नई दिल्ली: पटियाला हाउस कोर्ट ने टेरर फंडिंग मामले के आरोपी और सांसद रशीद इंजीनियर की नियमित जमानत याचिका पर फैसला सुनाने से इनकार कर दिया है. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने कहा कि जमानत याचिका पर फैसला नहीं सुना सकते. इससे पहले 19 दिसंबर को प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज विमल यादव ने इस मामले को पहले से सुनवाई कर रहे एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह की कोर्ट में वापस भेजा था.
प्रिंसिपल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस जज ने ये आदेश, इस मामले के सभी आरोपियों और एनआईए की सहमति के बाद दिया. एडिशनल सेशंस जज चंदर जीत सिंह ने कहा था कि इस मामले के आरोपी रशीद इंजीनियर अब सांसद हो चुके हैं, इसलिए इस मामले की सुनवाई उस कोर्ट में ट्रांसफर होनी चाहिए जो एमपी-एमएलए से संबंधित मामलों की सुनवाई करती है.
रशीद इंजीनियर ने 28 अक्टूबर को तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. वहीं 10 सितंबर को पटियाला हाउस कोर्ट ने रशीद इंजीनियर को जम्मू-कश्मीर में चुनाव प्रचार में हिस्सा लेने के लिए 2 अक्टूबर तक की अंतरिम जमानत दी थी. इसके बाद से कोर्ट ने रशीद इंजीनियर की अंतरिम जमानत दो बार बढ़ाई थी. उन्होंने लोकसभा चुनाव 2024 में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को करीब एक लाख मतों से हराकर जीत हासिल की. रशीद इंजीनियर को 2016 में एनआईए ने गिरफ्तार किया था.
आरोप तय करने का दिया था आदेश: दरअसल, पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च, 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासिन मलिक, शब्बीर शाह, मसरत आलम, रशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब अहमद शाह, अवतार अहम शाह, नईम खान, बशीर अहमद बट्ट ऊर्फ पीर सैफुल्ला समेत दूसरे आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए के मुताबिक, पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन, जेकेएलएफ, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू-कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.
एनआईए ने किया था केस दर्ज: एनआईए के मुताबिक, हाफिज सईद ने हुर्रियत कांफ्रेंस के नेताओं के साथ मिलकर हवाला और दूसरे चैनलों के जरिए आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए धन का लेन-देन किया. इस धन का उपयोग वे घाटी में अशांति फैलाने, सुरक्षा बलों पर हमला करने, स्कूलों को जलाने और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए करते थे. इसकी सूचना गृह मंत्रालय को मिलने के बाद एनआईए ने विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया था.
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