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उत्तर प्रदेश : सार्वजनिक पोस्टर मामले में सुनवाई पूरी, फैसला आज

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Published : Mar 8, 2020, 10:03 AM IST

Updated : Mar 9, 2020, 8:24 AM IST

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में सीएए विरोध के दौरान पिछले दिनों हिंसक झड़प के बाद आरोपियों की फोटो व पोस्टर सड़क किनारे लगाने की घटना को गंभीरता से लिया है. इस क्रम में चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने रविवार को मामले की सुनवाई पूरी की. बेंच ने कहा कि इस मामले पर सोमवार दोपहर दो बजे फैसला सुनाया जाएगा. पढ़ें पूरा विवरण...

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पोस्टर

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में सीएए के विरोध के दौरान पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प के बाद आरोपियों की फोटो व पोस्टर सड़क किनारे लगाने की घटना को गंभीरता से लिया है. इस मामले में रविवार को चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. हाईकोर्ट सोमवार को दोपहर 2 बजे फैसला सुनाएगा.

महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने जनहित याचिका पर आपत्ति पेश करते हुए कहा कि लोक व निजी संपत्ति को प्रदर्शन के दौरान नुकसान पहुंचाने वालों को हतोत्साहित करने के लिए यह कार्रवाई की गई है. ऐसे मामलों मे जनहित याचिका के जरिए हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए. सरकार की कार्रवाई हिंसा व तोड़फोड़ की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए की गई है. उन्होंने अपने पक्ष में नजीर भी पेश की.

उन्होंने कहा कि सरकारी कार्रवाई हिंसक आंदोलन को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई है. कोर्ट आदेश सोमवार को सुनाएगा. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता के अलावा अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी, अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता शशांक शेखर सिंह व मुर्तजा अली अपर शासकीय अधिवक्ता ने पक्ष रखा.

इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में सरकारी वकीलों को छोड़ अन्य कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं रहा.

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इससे पहले कोर्ट ने मामले में एडवोकेट जनरल के पेश होने की बात पर सुनवाई अपराह्न तीन बजे तक के लिए टाल दी थी, क्योंकि मौसम खराब होने की वजह से एडवोकेट जनरल को आने में देरी हो रही है.

चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर एवं जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई के प्रारंभ में अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से मौखिक रूप से कहा था कि यह विषय गंभीर है. ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया जाना चाहिए, जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे. पोस्टर लगाने को बेंच ने कहा कि यह राज्य के प्रति भी अपमान है और नागरिक के प्रति भी. यह भी कहा था कि आपके पास तीन बजे तक का समय है. कोई जरूरी कदम उठाना हो तो उठा सकते हैं.

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चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को स्वतः संज्ञान लेकर लखनऊ के डीएम व डिवीजनल पुलिस कमिश्नर से पूछा था कि कानून के किस प्रावधान के तहत लखनऊ में इस प्रकार के पोस्टर सड़क पर लगाए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि पोस्टरों में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि ये पोस्टर किस कानून के तहत लगाए गए हैं.

इस मामले में हाईकोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है और यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लघंन है.

इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सड़कों पर उपद्रवियों के पोस्टर लगाने को लेकर यूपी की भाजपा सरकार हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार और अधिकारी खुद को संविधान से ऊपर समझने लगे हैं

प्रियंका ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है कि यूपी की भाजपा सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं. उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो. आपकी जवाबदेही तय होगी.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ में सीएए के विरोध के दौरान पिछले दिनों हुई हिंसक झड़प के बाद आरोपियों की फोटो व पोस्टर सड़क किनारे लगाने की घटना को गंभीरता से लिया है. इस मामले में रविवार को चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है. हाईकोर्ट सोमवार को दोपहर 2 बजे फैसला सुनाएगा.

महाधिवक्ता राघवेन्द्र सिंह ने जनहित याचिका पर आपत्ति पेश करते हुए कहा कि लोक व निजी संपत्ति को प्रदर्शन के दौरान नुकसान पहुंचाने वालों को हतोत्साहित करने के लिए यह कार्रवाई की गई है. ऐसे मामलों मे जनहित याचिका के जरिए हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए. सरकार की कार्रवाई हिंसा व तोड़फोड़ की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए की गई है. उन्होंने अपने पक्ष में नजीर भी पेश की.

उन्होंने कहा कि सरकारी कार्रवाई हिंसक आंदोलन को हतोत्साहित करने के उद्देश्य से की गई है. कोर्ट आदेश सोमवार को सुनाएगा. सरकार की तरफ से महाधिवक्ता के अलावा अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी, अपर मुख्य स्थाई अधिवक्ता शशांक शेखर सिंह व मुर्तजा अली अपर शासकीय अधिवक्ता ने पक्ष रखा.

इस मामले की सुनवाई के दौरान अदालत में सरकारी वकीलों को छोड़ अन्य कोई भी व्यक्ति मौजूद नहीं रहा.

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इससे पहले कोर्ट ने मामले में एडवोकेट जनरल के पेश होने की बात पर सुनवाई अपराह्न तीन बजे तक के लिए टाल दी थी, क्योंकि मौसम खराब होने की वजह से एडवोकेट जनरल को आने में देरी हो रही है.

चीफ जस्टिस गोविन्द माथुर एवं जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने सुनवाई के प्रारंभ में अपर महाधिवक्ता नीरज त्रिपाठी से मौखिक रूप से कहा था कि यह विषय गंभीर है. ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया जाना चाहिए, जिससे किसी के दिल को ठेस पहुंचे. पोस्टर लगाने को बेंच ने कहा कि यह राज्य के प्रति भी अपमान है और नागरिक के प्रति भी. यह भी कहा था कि आपके पास तीन बजे तक का समय है. कोई जरूरी कदम उठाना हो तो उठा सकते हैं.

शाहीन बाग में गोली चलाने वाले कपिल को साकेत कोर्ट से मिली जमानत

चीफ जस्टिस गोविंद माथुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले को स्वतः संज्ञान लेकर लखनऊ के डीएम व डिवीजनल पुलिस कमिश्नर से पूछा था कि कानून के किस प्रावधान के तहत लखनऊ में इस प्रकार के पोस्टर सड़क पर लगाए गए हैं. कोर्ट ने कहा कि पोस्टरों में इस बात का कहीं जिक्र नहीं है कि ये पोस्टर किस कानून के तहत लगाए गए हैं.

इस मामले में हाईकोर्ट का मानना है कि पब्लिक प्लेस पर संबंधित व्यक्ति की अनुमति बिना उसका फोटो या पोस्टर लगाना गलत है और यह राइट टू प्राइवेसी (निजता के अधिकार) का उल्लघंन है.

इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सड़कों पर उपद्रवियों के पोस्टर लगाने को लेकर यूपी की भाजपा सरकार हमला बोला. उन्होंने कहा कि सरकार और अधिकारी खुद को संविधान से ऊपर समझने लगे हैं

प्रियंका ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा है कि यूपी की भाजपा सरकार का रवैया ऐसा है कि सरकार के मुखिया और उनके नक्शे कदम पर चलने वाले अधिकारी खुद को बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान से ऊपर समझने लगे हैं. उच्च न्यायालय ने सरकार को बताया है कि आप संविधान से ऊपर नहीं हो. आपकी जवाबदेही तय होगी.

Last Updated : Mar 9, 2020, 8:24 AM IST
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