ETV Bharat / bharat

केंद्र सरकार पर दो हजार करोड़ रुपये बकाया, निजी अस्पतालों में बंद हो सकता है कैशलेस लेन-देन

केंद्र सरकार दो हजार करोड़ रुपये से अधिक का बकाया राशि निजी अस्पतालों को भुगतान करने में विफल रहा है. दरअसल यह बकाया भुगतान केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचडी) और पूर्व सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचसी) के तहत मरीजों की इलाज की राशि है. इसपर निजी अस्पतालों ने कैशलेस लेनदेन रोकने की धमकी दी है. जानें विस्तार से...

private-hospitals-threaten-to-stop-cashless-transaction
डॉ. गिरिधर ज्ञानी
author img

By

Published : Jan 11, 2020, 12:08 AM IST

नई दिल्ली: देशभर के निजी अस्पतालों ने कैशलेस लेन-देन रोकने की धमकी दी है. दरअसल केंद्र सरकार ने दो हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया राशि अभी तक निजी अस्पतालों को देने में विफल रहा.

वहीं निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि ने धमकी दी है कि अगर सरकार ने जनवरी तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया, तो देशभर के निजी अस्पताल एक फरवरी से कैशलेस बंद कर देंगे.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचडी) और पूर्व सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचसी) के तहत मरीजों की इलाज की राशि लंबित है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ प्रोवाइडर्स इन इंडिया (एएचपीआई) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार दो रिमाइंडर पहले ही भेजे जा चुके हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. गिरिधर ज्ञानी

ज्ञानी के अनुसार लेनदेन का 70 प्रतिशत बकाया राशि पांच दिनों में देने का प्रावधान है, लेकिन सात महीनों के अंतराल के बाद भी अस्पतालों को सरकार से पूरा बकाया नहीं मिल रहा है. यह एक गंभीर मामला है.

गौरतलब है कि यदि निजी अस्पताल कैशलेस बंद करते हैं, तो यह 37 लाख से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जिसमें उनके आश्रित और सीजीएचएस के तहत पेंशनभोगी और 52 लाख से अधिक भूतपूर्व सैनिक और आश्रित शामिल हैं. यह 71 शहरों में 1000 से अधिक निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम से सेवा लेते हैं.

इसे भी पढ़ें- ESI अस्पताल आग: 7 घायल मरीजों को दिल्ली किया गया रेफर

हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को जुलाई और दिसंबर में बकाया राशी को लेकर दो पत्र भेजे गए थे. ज्ञानी ने कहा, हमें अब तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है.'

ज्ञानी ने कहा कि निजी अस्पतालों के फैसले को अगर लागू किया जाता है तो इससे पूरे सेक्टर के सरकारी कर्मचारियों पर बुरा असर पड़ेगा.

इसके साथ ज्ञानी ने कहा कि धन की कमी के कारण, अस्पतालों को अपने कर्मचारियों के वेतन जारी करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है.'

ज्ञानी ने कहा, 'अस्पताल कर्मचारियों के वेतन और अन्य आवश्यक लंबित गतिविधियों के पूर्ति के लिए बैंक से कितना ऋण ले सकता है.'

बता दें कि एएचपीआई सरकार से नियामक संस्थाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य हितधारकों का पक्ष रखता है. निजी अस्पतालों के साथ सरकारी अस्पताल भी एएचपीआई के सदस्य हैं.

नई दिल्ली: देशभर के निजी अस्पतालों ने कैशलेस लेन-देन रोकने की धमकी दी है. दरअसल केंद्र सरकार ने दो हजार करोड़ रुपये से अधिक बकाया राशि अभी तक निजी अस्पतालों को देने में विफल रहा.

वहीं निजी अस्पतालों के प्रतिनिधि ने धमकी दी है कि अगर सरकार ने जनवरी तक बकाया राशि का भुगतान नहीं किया, तो देशभर के निजी अस्पताल एक फरवरी से कैशलेस बंद कर देंगे.

गौरतलब है कि केंद्र सरकार की स्वास्थ्य योजना (सीजीएचडी) और पूर्व सैनिकों की अंशदायी स्वास्थ्य योजना (ईसीएचसी) के तहत मरीजों की इलाज की राशि लंबित है.

ईटीवी भारत से बात करते हुए एसोसिएशन ऑफ हेल्थ प्रोवाइडर्स इन इंडिया (एएचपीआई) के महानिदेशक डॉ. गिरिधर ज्ञानी ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार दो रिमाइंडर पहले ही भेजे जा चुके हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए डॉ. गिरिधर ज्ञानी

ज्ञानी के अनुसार लेनदेन का 70 प्रतिशत बकाया राशि पांच दिनों में देने का प्रावधान है, लेकिन सात महीनों के अंतराल के बाद भी अस्पतालों को सरकार से पूरा बकाया नहीं मिल रहा है. यह एक गंभीर मामला है.

गौरतलब है कि यदि निजी अस्पताल कैशलेस बंद करते हैं, तो यह 37 लाख से अधिक केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को प्रभावित करेगा, जिसमें उनके आश्रित और सीजीएचएस के तहत पेंशनभोगी और 52 लाख से अधिक भूतपूर्व सैनिक और आश्रित शामिल हैं. यह 71 शहरों में 1000 से अधिक निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम से सेवा लेते हैं.

इसे भी पढ़ें- ESI अस्पताल आग: 7 घायल मरीजों को दिल्ली किया गया रेफर

हालांकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय को जुलाई और दिसंबर में बकाया राशी को लेकर दो पत्र भेजे गए थे. ज्ञानी ने कहा, हमें अब तक सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला है.'

ज्ञानी ने कहा कि निजी अस्पतालों के फैसले को अगर लागू किया जाता है तो इससे पूरे सेक्टर के सरकारी कर्मचारियों पर बुरा असर पड़ेगा.

इसके साथ ज्ञानी ने कहा कि धन की कमी के कारण, अस्पतालों को अपने कर्मचारियों के वेतन जारी करने में समस्या का सामना करना पड़ रहा है.'

ज्ञानी ने कहा, 'अस्पताल कर्मचारियों के वेतन और अन्य आवश्यक लंबित गतिविधियों के पूर्ति के लिए बैंक से कितना ऋण ले सकता है.'

बता दें कि एएचपीआई सरकार से नियामक संस्थाओं और स्वास्थ्य क्षेत्र में अन्य हितधारकों का पक्ष रखता है. निजी अस्पतालों के साथ सरकारी अस्पताल भी एएचपीआई के सदस्य हैं.

Intro:New Delhi: Private hospitals across India have threatened to stop cashless transaction after Centre failed to clear their dues amounting to rupees more than 2000 crore.


Body:And if government does not clear the dues by January, the private hospitals across India will stop cashless from February 1.

The amount is pending for treatment of patients under the central government health scheme (CGHD) and ex-servicemen contributory health scheme (ECHS).

Talking to ETV Bharat, Dr Giridhar Gyani, director general of Association of Health Providers in India (AHPI) said that two reminders have already been sent to the Union Finance Ministry as we as Health Ministry.

"The Govenment is supposed to clear 70 percent dues in five days of the transaction. But even after lapse of several months, hospitals are yet to get the dues from the government. This is a serious matter," said Gyani.

If the private hospitals go cashless, it will impact more 37 lakh central government employees including their dependants, and pensioners under CGHS and over 52 lakh exservicemen and dependants covered under ECHS in over 1000 empanelled hospitals and nursing homes in 71 cities.

Two letters flagging pendency of bills were sent to the Union Finance Ministry in July and December. "But we have not received any response from the government side as of now," said Gyani.

The issue has become compounded following the fact that even CGHD reimbursement rates for procedures have not been revised since 2014, whereas hospitals have to pay nominal increment to staff and match inflation related expanses.

Gyani said that the decision of the private hospitals, if implemented, will severely affect the government employees across sectors.

ETV Bharat is in possession of a list of renowned hospitals across India who are demanding their dues.

(GFX IN-In Million

1. MAX Healthcare--CHGS outstanding 1477.7
ECHS outstanding 750
2. Forties Healthcare CHGS outstanding 587.4
ECHS outstanding 1505
3. Narayana Health CGHS outstanding 220
ECHS outstanding 280
4. Aplo Hospitals. CGHS outstanding 690
ECHS outstanding 710
5. Medanta Medacity CGHS outstanding 570
ECHS outstanding 380
6. Shalby Hospital, Gujarat CGHS outstanding 160.2
ECHS outstanding 110.7
7. Ruby Hall Clinic, Telangana CGHS outstanding 128
ECHS outstanding 55

GFC OUT)


Conclusion:Gyani said that due to lack of funds, hospitals are facing problem in releasing salaries of their staff.

"How much loan a hospital can take from a bank to clear the staff salaries, and other necessary pending activities!" said Gyani.

The AHPI advocates with the government, regulatory bodies and other stakeholders in health sector. Private as well as government hospitals are members of AHPI which collaborate and partner with other associations to fulfill India inclusive health goal.

end.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.