नई दिल्ली : विश्वभर में कोरोना वायरस के संक्रमण और संकट के बीच आज गुड फ्राईडे मनाया जा रहा है. ईसाई धर्म से जुड़े लोग आज ईसा मसीह के बलिदान को याद कर रहे हैं. वैसे आज के दिन आमतौर पर लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं, लेकिन देश में कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में लोग आज घरों में रहकर ईसा मसीह को याद करेंगे. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईसा मसीह को याद किया.
पीएम मोदी ने मोदी ने गुड फ्राइडे पर ईसा मसीह को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अपना जीवन दूसरों की सेवा में समर्पित कर दिया.
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Lord Christ devoted his life to serving others. His courage and righteousness stand out and so does his sense of justice.
— Narendra Modi (@narendramodi) April 10, 2020 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data="
On Good Friday, we remember Lord Christ and his commitment to truth, service and justice.
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On Good Friday, we remember Lord Christ and his commitment to truth, service and justice.Lord Christ devoted his life to serving others. His courage and righteousness stand out and so does his sense of justice.
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On Good Friday, we remember Lord Christ and his commitment to truth, service and justice.
क्यों कहते हैं गुड फ्राइडे
ईसा मसीह को सूली पर चढ़ाए जाने की याद के तौर पर गुड फ्राइडे को पवित्र दिवस के रूप में मनाया जाता है.
कोरोना वायरस के संक्रमण और संकट के बीच आज गुड फ्राईडे मनाया जा रहा है. इस धर्म से जुड़े लोग आज ईसा मसीह के बलिदान को याद कर रहे हैं. वैसे आज के दिन आमतौर पर लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं. लेकिन देश में जानलेवा कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन चल रहा है. ऐसे में लोग आज घरों में रहकर ईसा मसीह को याद करेंगे.
आज ही के दिन ईसा मसीह ने मानवता के लिए बलिदान दिया था. लेकिन फिर भी हम इसे गुड फ्राईडे के नाम से जानते हैं. दरअसल ईसा मसीह को धार्मिक कट्टरपंथियों ने सूली पर लटका दिया था. लेकिन इसे गुड फ्राइडे इसलिए कहा जाता है क्योंकि ईसा मसीह ने मनुष्यों की भलाई के लिए अपनी जान दे दी थी.
बाइबिल की माने तो ईसा मसीह को छह घंटो तक सूली पर लटका छोड़ दिया गया था और इसके तीन दिन बाद वे जीवित हो गए थे. इसीलिए गुड फ्राईडे के तीन दिन बाद ईसाई समाज के लोग ईस्टर संडे मनाते हैं.
ईसा मसीह लोगों को सच्चाई की राह पर चलने का संदेश देते थे. यह बात कुछ लोगों को अच्छी नहीं लगी, इसीलिए कुछ कट्टरपंथियों ने उन पर काफी जुल्म किए और उन्हें यातना देकर सूली पर चढ़ा दिया गया. उन्हें कांटो का मुकुट पहनाया गया था. फिर भी ईसा मसीह ने कट्टरपंथियों के इस गुनाह के लिए प्रभु से माफी मांगी थी.