 20

JNU छात्र विरोध प्रदर्शन लाइव

नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल और फीस को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. इसी क्रम में छात्रों का दस्ता जब संसद की ओर कूच कर रहा था तो सोमवार देर शाम सफदरजंग मकबरे के पास प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया.

इस लाठीचार्ज से पीड़ित कई छात्रों ने ईटीवी भारत को अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर शांन्तिपूर्ण मार्च निकाला था. जिसे रोकने के लिए पुलिस स्ट्रीट लाइट बंद कर उन पर लाठियां चलानी शुरू कर दी, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं.

'बिना किसी चेतावनी के पुलिस ने लाठियां बरसाईं'
सोमवार देर शाम जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का शिकार हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि वह बढ़ी हुई फीस के रोलबैक की मांग को लेकर लगातार कुलपति से मुलाकात करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन जब उनकी ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई तो संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए, उन्होंने शांतिपूर्ण मार्च निकाला. छात्रों ने आरोप लगाया है कि कई बैरिकेड क्रॉस करने के बाद जब वह सफदरजंग मकबरे के पास पहुंचे तो पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के उन पर स्ट्रीट लाइट बंद कर लाठियां बरसाना शुरू कर दी. 

वहीं एक ऐसा छात्र है जिसकी गर्दन पर काफी चोट आई है. छात्रों ने कहा कि पुलिस वालों ने बहुत बुरी तरह से उसकी पिटाई की और उसे कालकाजी पुलिस स्टेशन में जाकर बिठा दिया. जब हमने पुलिस वालों से कहा कि उसकी गर्दन में काफी दर्द है और डॉक्टर के पास जाना है. पुलिस वालों ने कहा कि हंगामा बंद होने के बाद ही यहां से रिहा किया जाएगा. 

'7 बजे तक थाने में बैठाकर रखा'
वहीं छात्र ने कहा कि शाम 7 बजे तक उसी दर्द में कराहते हुए पुलिस स्टेशन पर उसे बैठाकर रखा गया. उसके बाद उसे रिहा किया गया. जब वह कॉलेज के मेडिकल सेंटर आए तो उसे सफदरजंग रेफर कर दिया गया. जहां पर बताया गया कि उसकी गर्दन में काफी चोटें आई हैं और स्थिति ऐसी है कि छात्र अपनी गर्दन दाएं बाएं भी नहीं घुमा पा रहा है.

वहीं प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि उनमें से अधिकतर छात्र ऐसे परिवार से आते हैं, जो आर्थिक रूप से तंग है और बढ़ी हुई फीस भरने में पूरी तरह असक्षम है. ऐसे ही एक छात्र हैं, जितेंद्र सुना जो बीती रात पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए. बता दें कि जितेंद्र सुना उड़ीसा के एक साधारण परिवार से हैं, जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद जेएनयू में दाखिला लिया है. वो बताते हैं कि उन्होंने मनरेगा, घरों में गैस की पाइप लाइन लगाना आदि मजदूरी कर जेएनयू में दाखिला लिया है और जेएनयू में पढ़ाई करने के साथ ही घर खर्च भी देखते हैं. 

'7 से 8 हजार रुपए का किराया कहां से दे पाएंगे'
छात्रों ने कहा कि जेएनयू प्रशासन जिस स्कॉलरशिप का दावा कर रहा है. उसकी राशि महज 2 से 5 हजार के बीच होती है. ऐसे में शोध कार्य कर रहे छात्रों के लिए फील्ड वर्क करना, प्रिंट आउट लेना और शोध कार्य का बाकी सामान जुटाना पहले ही मुश्किल होता था. ऐसे में वे 7 से 8 हजार रुपए का किराया कहां से दे पाएंगे.

वहीं उत्तराखंड के रहने वाले एक छात्र जो कि जेएनयू में पढ़ने के साथ-साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा है, उसने कहा कि उसके मन में दिल्ली पुलिस के प्रति जो आदर और सम्मान था, पुलिस की बर्बरता ने उसे खत्म कर दिया. छात्र ने कहा कि वह खुद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था. लेकिन अपने रक्षक को इस तरह भक्षक बनते देख उसके मन में यह सवाल खड़े हो गए कि क्या सचमुच उसे सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी चाहिए या नहीं.

'15 से 20 पुलिस वालों ने बुरी तरह से मारा'
छात्र ने कहा कि उसे 15 से 20 पुलिस वालों ने पकड़ कर बुरी तरह से मारा. साथ ही महिला छात्राओं को भी पुलिस बेरहमी से पीट रही थी. छात्र ने कहा कि उसके कई साथी छात्र ऐसे भी थे. जिन्हें सिर पर गंभीर चोटें आईं और उन्हें मेडिकल अटेंशन देने की जगह यूं ही तड़पता छोड़ दिया गया या फिर हिरासत में ले लिया गया. छात्र ने कहा कि उसे बीती रात बहुत गहरा सदमा लगा है. जिससे उबरने में उसे काफी वक्त लगेगा.

19:00 November 20

HRD मंत्रालय की कमेटी से मिले छात्र संघ प्रतिनिधि

छात्र संघ प्रतिनिधि से बातचीत

छात्रों को बिना शामिल किए ही उनके लिए निर्णय
एमएचआरडी द्वारा गठित की गई 3 सदस्य उच्च स्तरीय कमेटी इस बैठक में जेएनयू छात्र संघ के पदाधिकारी मौजूद रहे. वहीं छात्र संघ के महासचिव सतीश चंद्र यादव ने कहा कि छात्रों कि मांग है कि बढ़ी हुई फीस पूरी तरह से वापस हो, उन्होंने कहा कि प्रशासन छात्रों को लेकर अगर कोई मीटिंग आयोजित करता है तो उसमें छात्र प्रतिनिधि को शामिल किए बिना ही छात्रों के लिए निर्णय ले लिया जाता है जो पूरी तरह से गलत है.

इस तरह की मीटिंग में छात्र प्रतिनिधि को शामिल करना होगा. इसके अलावा यादव ने कहा कि मौजूदा हॉस्टल मैन्युअल को पूरी तरह से रिजेक्ट किया जाए और जो नया हॉस्टल मैन्युअल पर हो उसमें छात्र संघ के लोग भी शामिल किए जाएं

'जेएनयू की स्थिति के लिए कुलपति जिम्मेदार'
यादव ने कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी को बताया कि पिछले 23 दिनों से वह कुलपति से मिलने की मांग कर रहे हैं लेकिन वह छात्रों से मुलाकात नहीं कर रहे. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में जो आज स्थिति है उसके लिए खुद कुलपति प्रोफेसर एम. जगदीश कुमार जिम्मेदार है. जिसके कारण अब उन्हें कुलपति के पद पर रहने का कोई अधिकार नहीं है. इसी के चलते छात्र अब उनके इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.

बता दें कि छात्र प्रतिनिधियों से मुलाकात करने से पहले 3 सदस्य कमेटी की मुलाकात सभी स्कूलों के डीन से भी हुई थी. जहां पर उन्होंने उच्च स्तरीय कमेटी को बताया कि विश्वविद्यालय में हॉस्टल की फीस बढ़ाना क्यों जरूरी है. साथ ही कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को इसमें छूट दी जा रही है. वहीं कुलपति ने एक बार फिर छात्रों से स्ट्राइक वापस लेने और क्लास लौटने की अपील की है.

18:52 November 20

अन्य विश्वविद्यालयों और जेएनयू की फीस तुलना

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अन्य विश्वविद्यालयों की फीस से तुलना

12:40 November 20

जेएनयू छात्र शशि भूषण से बातचीत

जेएनयू छात्र से बताचीत

पुलिस की लाठीचार्ज से घायल दिव्यांग दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने कहा कि पुलिस ने सभी लाइटें बंद कर लाठीचार्ज किया और यह कहने पर भी कि मैं दृष्टिबाधित हूं तो कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है.

'पुलिस ने बरसाई लाठियां'
वहीं पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए दृष्टिबाधित छात्र शशि भूषण ने पुलिस द्वारा की गई बर्बरता के बारे में बताते हुए कहा कि सोमवार को अपने साथियों के साथ प्रदर्शन करते हुए वे संसद की ओर जा रहे थे, जहां उन्हें रोकने के लिए पुलिस ने ताबड़तोड़ लाठियां बरसानी शुरू कर दी. उनके साथियों ने घेरा बनाकर उनका बचाव करने की कोशिश की तो उनके साथियों को भी पुलिस वालों ने खूब मारा और यह कहने पर की वह दृष्टिबाधित है, उसे किनारे पर खड़ा करने के लिए कह दिया.

'अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है'
शशि भूषण ने कहा कि मेरी सुरक्षा को लेकर निश्चिंत हो मेरे साथियों ने जब मुझे एक तरफ खड़ा कर दिया, तब पुलिस वालों ने मुझे लाठियों से पीटना शुरू किया. पीठ पर लाठी मारकर जमीन पर गिरा दिया फिर जूतों से पेट और सीने पर मारने लगे जिसकी वजह से पसलियों में भी काफी चोटें आई हैं.

उन्होंने कहा कि मेरे यह कहने पर कि मैं ब्लाइंड स्टूडेंट हूं मुझे क्यों मार रहे हो पुलिस वालों ने कहा कि अंधा है तो प्रदर्शन में क्यों आता है. इसके बाद उन्हें गर्दन से उठाया और वहां से भाग जाने के लिए कहा. उन्होंने कहा कि जब दिव्यांग के साथ कोई रियायत नहीं की जा रही तो समझा जा सकता है कि आम छात्रों की पुलिस ने क्या हालत की होगी.

'छात्राओं को टॉयलेट से निकाल कर मारा'
उन्होंने कहा कि पुलिस बर्बरता यहीं नहीं रुकी. उन्होंने छात्राओं को पब्लिक टॉयलेट से बाल पकड़कर खींचते हुए बाहर निकाला और उनके साथ भी बदसलूकी की. शशि भूषण ने कहा कि छात्रों के हित की बात तो कोई नहीं करता लेकिन उनकी छवि धूमिल करने के लिए उन पर तरह-तरह के आरोप लगाए जाते हैं.

उन्होंने कहा कि जिस विश्वविद्यालय पर गर्व करना चाहिए उसके लिए कहा जाता है कि यहां आतंकवादी पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्र को नोबेल प्राइज दिया गया है उसका तो कहीं ज़िक्र नहीं हुआ बल्कि जेएनयू को आतंकियों का गढ़ कह दिया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या भारत में आतंकवादियों को नोबेल दिया जाता है.

12:29 November 20

दिव्यांग छात्रों को थाने ले गई पुलिस

दिव्यांग छात्रों को पुलिस ने रोका

सोमवार को प्रदर्शन के दौरान जेएनयू के दिव्यांग छात्रों पर हुई लाठीचार्ज के विरोध में पुलिस मुख्यालय जा रहे दिव्यांग छात्रों की बस को पुलिस ने बीच रास्ते में रोक लिया और वसंत कुंज थाने ले गई.

12:21 November 20

छात्रों ने बताई पुलिस बर्बरता की दास्तां

जेएनयू छात्रों से बातचीत

11:48 November 20

JNU छात्र विरोध प्रदर्शन लाइव

नई दिल्ली : जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में बढ़ी हुई हॉस्टल मैनुअल और फीस को लेकर छात्रों का विरोध प्रदर्शन लगातार जारी है. इसी क्रम में छात्रों का दस्ता जब संसद की ओर कूच कर रहा था तो सोमवार देर शाम सफदरजंग मकबरे के पास प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया.

इस लाठीचार्ज से पीड़ित कई छात्रों ने ईटीवी भारत को अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर शांन्तिपूर्ण मार्च निकाला था. जिसे रोकने के लिए पुलिस स्ट्रीट लाइट बंद कर उन पर लाठियां चलानी शुरू कर दी, जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं.

'बिना किसी चेतावनी के पुलिस ने लाठियां बरसाईं'
सोमवार देर शाम जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का शिकार हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि वह बढ़ी हुई फीस के रोलबैक की मांग को लेकर लगातार कुलपति से मुलाकात करने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन जब उनकी ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई तो संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए, उन्होंने शांतिपूर्ण मार्च निकाला. छात्रों ने आरोप लगाया है कि कई बैरिकेड क्रॉस करने के बाद जब वह सफदरजंग मकबरे के पास पहुंचे तो पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के उन पर स्ट्रीट लाइट बंद कर लाठियां बरसाना शुरू कर दी. 

वहीं एक ऐसा छात्र है जिसकी गर्दन पर काफी चोट आई है. छात्रों ने कहा कि पुलिस वालों ने बहुत बुरी तरह से उसकी पिटाई की और उसे कालकाजी पुलिस स्टेशन में जाकर बिठा दिया. जब हमने पुलिस वालों से कहा कि उसकी गर्दन में काफी दर्द है और डॉक्टर के पास जाना है. पुलिस वालों ने कहा कि हंगामा बंद होने के बाद ही यहां से रिहा किया जाएगा. 

'7 बजे तक थाने में बैठाकर रखा'
वहीं छात्र ने कहा कि शाम 7 बजे तक उसी दर्द में कराहते हुए पुलिस स्टेशन पर उसे बैठाकर रखा गया. उसके बाद उसे रिहा किया गया. जब वह कॉलेज के मेडिकल सेंटर आए तो उसे सफदरजंग रेफर कर दिया गया. जहां पर बताया गया कि उसकी गर्दन में काफी चोटें आई हैं और स्थिति ऐसी है कि छात्र अपनी गर्दन दाएं बाएं भी नहीं घुमा पा रहा है.

वहीं प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि उनमें से अधिकतर छात्र ऐसे परिवार से आते हैं, जो आर्थिक रूप से तंग है और बढ़ी हुई फीस भरने में पूरी तरह असक्षम है. ऐसे ही एक छात्र हैं, जितेंद्र सुना जो बीती रात पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए. बता दें कि जितेंद्र सुना उड़ीसा के एक साधारण परिवार से हैं, जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद जेएनयू में दाखिला लिया है. वो बताते हैं कि उन्होंने मनरेगा, घरों में गैस की पाइप लाइन लगाना आदि मजदूरी कर जेएनयू में दाखिला लिया है और जेएनयू में पढ़ाई करने के साथ ही घर खर्च भी देखते हैं. 

'7 से 8 हजार रुपए का किराया कहां से दे पाएंगे'
छात्रों ने कहा कि जेएनयू प्रशासन जिस स्कॉलरशिप का दावा कर रहा है. उसकी राशि महज 2 से 5 हजार के बीच होती है. ऐसे में शोध कार्य कर रहे छात्रों के लिए फील्ड वर्क करना, प्रिंट आउट लेना और शोध कार्य का बाकी सामान जुटाना पहले ही मुश्किल होता था. ऐसे में वे 7 से 8 हजार रुपए का किराया कहां से दे पाएंगे.

वहीं उत्तराखंड के रहने वाले एक छात्र जो कि जेएनयू में पढ़ने के साथ-साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहा है, उसने कहा कि उसके मन में दिल्ली पुलिस के प्रति जो आदर और सम्मान था, पुलिस की बर्बरता ने उसे खत्म कर दिया. छात्र ने कहा कि वह खुद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था. लेकिन अपने रक्षक को इस तरह भक्षक बनते देख उसके मन में यह सवाल खड़े हो गए कि क्या सचमुच उसे सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी चाहिए या नहीं.

'15 से 20 पुलिस वालों ने बुरी तरह से मारा'
छात्र ने कहा कि उसे 15 से 20 पुलिस वालों ने पकड़ कर बुरी तरह से मारा. साथ ही महिला छात्राओं को भी पुलिस बेरहमी से पीट रही थी. छात्र ने कहा कि उसके कई साथी छात्र ऐसे भी थे. जिन्हें सिर पर गंभीर चोटें आईं और उन्हें मेडिकल अटेंशन देने की जगह यूं ही तड़पता छोड़ दिया गया या फिर हिरासत में ले लिया गया. छात्र ने कहा कि उसे बीती रात बहुत गहरा सदमा लगा है. जिससे उबरने में उसे काफी वक्त लगेगा.

Intro:नई दिल्ली ।

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हॉस्टल मैनुअल और बढ़ी हुई फीस के रोलबैक को लेकर प्रदर्शन कर रहे छात्रों का दस्ता जब संसद की ओर कूच कर रहा था तो सोमवार देर शाम सफदरजंग मकबरे के पास प्रदर्शनकारी छात्रों पर पुलिस द्वारा लाठीचार्ज किया गया. इस लाठीचार्ज से पीड़ित कई छात्रों ने अपनी आपबीती बताते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मांगों को लेकर शांन्तिपूर्ण मार्च निकाला था जिसे रोकने के लिए पुलिस स्ट्रीट लाइट बंद कर उनपर लाठियां चलानी शुरू कर दी जिसमें कई छात्र गंभीर रूप से घायल हुए हैं.


Body:सोमवार देर शाम जेएनयू छात्रों पर हुए लाठीचार्ज का शिकार हुए प्रदर्शनकारी छात्रों ने कहा कि वह बढ़ी हुई फीस के रोलबैक की मांग को लेकर लगातार कुलपति से मुलाकात करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन जब उनकी ओर से कोई सुनवाई नहीं हुई तो संसद तक अपनी बात पहुंचाने के लिए उन्होंने शांतिपूर्ण मार्च निकाला. छात्रों ने आरोप लगाया है कि कई बैरिकेड क्रॉस करने के बाद जब वह सफदरजंग मकबरे के पास पहुंचे तो पुलिस ने बिना किसी चेतावनी के उन पर स्ट्रीट लाइट बंद कर लाठियां बरसाना शुरू कर दिया. वहीं एक ऐसा छात्र जिसकी गर्दन पर काफी चोट आई है ने कहा कि पुलिस वालों ने बहुत बुरी तरह उसकी पिटाई की और उसे कालकाजी पुलिस स्टेशन में जाकर बिठा दिया. छात्र के शिकायत करने पर कि उसे गर्दन में काफी दर्द है और डॉक्टर के पास जाना है पुलिस वालों ने कहा कि हंगामा बंद होने के बाद ही तुम्हें यहां से रिहा किया जाएगा. वहीं छात्र ने कहा कि शाम 7 बजे तक उसी दर्द में कराहते हुए पुलिस स्टेशन पर उसे बिठा कर रखा गया. उसके बाद उसे रिहा किया गया. जब वह कॉलेज के मेडिकल सेंटर आए तो उसे सफदरजंग रेफर कर दिया गया जहां पर बताया गया कि उसकी गर्दन में काफी चोटें आई हैं और स्थिति ऐसी है कि छात्र अपनी गर्दन दाएं बाएं भी नहीं घुमा पा रहा है.

वहीं प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि उनमें से अधिकतर छात्र ऐसे परिवार से आते हैं जो आर्थिक रूप से तंग है और बढ़ी हुई फीस भरने में पूरी तरह असक्षम है. ऐसे ही एक छात्र हैं जितेंद्र सोना जो बीती रात पुलिस लाठीचार्ज का शिकार हुए. बता दें कि जितेंद्र सुना उड़ीसा के एक साधारण परिवार से हैं जिन्होंने कड़े संघर्ष के बाद जेएनयू में दाखिला लिया है. वह बताते हैं कि उन्होंने मनरेगा, घरों में गैस की पाइप लाइन लगाना आदि मजदूरी कर जेएनयू में दाखिला लिया है और जेएनयू में पढ़ाई करने के साथ ही घर खर्च भी देखते हैं. वहीं उन्होंने कहा कि जेएनयू प्रशासन जिस स्कॉलरशिप का दावा कर रहा है उसकी राशि महज़ 2 से 5 हज़ार के बीच होती है. ऐसे में शोध कार्य कर रहे छात्रों के लिए फील्ड वर्क करना, प्रिंट आउट लेना, और शोध कार्य का बाकी सामान जुहाना पहले ही मुश्किल होता था ऐसे में वे 7 से 8 हज़ार रुपए का किराया कहां से दे पाएंगे.

वहीं उत्तराखंड के रहने वाले एक छात्र जो कि जेएनयू में पढ़ने के साथ साथ सिविल सर्विसेज की तैयारी कर रहे हैं ने कहा कि उसके मन में दिल्ली पुलिस के प्रति जो आदर और सम्मान था पुलिस की बर्बरता ने उसे खत्म कर दिया. छात्र ने कहा कि वह खुद सिविल सर्विस की तैयारी कर रहा था लेकिन अपने रक्षक को इस तरह भक्षक बनते देख उसके मन में यह सवाल खड़े हो गए कि क्या सचमुच उसे सिविल सर्विसेज की तैयारी करनी चाहिए या नहीं. वहीं छात्र ने कहा कि उसे 15 से 20 पुलिस वालों ने पकड़ कर बुरी तरह से मारा. साथ ही महिला छात्राओं को भी पुलिस बेरहमी से पीट रही थी. छात्र ने कहा कि उसके कई साथी छात्र ऐसे भी थे जिन्हें सिर पर गंभीर चोटें आई और उन्हें मेडिकल अटेंशन देने की जगह यूं ही तड़पता छोड़ दिया गया या फिर हिरासत में ले लिया गया. छात्र ने कहा कि उसे बीती रात बहुत गहरा सदमा लगा है जिससे उभरने में उसे काफी वक्त लगेगा.


Conclusion:
Last Updated : Nov 20, 2019, 7:01 PM IST

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