नई दिल्ली: देशभर के निजी अस्पतालों ने कैशलेस लेन-देन रोकने की धमकी दी है. दरअसल केंद्र सरकार ने दो हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया राशि अभी तक निजी अस्पतालों को देने में विफल रहा.
वहीं निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि ने धमकी दी है कि अगर सरकार ने जनवरी तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया, तो देशभर के निजी अस्पताल एक फरवरी से कैशलेस बंद कर देंगे.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचडी) और पूर्व सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचसी) के तहत मरीजों की इलाज की राशि लंबित है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ प्रोवाइडर्स इन इंडिया (एएचपीआई) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार दो रिमाइंडर पहले ही भेजे जा चुके हैं.
ज्ञानी के अनुसार लेनदेन का 70 प्रतिशत बकाया राशि पांच दिनों में देने का प्रावधान है, लेकिन सात महीनों के अंतराल के बाद भी अस्पतालों को सरकार से पूरा बकाया नहीं मिल रहा है. यह एक गंभीर मामला है.
गौरतलब है कि यदि निजी अस्पताल कैशलेस बंद करते हैं, तो यह 37 लाख से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जिसमें उनके आश्रित और सीजीएचएस के तहत पेंशनभोगी और 52 लाख से अधिक भूतपूर्व सैनिक और आश्रित शामिल हैं. यह 71 शहरों में 1000 से अधिक निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम से सेवा लेते हैं.
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हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को जुलाई और दिसंबर में बकाया राशी को लेकर दो पत्र भेजे गए थे. ज्ञानी ने कहा, हमें अब तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है.'
ज्ञानी ने कहा कि निजी अस्पतालों के फैसले को अगर लागू किया जाता है तो इससे पूरे सेक्टर के सरकारी कर्मचारियों पर बुरा असर पड़ेगा.
इसके साथ ज्ञानी ने कहा कि धन की कमी के कारण, अस्पतालों को अपने कर्मचारियों के वेतन जारी करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है.'
ज्ञानी ने कहा, 'अस्पताल कर्मचारियों के वेतन और अन्य आवश्यक लंबित गतिविधियों के पूर्ति के लिए बैंक से कितना ऋण ले सकता है.'
बता दें कि एएचपीआई सरकार से नियामक संस्थाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य हितधारकों का पक्ष रखता है. निजी अस्पतालों के साथ सरकारी अस्पताल भी एएचपीआई के सदस्य हैं.