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असम NRC : भ्रमित करने वाले लोगों से रहें सतर्क, प्रतीक हजेला ने की अपील

एनआरसी से जुड़े मुद्दे को उठाने के लिए 'सचेतन नागरिक मंच' को नागरिक समूह द्वारा स्थापित किया गया था. इस फोरम ने हजेला और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को ज्ञापन इस महीने के शुरू में सौंपा. इसी बीच NRC (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) के स्टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने गुवाहाटी के नागरिक फोरम द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है. पढ़ें उन्होंने और क्या कहा ...

आरोप है NRC के मसौदे में विदेशी शामिल है
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Published : Aug 30, 2019, 11:03 PM IST

Updated : Sep 28, 2019, 10:09 PM IST

गुवाहाटी: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के स्टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने गुवाहाटी के नागरिक फोरम द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है. हजेला ने दावा किया, 'नागरिक फोरम असम के लोगों को गुमराह कर रहा है, और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के प्रमाणीकरण व्यवस्था के मूल तत्वों से 'अनभिज्ञ' है.'

दरअसल एनआरसी से जुड़े मुद्दे को उठाने के लिए 'सचेतन नागरिक मंच' को नागरिक समूह द्वारा स्थापित किया गया है. इस फोरम ने हजेला और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को ज्ञापन इस महीने के शुरू में सौंपा था.

ज्ञापन में गलत तरीके से दस्तावेज़ का उपयोग और अवैध नाम जोड़ने का आरोप लगाया है. वहीं, अंतिम सूची शनिवार को जारी होगी.

इस मंच ने हाल ही में त्रुटि-मुक्त NRC के लिए नई दिल्ली में प्रदर्शन किया था. इनकी मांग थी असमिया पहचान के लिए सही प्रमाण वाले डेटा का अवैध तरीके से उपयोग का सीबीआई जांच की जाए.

ये भी पढ़ें: असम में 1971 के बाद नहीं आया एक भी शरणार्थी : रिपोर्ट

मंच द्वारा एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बिंदु-दर-बिंदु खंडन करते हुए हजेला ने मंच के अध्यक्ष को पत्र लिखा है. पत्र में लिखा है, 'ऐसा लगता है कि आपका संगठन केवल बयानबाजी में शामिल है. जिम्मेदारी निभाने से आप दूर है.आपके आरोप में लेशमात्र का सबूत नहीं हैं.'

29 अगस्त की तारीख में हजेला ने पत्र में लिखा है कि एनआरसी को अपडेट करने जैसे संवेदनशील मामले में असम की जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से आरोप लगाया गया है.

मंच ने दावा किया है, उसके ज्ञापन में 25 लाख लोगों क हस्ताक्षर हैं. इस पर उन्होंने कहा कि इसमें 1,84,734 नाम के सामने केवल 1,67,758 व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं.

उन्होंने कहा, 'असम के 25 लाख स्थायी नागरिकों के दावे के मुताबिक हस्ताक्षर है. लेकिन ज्ञापन पर कोई साक्ष्य नहीं है.'

पढ़ें- असम NRC : गृह मंत्रालय की लोगों से अपील, अफवाहों पर न दें ध्यान

हजेला ने कहा कि फोरम ने 'एआरएन नंबर 30071, 301664' जैसे कुछ पंजीकरण नंबरों का उल्लेख किया है, जो संदिग्ध लोगों की सूची में शामिल हैं. लेकिन एनआरसी में 'एआरएन' नंबर 21 संख्या की होती है, जबकि दिए हुए अंकों की संख्या सिर्फ 5 अंकों की है. इसलिए वह ARN नंबर नहीं हो सकता है.

उन्होंने कहा कि फोरम ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई है, हालांकि सिर्फ आरोप लगाया गया है कि NRC के मसौदे में बड़ी संख्या में विदेशियों को शामिल किया गया है.

हजेला ने कहा, 'वास्तव में यह संगठन 30/07/2018 को आखिरी NRC का ड्राफ्ट के प्रकाशन तक एक भी गलत मामला नहीं ला पाया है.'

ये भी पढ़ें: जानें एनआरसी का पूरा घटनाक्रम

NRC सूची के प्रकाशन के बाद किसी भी गलत नाम पर आपत्ति दर्ज करने का एक वैधानिक प्रावधान है.

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि एनआरसी अपडेट की प्रक्रिया की जांच में किसी भी वैज्ञानिक प्रणाली का पालन नहीं किया गया है.

इस मसले पर राज्य समन्वयक ने कहा कि सभी दस्तावेजों को अधिकारियों के ने जांचा था. सभी कागजात रिकॉर्ड में उपलब्ध थे.

ये भी पढ़ें: असम के लोगों को पूर्व सीएम तरुण गोगोई का साथ, NRC के प्रकाशन से पहले दिया आश्वासन

उन्होंने कहा कि बेहद नवीन सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रणाली की मदद से चार वर्षों से छह करोड़ दस्तावेज संभाले गए थे.

हालांकि हजेला ने कहा कि, 'ऐसा मालूम होता है कि दस्तावेजों की प्रामाणिकता का सत्यापन न करने का आरोप NRC जांच प्रणाली की अज्ञानता के कारण उपजा है.'

उन्होंने कहा कि सत्यापन का एक और वैज्ञानिक तरीका पारिवारिक वंशानुगत है, जिसमें एक ही पूर्वज से वंशज होने का दावा करने वाले सभी व्यक्तियों की पीढ़ी की जांच शामिल है.

दरअसल राज्य समन्वयक ने इस आरोप पर सवाल उठाया कि भारत-बांग्लादेश की सीमा वाले जिलों में अन्य जगहों की तुलना में कम बहिष्कार देखा गया है.

ये भी पढ़ें: 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची, पुलिस की पूरी तैयारी

हजेला ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विशेष क्षेत्र से घुसपैठ लगभग एक सदी से हो रहा है. 'यह कैसे पता चलेगा की 1971 के बाद सभी घुसपैठिए सीमावर्ती जिलों में ही सीमित है.'

उन्होंने इस फोरम को सलाह दी कि वे सीमावर्ती जिलों के लिए विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा घोषित अवैध प्रवासियों की संख्या से संबंधित जानकारी अधिकारियों से पता करें.

उल्लेखनीय है असम 20 वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों से ही बांग्लादेश के लोगों की घुसपैठ का सामना किया था. इसलिए 1951 में पहली बार एनआरसी तैयार किया गया था.
तब से पहली बार अब एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है.

गुवाहाटी: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के स्टेट को-ऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला ने गुवाहाटी के नागरिक फोरम द्वारा लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है. हजेला ने दावा किया, 'नागरिक फोरम असम के लोगों को गुमराह कर रहा है, और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के प्रमाणीकरण व्यवस्था के मूल तत्वों से 'अनभिज्ञ' है.'

दरअसल एनआरसी से जुड़े मुद्दे को उठाने के लिए 'सचेतन नागरिक मंच' को नागरिक समूह द्वारा स्थापित किया गया है. इस फोरम ने हजेला और राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को ज्ञापन इस महीने के शुरू में सौंपा था.

ज्ञापन में गलत तरीके से दस्तावेज़ का उपयोग और अवैध नाम जोड़ने का आरोप लगाया है. वहीं, अंतिम सूची शनिवार को जारी होगी.

इस मंच ने हाल ही में त्रुटि-मुक्त NRC के लिए नई दिल्ली में प्रदर्शन किया था. इनकी मांग थी असमिया पहचान के लिए सही प्रमाण वाले डेटा का अवैध तरीके से उपयोग का सीबीआई जांच की जाए.

ये भी पढ़ें: असम में 1971 के बाद नहीं आया एक भी शरणार्थी : रिपोर्ट

मंच द्वारा एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर) अधिकारियों के खिलाफ लगाए गए आरोपों के बिंदु-दर-बिंदु खंडन करते हुए हजेला ने मंच के अध्यक्ष को पत्र लिखा है. पत्र में लिखा है, 'ऐसा लगता है कि आपका संगठन केवल बयानबाजी में शामिल है. जिम्मेदारी निभाने से आप दूर है.आपके आरोप में लेशमात्र का सबूत नहीं हैं.'

29 अगस्त की तारीख में हजेला ने पत्र में लिखा है कि एनआरसी को अपडेट करने जैसे संवेदनशील मामले में असम की जनता को गुमराह करने के उद्देश्य से आरोप लगाया गया है.

मंच ने दावा किया है, उसके ज्ञापन में 25 लाख लोगों क हस्ताक्षर हैं. इस पर उन्होंने कहा कि इसमें 1,84,734 नाम के सामने केवल 1,67,758 व्यक्तियों के हस्ताक्षर हैं.

उन्होंने कहा, 'असम के 25 लाख स्थायी नागरिकों के दावे के मुताबिक हस्ताक्षर है. लेकिन ज्ञापन पर कोई साक्ष्य नहीं है.'

पढ़ें- असम NRC : गृह मंत्रालय की लोगों से अपील, अफवाहों पर न दें ध्यान

हजेला ने कहा कि फोरम ने 'एआरएन नंबर 30071, 301664' जैसे कुछ पंजीकरण नंबरों का उल्लेख किया है, जो संदिग्ध लोगों की सूची में शामिल हैं. लेकिन एनआरसी में 'एआरएन' नंबर 21 संख्या की होती है, जबकि दिए हुए अंकों की संख्या सिर्फ 5 अंकों की है. इसलिए वह ARN नंबर नहीं हो सकता है.

उन्होंने कहा कि फोरम ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं की गई है, हालांकि सिर्फ आरोप लगाया गया है कि NRC के मसौदे में बड़ी संख्या में विदेशियों को शामिल किया गया है.

हजेला ने कहा, 'वास्तव में यह संगठन 30/07/2018 को आखिरी NRC का ड्राफ्ट के प्रकाशन तक एक भी गलत मामला नहीं ला पाया है.'

ये भी पढ़ें: जानें एनआरसी का पूरा घटनाक्रम

NRC सूची के प्रकाशन के बाद किसी भी गलत नाम पर आपत्ति दर्ज करने का एक वैधानिक प्रावधान है.

ज्ञापन में यह भी आरोप लगाया गया कि एनआरसी अपडेट की प्रक्रिया की जांच में किसी भी वैज्ञानिक प्रणाली का पालन नहीं किया गया है.

इस मसले पर राज्य समन्वयक ने कहा कि सभी दस्तावेजों को अधिकारियों के ने जांचा था. सभी कागजात रिकॉर्ड में उपलब्ध थे.

ये भी पढ़ें: असम के लोगों को पूर्व सीएम तरुण गोगोई का साथ, NRC के प्रकाशन से पहले दिया आश्वासन

उन्होंने कहा कि बेहद नवीन सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित प्रणाली की मदद से चार वर्षों से छह करोड़ दस्तावेज संभाले गए थे.

हालांकि हजेला ने कहा कि, 'ऐसा मालूम होता है कि दस्तावेजों की प्रामाणिकता का सत्यापन न करने का आरोप NRC जांच प्रणाली की अज्ञानता के कारण उपजा है.'

उन्होंने कहा कि सत्यापन का एक और वैज्ञानिक तरीका पारिवारिक वंशानुगत है, जिसमें एक ही पूर्वज से वंशज होने का दावा करने वाले सभी व्यक्तियों की पीढ़ी की जांच शामिल है.

दरअसल राज्य समन्वयक ने इस आरोप पर सवाल उठाया कि भारत-बांग्लादेश की सीमा वाले जिलों में अन्य जगहों की तुलना में कम बहिष्कार देखा गया है.

ये भी पढ़ें: 31 अगस्त को एनआरसी की अंतिम सूची, पुलिस की पूरी तैयारी

हजेला ने कहा कि इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि विशेष क्षेत्र से घुसपैठ लगभग एक सदी से हो रहा है. 'यह कैसे पता चलेगा की 1971 के बाद सभी घुसपैठिए सीमावर्ती जिलों में ही सीमित है.'

उन्होंने इस फोरम को सलाह दी कि वे सीमावर्ती जिलों के लिए विदेशी ट्रिब्यूनल द्वारा घोषित अवैध प्रवासियों की संख्या से संबंधित जानकारी अधिकारियों से पता करें.

उल्लेखनीय है असम 20 वीं शताब्दी के शुरुआती दिनों से ही बांग्लादेश के लोगों की घुसपैठ का सामना किया था. इसलिए 1951 में पहली बार एनआरसी तैयार किया गया था.
तब से पहली बार अब एनआरसी को अपडेट किया जा रहा है.

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PRI GEN NAT
.GUWAHATI CAL9
AS-NRC-HAJELA
"Ignorant" Mancha tries to mislead people on NRC: Hajela
         Guwahati, Aug 30 (PTI) NRC State Coordinator Prateek
Hajela has denied all charges levelled by a Guwahati-based
citizens' forum and claimed that the group is "misleading" the
people of Assam and "ignorant" of the basics of the
verification system of the National Register of Citizens.
         The Sachetan Nagarik Mancha, a platform of citizens
formed during updation work of the NRC, had submitted a
memorandum to Hajela and then to President Ram Nath Kovind
earlier this month alleging wrongful exclusions as well
as inclusions in the document, the final version of which is
slated to be released on Saturday.
         The Mancha recently held a demonstration in New Delhi
for an error-free NRC, touted to be a proof of Assamese
identity, and demanded a CBI probe into the alleged illegal
trading of legacy data.
         Giving a point-by-point rebuttal of allegegations
levelled against the NRC authorities by the Mancha, Hajela
wrote a letter to its president saying, "It appears that far
from carrying out any responsibility, your organisation is
involved only in creating rhetoric making grandiose
allegations which are not supported by an iota of evidence."
         The allegations "appear to be aimed at misleading the
public of Assam in a sensitive matter like updating of NRC",
Hajela said in a letter, dated August 29, a copy of which is
in possession of PTI.
         On the claim of the Mancha that its memorandum had
signatures of 25 lakh indigenous people, he said it contained
signatures of only 1,67,758 persons against 1,84,734 names.
         "Your claim of 25 lakh indigenous Indian citizens of
Assam as having signed the memorandum is not found to be
supported by any evidence at all," it added.
         Hajela said the Mancha mentioned a few registration
numbers like "ARN No 30071, 301664" suspected to be of
doubtful people included in the list, but the "NRC ARN number
is a 21-digit number and the numbers quoted by you of 5-digits
cannot, therefore, be ARN numbers."
         Records do not reveal any objection that has been
filed through the Mancha though it alleged that a large number
of foreigners have been included in the draft NRC, he said.
         "In fact, your organisation has not been able to point
out a single such case of wrongful inclusion since publication
of the Complete Draft NRC on 30/07/2018," Hajela said.
         After the publication of the draft, there was a
statutory provision of filing objections by anyone against any
suspected wrongful inclusions.
         "You have further alleged that names of indigenous
people are excluded from NRC (Draft). On this account also,
you have not pointed out a single such instance to any of the
NRC authorities so far," Hajela said.
         The memorandum also alleged that no scientific system
was followed to verify the process of NRC update, to which the
state coordinator said all submitted documents were checked
through the issuing authorities if such papers were available
in the records.
         He said six crore documents were handled in four years
with the help of an extremely sophisticated information
technology based system.
          "It appears that your allegation of non-verification
of authenticity of documents stems from a complete ignorance
of even the basics of NRC verification system," Hajela said.
         Another scientific method of verification is the one
based on the family tree that involves checking the
consistency of all persons claiming descendance from the same
ancestor, he said.
         On the charge that districts along India-Bangladesh
border have seen lesser exclusions than the other ones, the
NRC State Coordinator questioned the basis of that theory.
         "Considering the fact that immigration from 'Specified
Territory' has been happening for around a century now, it is
not known as to how you could assume that post-1971 illegal
migrants would be confined only to the border districts,"
Hajela added.
         He advised the Mancha to find out from the authorities
concerned the number of illegal immigrants declared by the
Foreigner's Tribunals for border districts.
         Assam, which had faced an influx of people from
Bangladesh since the early 20th century, is the only state
having an NRC which was first prepared in 1951.         It is for the
first time since then that the NRC is being updated. PTI TR
SBN
NN
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08301734
NNNN
Last Updated : Sep 28, 2019, 10:09 PM IST
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