अगरतला : त्रिपुरा में 10,323 शिक्षकों की नियुक्ति न होने के मामले में एक और शिक्षिका रूमी देबबर्मा ने आत्महत्या कर ली. वह गोमती जिले की रहने वाली थीं. नियुक्तियों की मांग को लेकर अब तक 81 लोग आत्महत्या कर चुके हैं.
रूमी देबबर्मा की मौत से गुस्साए शिक्षकों ने संयुक्त शिक्षक आंदोलन समिति के बैनर तले रविवार को धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया. उनका कहना था कि उन्हें अपनी साथी के अंतिम संस्कार में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जा रही है.
शिक्षक शहर के दक्षिणी हिस्से को शहर के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाले बटाला मार्ग पर बैठ गए. नारेबाजी की. स्थिति को नियंत्रण से बाहर होते देख भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया. इलाके में वाटर कैनन और दंगा नियंत्रण वैन भी लगा दी गई. करीब सवा दो घंटे की मशक्कत के बाद पुलिस ने उन लोगों को समझाकर यातायात सुचारु कराया.
इस मुद्दे पर बोलते हुए, उप-विभागीय पुलिस अधिकारी चिरंजीब चक्रवर्ती ने कहा कि आंदोलनकारियों से कई दौर की बातचीत की गई जिसके बाद स्थिति नियंत्रण में है.
आंदोलन न कर साक्षात्कार में शामिल हों : शिक्षा मंत्री
वहीं, शिक्षा मंत्री रतन लाल नाथ ने कहा, 'राज्य सरकार ने पहले ही इस मामले पर अपना रुख साफ कर दिया है. मुख्यमंत्री ने उनसे साक्षात्कार में भाग लेने की अपील की है. शिक्षा मंत्री ने कहा कि अब अगर वे अपना विरोध जारी रखना चाहते हैं, तो मुझे उन्हें रोकने का कोई अधिकार नहीं है क्योंकि यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है. शिक्षा मंत्री ने यह भी कहा कि 'उन्हें कुछ लोगों द्वारा गुमराह किया जा रहा है.' उन्होंने अपील की कि आंदोलन न कर साक्षात्कार में शामिल हों.
शिक्षा मंत्री ने कहा कि जब राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय को एक हलफनामे के साथ साक्षात्कार के बिना नौकरी देने की मांग की तो अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि आयु में छूट के अलावा कोई विशेष विशेषाधिकार प्रदान नहीं किया जा सकता है.
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दरअसल 10,323 शिक्षकों की नियुक्ति को कोर्ट ने यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि गलत तरीके से नियुक्तियां हुईं. सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में इस मामले को लेकर हलफनामा भी दिया था.