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कश्मीरी पंडितों को अब भी घर वापसी का इंतजार, दिल्ली और मुंबई में प्रदर्शन

कश्मीर से अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों का 30 वर्ष पहले पलायन हुआ था. इस बीच कितनी ही सरकारें बदलीं, कितने मौसम आए और गए, पीढ़ियां तक बदल गईं, लेकिन कश्मीरी पंडितों की घर वापसी और न्याय के लिए लड़ाई अब तक जारी है. इस दिन को याद करते हुए कश्मीरी पंडितों ने रविवार को मुंबई और दिल्ली में विरोध प्रदर्शन किया.

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कश्मीरी पंडितों का विरोध प्रदर्शन.
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Published : Jan 19, 2020, 6:59 PM IST

Updated : Jan 19, 2020, 9:28 PM IST

नई दिल्ली : आज के दिन 30 साल पहले कश्मीर से अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था. उस दिन को याद करते हुए कश्मीरी पंडितों ने रविवार को दिल्ली और महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया.

जनवरी का महीना पूरी दुनिया में नए साल के लिए एक उम्मीद ले कर आता है, लेकिन कश्मीरी पंडितों के लिए यह महीना दुख, दर्द और निराशा से भरा है.19 जनवरी प्रतीक बन चुका है उस त्रासदी का, जो कश्मीर में 1990 में घटित हुई. जिहादी इस्लामिक ताकतों ने कश्मीरी पंडितों पर ऐसा कहर ढाया कि उनके लिए सिर्फ तीन ही विकल्प थे- धर्म बदलो, मरो या पलायन करो.

इसके बाद कश्मीर पंडितों को मजबूरन घाटी में अपने घरों को छोड़कर दूसरे राज्यों में या फिर रिफ्यूजी कैंपों में शरण लेनी पड़ी थी.

कश्मीर में आतंकवाद का पुरजोर विरोध करते हुए कश्मीरी पंडितों ने मोदी सरकार से उम्मीद जताई है कि अब उनकी वापसी का रास्ता साफ हो सकेगा.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कुछ विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने कहा कि पिछले 30 साल से वह कश्मीर वापसी की बाट जोह रहे हैं. मोदी सरकार छह साल से सत्ता में है, लेकिन अब तक उनकी वापसी के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठाए गए.

पढ़ें : सितम के 30 साल : कश्मीरी पंडित आज तक नहीं भूले दरिंदगी की दास्तान

हालांकि हाल में लिए गए फैसलों से, जैसे कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाना और यासीन मलिक की गिरफ्तारी, उम्मीद जगी है कि कश्मीर में अलगाववादियों पर यह सरकार कड़ा रुख अपनाते हुए कश्मीरी पंडितों को एक सुरक्षित माहौल देगी, जिसमें वे अपने घर वापसी कर सकेंगे.

दिल्ली में विस्थापित कश्मीर पंडितों का प्रदर्शन.

19 जनवरी का दिन याद करते हुए कश्मीरी पंडितों ने रविवार को यहां एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था. 30 साल पहले कश्मीर में जो नरसंहार हुआ था, उसका दर्द अब भी विस्थापित कश्मीरी पंडितों को है. उन्हें आस है तो बस सरकार से कि वो उनकी वतन वापसी का रास्ता साफ करेगी.

वहीं मुंबई में भी विस्थापित कश्मीर पंडितों ने आज के दिन को काला दिन करारे देते हुए विरोध प्रदर्शन किए. इस दौरान ईटीवी भारत से बाचतीत के दौरान विस्थापित कश्मीरी पंडित राहुल कौल ने कहा कि कश्मीरी हिंदू समाज का यह दर्द पिछले 30 सालों का दर्द नहीं है बल्कि पिछले सात सौ सालों में कश्मीरी हिंदू कश्मीर में पीड़ित हो रहा है.

मुंबई में विस्थापित कश्मीरी पंडितों का विरोध प्रदर्शन.

नई दिल्ली : आज के दिन 30 साल पहले कश्मीर से अल्पसंख्यक कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था. उस दिन को याद करते हुए कश्मीरी पंडितों ने रविवार को दिल्ली और महाराष्ट्र में विरोध प्रदर्शन किया.

जनवरी का महीना पूरी दुनिया में नए साल के लिए एक उम्मीद ले कर आता है, लेकिन कश्मीरी पंडितों के लिए यह महीना दुख, दर्द और निराशा से भरा है.19 जनवरी प्रतीक बन चुका है उस त्रासदी का, जो कश्मीर में 1990 में घटित हुई. जिहादी इस्लामिक ताकतों ने कश्मीरी पंडितों पर ऐसा कहर ढाया कि उनके लिए सिर्फ तीन ही विकल्प थे- धर्म बदलो, मरो या पलायन करो.

इसके बाद कश्मीर पंडितों को मजबूरन घाटी में अपने घरों को छोड़कर दूसरे राज्यों में या फिर रिफ्यूजी कैंपों में शरण लेनी पड़ी थी.

कश्मीर में आतंकवाद का पुरजोर विरोध करते हुए कश्मीरी पंडितों ने मोदी सरकार से उम्मीद जताई है कि अब उनकी वापसी का रास्ता साफ हो सकेगा.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कुछ विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने कहा कि पिछले 30 साल से वह कश्मीर वापसी की बाट जोह रहे हैं. मोदी सरकार छह साल से सत्ता में है, लेकिन अब तक उनकी वापसी के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठाए गए.

पढ़ें : सितम के 30 साल : कश्मीरी पंडित आज तक नहीं भूले दरिंदगी की दास्तान

हालांकि हाल में लिए गए फैसलों से, जैसे कि कश्मीर से अनुच्छेद 370 का हटाना और यासीन मलिक की गिरफ्तारी, उम्मीद जगी है कि कश्मीर में अलगाववादियों पर यह सरकार कड़ा रुख अपनाते हुए कश्मीरी पंडितों को एक सुरक्षित माहौल देगी, जिसमें वे अपने घर वापसी कर सकेंगे.

दिल्ली में विस्थापित कश्मीर पंडितों का प्रदर्शन.

19 जनवरी का दिन याद करते हुए कश्मीरी पंडितों ने रविवार को यहां एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था. 30 साल पहले कश्मीर में जो नरसंहार हुआ था, उसका दर्द अब भी विस्थापित कश्मीरी पंडितों को है. उन्हें आस है तो बस सरकार से कि वो उनकी वतन वापसी का रास्ता साफ करेगी.

वहीं मुंबई में भी विस्थापित कश्मीर पंडितों ने आज के दिन को काला दिन करारे देते हुए विरोध प्रदर्शन किए. इस दौरान ईटीवी भारत से बाचतीत के दौरान विस्थापित कश्मीरी पंडित राहुल कौल ने कहा कि कश्मीरी हिंदू समाज का यह दर्द पिछले 30 सालों का दर्द नहीं है बल्कि पिछले सात सौ सालों में कश्मीरी हिंदू कश्मीर में पीड़ित हो रहा है.

मुंबई में विस्थापित कश्मीरी पंडितों का विरोध प्रदर्शन.
Intro:दिल्ली के जंतर मंतर पर आज सैकड़ों की संख्या में विस्थापित कश्मीरी पंडितों ने विरोध प्रदर्शन किया यह विरोध प्रदर्शन 19 जनवरी के उस दिन को याद करते हुए किया गया था जब हजारों कश्मीरी पंडितों को घाटी में अपने घर छोड़कर दूसरे राज्यों में या फिर रिफ्यूजी कैंपों में शरण लेनी पड़ी थी कश्मीर में आतंकवाद का पुरजोर विरोध करते हुए कश्मीरी पंडितों ने मोदी सरकार से उम्मीद जताई है कि अब उनके वापसी का रास्ता साफ हो सकेगा ईटीवी भारत ने ऐसे कुछ विस्थापित कश्मीरी पंडितों से बातचीत की जिनका कहना था कि पिछले 30 साल से वह कश्मीर वापसी की बाट जोह रहे हैं मोदी सरकार 6 साल से सत्ता में है लेकिन अभी तक उनकी वापसी के लिए कोई मजबूत कदम नहीं उठाए गए हालांकि हाल में लिए गए फैसले जैसे कि कश्मीर से धारा 370 का हटाना और यासीन मलिक की गिरफ्तारी से उम्मीद जगी है की कश्मीर में अलगाववादियों पर यह सरकार कड़ा रुख अपनाते हुए कश्मीरी पंडितों को एक सुरक्षित माहौल देगी जिसमें वह अपने घर वापसी कर सकेंगे


Body:19 जनवरी के दिन को याद करते हुए कश्मीरी पंडितों ने आज यह प्रदर्शन आयोजित किया था 30 साल पहले जो कश्मीर में नरसंहार हुआ उसका दर्द अभी विस्थापित कश्मीरी पंडितों के भीतर मौजूद है उन्हें आस है तो बस सरकार से कि वो उनकी वतन वापसी का रास्ता साफ करेंगे


Conclusion:
Last Updated : Jan 19, 2020, 9:28 PM IST
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