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मंगल ग्रह पर जीवन के प्रमाण खोजने की संभावना, चुनौतीपूर्ण और रोमांचक : वैज्ञानिक

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Published : Jul 31, 2020, 9:53 AM IST

मंगल ग्रह की चट्टान को पहली बार धरती पर लाकर किसी प्राचीन जीवन के प्रमाण की जांच के लिए उसका विश्लेषण करने के वास्ते नासा ने अब तक का सबसे बड़ा और जटिल रोवर बृहस्पतिवार को प्रक्षेपित किया. पढ़ें पूरी खबर...

मंगल ग्रह पर जीवन के प्रमाण खोजने की संभावना
मंगल ग्रह पर जीवन के प्रमाण खोजने की संभावना

नई दिल्लीः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मंगल ग्रह के नए अभियान को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अभियान की सबसे बड़ी और रोमांचक चुनौती लाल ग्रह पर प्राचीन काल के सूक्ष्म जीवों के अवशेषों के संबंध में प्रमाण जुटाना होगा.

मंगल ग्रह की चट्टान को पहली बार धरती पर लाकर किसी प्राचीन जीवन के प्रमाण की जांच के लिए उसका विश्लेषण करने के वास्ते नासा ने अब तक का सबसे बड़ा और जटिल रोवर बृहस्पतिवार को प्रक्षेपित किया.

नासा का 'परसेवरेंस' रोवर मंगल के जेजेरो क्रेटर पर जाकर जीवन के प्रमाण तलाश करेगा. माना जाता है कि इस स्थान की चट्टानों पर सूक्ष्म जीवों के अवशेष हैं और वहां तीन अरब साल पहले एक नदी डेल्टा था.

लंबे समय तक चलने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत कार के आकार का रोवर बनाया गया है जो कैमरा, माइक्रोफोन, ड्रिल और लेजर से युक्त है.

उम्मीद है कि रोवर सात महीने और 48 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अगले साल 18 फरवरी तक लाल ग्रह पर पहुंच जाएगा.

प्लूटोनियम की शक्ति से संचालित, छह पहियों वाला रोवर मंगल की सतह पर छेद कर चट्टानों के सूक्ष्म नमूने एकत्र करेगा जिन्हें संभवत: 2031 में धरती पर लाया जाएगा.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में नासा की 'जेट प्रपल्शन प्रयोगशाला' में वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक गौतम चट्टोपाध्याय ने कहा कि वर्ष 2005 में लाल ग्रह के सर्वेक्षण के लिए भेजे गए 'मंगल टोही परिक्रमा यान' द्वारा की गई गहन तलाश के बाद जेजेरो क्रेटर को चुना गया.

चट्टोपाध्याय ने कहा, ' हमें विश्वास है कि कभी यह (जेजेरो क्रेटर) पानी से भरा हुआ था. जाहिर है, हम कार्बन आधारित जीवन की तलाश कर रहे हैं क्योंकि उस तरह के जीवन के बारे में हम जानते हैं और उसके लिए पानी और ऑक्सीजन आवश्यक है.'

उन्होंने कहा, ' हमारा यह विश्वास कि क्रेटर कभी नदी डेल्टा हुआ करता था और अगर मंगल ग्रह पर कभी जीवन था अथवा आज भी है तो इस स्थान पर कुछ अवशेष होंगे.'

गुजरात के अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) में ग्रह वैज्ञानिक द्विजेश राय ने कहा कि उनके मुताबिक, परसेवरेंस रोवर अभियान का सबसे रोमांचक हिस्सा वह वैज्ञानिक विश्लेषण है जोकि ग्रह पर प्राचीन सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति के परीक्षण के लिए किया जाएगा.

साथ ही मंगल पर जीवन के अनुकूल स्थिति और पानी होने के बारे में भी जानकारी मिल सकती है.

नई दिल्लीः अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मंगल ग्रह के नए अभियान को लेकर वैज्ञानिकों का कहना है कि इस अभियान की सबसे बड़ी और रोमांचक चुनौती लाल ग्रह पर प्राचीन काल के सूक्ष्म जीवों के अवशेषों के संबंध में प्रमाण जुटाना होगा.

मंगल ग्रह की चट्टान को पहली बार धरती पर लाकर किसी प्राचीन जीवन के प्रमाण की जांच के लिए उसका विश्लेषण करने के वास्ते नासा ने अब तक का सबसे बड़ा और जटिल रोवर बृहस्पतिवार को प्रक्षेपित किया.

नासा का 'परसेवरेंस' रोवर मंगल के जेजेरो क्रेटर पर जाकर जीवन के प्रमाण तलाश करेगा. माना जाता है कि इस स्थान की चट्टानों पर सूक्ष्म जीवों के अवशेष हैं और वहां तीन अरब साल पहले एक नदी डेल्टा था.

लंबे समय तक चलने वाली इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत कार के आकार का रोवर बनाया गया है जो कैमरा, माइक्रोफोन, ड्रिल और लेजर से युक्त है.

उम्मीद है कि रोवर सात महीने और 48 करोड़ किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अगले साल 18 फरवरी तक लाल ग्रह पर पहुंच जाएगा.

प्लूटोनियम की शक्ति से संचालित, छह पहियों वाला रोवर मंगल की सतह पर छेद कर चट्टानों के सूक्ष्म नमूने एकत्र करेगा जिन्हें संभवत: 2031 में धरती पर लाया जाएगा.

अमेरिका के कैलिफोर्निया में नासा की 'जेट प्रपल्शन प्रयोगशाला' में वरिष्ठ अनुसंधान वैज्ञानिक गौतम चट्टोपाध्याय ने कहा कि वर्ष 2005 में लाल ग्रह के सर्वेक्षण के लिए भेजे गए 'मंगल टोही परिक्रमा यान' द्वारा की गई गहन तलाश के बाद जेजेरो क्रेटर को चुना गया.

चट्टोपाध्याय ने कहा, ' हमें विश्वास है कि कभी यह (जेजेरो क्रेटर) पानी से भरा हुआ था. जाहिर है, हम कार्बन आधारित जीवन की तलाश कर रहे हैं क्योंकि उस तरह के जीवन के बारे में हम जानते हैं और उसके लिए पानी और ऑक्सीजन आवश्यक है.'

उन्होंने कहा, ' हमारा यह विश्वास कि क्रेटर कभी नदी डेल्टा हुआ करता था और अगर मंगल ग्रह पर कभी जीवन था अथवा आज भी है तो इस स्थान पर कुछ अवशेष होंगे.'

गुजरात के अहमदाबाद की भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला (पीआरएल) में ग्रह वैज्ञानिक द्विजेश राय ने कहा कि उनके मुताबिक, परसेवरेंस रोवर अभियान का सबसे रोमांचक हिस्सा वह वैज्ञानिक विश्लेषण है जोकि ग्रह पर प्राचीन सूक्ष्म जीवों की उपस्थिति के परीक्षण के लिए किया जाएगा.

साथ ही मंगल पर जीवन के अनुकूल स्थिति और पानी होने के बारे में भी जानकारी मिल सकती है.

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