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विवादों में आए कोलकाता पुलिस प्रमुख से आज पूछताछ

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई आज कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से शिलॉन्ग में पूछताछ करेगी. आरोप है कि उन्होंने सारदा और अन्य पोंजी घोटाले से संबंधित दस्तावेजों को नष्ट करने का प्रयास किया है. वह 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं.

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Published : Feb 9, 2019, 3:12 AM IST

Updated : Feb 9, 2019, 5:04 AM IST

कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार.

वह सारदा एवं अन्य पोंजी घोटाला मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख थे. राजीव कुमार सहित कुछ हाई प्रोफाइल संदिग्धों से पूछताछ के दौरान अतिरिक्त श्रम बल मुहैया कराने के लिए सीबीआई ने दिल्ली, भोपाल और लखनऊ इकाई के दस अधिकारियों को भेजा है.

नई दिल्ली में विशेष इकाई के पुलिस अधीक्षक जगरूप एस. गुसिन्हा के साथ अतिरिक्त एसपी वी एम मित्तल, सुरेन्द्र कुमार मलिक, चंदर दीप, उपाधीक्षक अतुल हजेला, आलोक कुमार शाही और पी के श्रीवास्तव, निरीक्षक हरिशंकर चांद, रितेश दानही और सुरजीत दास तैनात किए गए हैं.

क्या है घोटाला
यह घोटाला करीब 40 हजार करोड़ का बताया जा रहा है. इसके तहत आम लोगों को यह भरोसा दिया गया था कि उनका पैसा 34 गुना अधिक कर वापस किया जाएगा.

  • कुल 10 लाख लोगों ने इसमें पैसे निवेश किए थे. प. बंगाल, ओडिशा और असम के लोगों ने अपना पैसा लगाया था.
  • बाद में जब लोगों को पैसे नहीं दिए गए, तो मीडिया में यह खबर आने लगी. इसमें कई राजनीतिक दलों और नेताओं के नाम सामने आए.
  • मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सारदा ग्रुप ने बंगाल, झारखंड, ओडिशा और उत्तर पूर्व के राज्यों में अपने दफ्तर खोल लिए थे.
  • 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए.
  • इस मामले में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम भी आरोपी हैं. उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सारदा के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर साल 2010 से 2012 के बीच 1.4 करोड़ रुपये लिए थे.
  • कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सारदा और रोज वैली चिटफंट घोटाले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख रह चुके हैं.
  • आरोप लगा रहा है कि राजीव कुमार ने जांच को प्रभावित किया. सबूतों के साथ छेड़छाड़़ की.
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रोज वैली घोटाला
रोज वैली पोंजी योजना घोटाला का खुलासा 2013 में हुआ था. इस समूह के चेयरमैन गौतम कुंडू थे. समूह ने कथित तौर पर 27 कंपनियां शुरू की थीं. इसने कथित तौर पर पश्चिम बंगाल, असम व बिहार के जमाकर्ताओं से 17,520 करोड़ रुपये एकत्र किए थे. प्रवर्तन निदेशालय ने इसके रिसॉर्ट, होटलों व भूमि को कुर्क किया था, जिसकी कीमत 2,300 करोड़ रुपये थी. घोटाले से जुड़े मामले में आभूषणों के शोरूम की तलाशी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज व सोने के आभूषण व कीमती पत्थर बरामद किए थे.

क्यों हो रही है राजनीति
प. बंगाल के सीएम ममता बनर्जी तीन फरवरी को उस समय धरने पर बैठ गईं, जब उन्हें यह पता चला कि कोलकाता पुलिस प्रमुख को सीबीआई गिरफ्तार कर सकती है. हालांकि, सीबीआई ने बताया था कि वह उनसे सिर्फ पूछताछ करना चाहती है.

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धरने के दौरान ममता.

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ममता न सिर्फ धरने पर बैठीं, बल्कि उन्होंने सभी विपक्षी दलों से भी संपर्क साधा. कांग्रेस समेत दूसरे दलों ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया. कुछ दलों के प्रतिनिधि भी उनसे मिलने पहुंचे. इन लोगों ने पीएम मोदी पर संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया. हालांकि, भाजपा ने उनके सारे आरोपों को निराधार बताया.

दरअसल, दो महीने बाद लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में हर दल राजनीति करना चाहती है. जनता के बीच किस तरीके से संदेश ले जाया जाना है, इसी पर राजनीति हो रही है. प. बंगाल में भाजपा लगातार कोशिश कर रही है, कि वह बड़ी सफलता हासिल करे. अभी उसकी मात्र दो सीटें हैं. पंचायत चुनाव में भाजपा ने सीपीएम से ज्यादा वोट हासिल किए. ऐसे में उनकी उम्मीदें लगातार बढ़ रही हैं.

वैसे, ममता और उनकी पार्टी ने भाजपा की सफलता को नगण्य बताया है. उनका कहना है कि वे भाजपा को यहां पर सफलता नहीं मिलने देंगे.

इसी बीच एक सख्त कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने कोलकाता पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों के बीच गतिरोध में शामिल पुलिस के पांच वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का फैसला किया.

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ममता के धरने के दौरान कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार भी रहे थे मौजूद.
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सूत्रों के मुताबिक पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सड़क प्रदर्शन में हिस्सा लेने के लिए कार्रवाई का सामना करना होगा.

बता दें कि गत रविवार (तीन फरवरी) मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और सीबीआई के खिलाफ धरना दिया था.

माना जा रहा है कि 45 घंटों से ज्यादा वक्त तक चले राज्य और केंद्र सरकार के बीच अभूतपूर्व गतिरोध के संदर्भ में यह कार्रवाई हो सकती है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सरकार प्रशंसा योग्य सेवा के लिए इन पुलिस अधिकारियों को मिले पदकों को वापस लेने की योजना बना रही है. गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने पांच अधिकारियों के नाम भी साझा किए. एक नजर:

  • वीरेंद्र, भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी व पुलिस महानिदेशक (डीजी) 1985 बैच
  • विनीत गोयल, IPS अधिकारी व अतिरिक्त महानिदेशक, 1994 बैच
  • अनुज शर्मा, IPS अधिकारी व अतिरिक्त (डीजी) कानून-व्यवस्था, 1991 बैच
  • ज्ञानवंत सिंह, अधिकारी व पुलिस आयुक्त (सीपी) 1993 बैच
  • सुप्रतिम सरकार, अतिरिक्त सीपी, 1997 बैच
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इससे पहले गृह मंत्रालय के सूत्र ने मंगलवार को भी कहा था कि कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को केंद्र के साथ नई समस्याओं का सामना करना होगा.

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ममता ने सीबीआई के विरोध और राजीव कुमार के समर्थन में किया था धरना प्रदर्शन.

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केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार से उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करने को कहा था.

सूत्र ने कहा था कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को 1989 बैच के (IPS) अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए एक पत्र लिखा गया है.
यह कार्रवाई 'अनुशासनहीनता और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968/एआईएस(अनुशासन और अपील), नियम 1969' के तहत करने के लिए कही गई है.

वह सारदा एवं अन्य पोंजी घोटाला मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख थे. राजीव कुमार सहित कुछ हाई प्रोफाइल संदिग्धों से पूछताछ के दौरान अतिरिक्त श्रम बल मुहैया कराने के लिए सीबीआई ने दिल्ली, भोपाल और लखनऊ इकाई के दस अधिकारियों को भेजा है.

नई दिल्ली में विशेष इकाई के पुलिस अधीक्षक जगरूप एस. गुसिन्हा के साथ अतिरिक्त एसपी वी एम मित्तल, सुरेन्द्र कुमार मलिक, चंदर दीप, उपाधीक्षक अतुल हजेला, आलोक कुमार शाही और पी के श्रीवास्तव, निरीक्षक हरिशंकर चांद, रितेश दानही और सुरजीत दास तैनात किए गए हैं.

क्या है घोटाला
यह घोटाला करीब 40 हजार करोड़ का बताया जा रहा है. इसके तहत आम लोगों को यह भरोसा दिया गया था कि उनका पैसा 34 गुना अधिक कर वापस किया जाएगा.

  • कुल 10 लाख लोगों ने इसमें पैसे निवेश किए थे. प. बंगाल, ओडिशा और असम के लोगों ने अपना पैसा लगाया था.
  • बाद में जब लोगों को पैसे नहीं दिए गए, तो मीडिया में यह खबर आने लगी. इसमें कई राजनीतिक दलों और नेताओं के नाम सामने आए.
  • मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सारदा ग्रुप ने बंगाल, झारखंड, ओडिशा और उत्तर पूर्व के राज्यों में अपने दफ्तर खोल लिए थे.
  • 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए.
  • इस मामले में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम भी आरोपी हैं. उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सारदा के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर साल 2010 से 2012 के बीच 1.4 करोड़ रुपये लिए थे.
  • कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सारदा और रोज वैली चिटफंट घोटाले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख रह चुके हैं.
  • आरोप लगा रहा है कि राजीव कुमार ने जांच को प्रभावित किया. सबूतों के साथ छेड़छाड़़ की.
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रोज वैली घोटाला
रोज वैली पोंजी योजना घोटाला का खुलासा 2013 में हुआ था. इस समूह के चेयरमैन गौतम कुंडू थे. समूह ने कथित तौर पर 27 कंपनियां शुरू की थीं. इसने कथित तौर पर पश्चिम बंगाल, असम व बिहार के जमाकर्ताओं से 17,520 करोड़ रुपये एकत्र किए थे. प्रवर्तन निदेशालय ने इसके रिसॉर्ट, होटलों व भूमि को कुर्क किया था, जिसकी कीमत 2,300 करोड़ रुपये थी. घोटाले से जुड़े मामले में आभूषणों के शोरूम की तलाशी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज व सोने के आभूषण व कीमती पत्थर बरामद किए थे.

क्यों हो रही है राजनीति
प. बंगाल के सीएम ममता बनर्जी तीन फरवरी को उस समय धरने पर बैठ गईं, जब उन्हें यह पता चला कि कोलकाता पुलिस प्रमुख को सीबीआई गिरफ्तार कर सकती है. हालांकि, सीबीआई ने बताया था कि वह उनसे सिर्फ पूछताछ करना चाहती है.

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धरने के दौरान ममता.

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ममता न सिर्फ धरने पर बैठीं, बल्कि उन्होंने सभी विपक्षी दलों से भी संपर्क साधा. कांग्रेस समेत दूसरे दलों ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया. कुछ दलों के प्रतिनिधि भी उनसे मिलने पहुंचे. इन लोगों ने पीएम मोदी पर संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया. हालांकि, भाजपा ने उनके सारे आरोपों को निराधार बताया.

दरअसल, दो महीने बाद लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में हर दल राजनीति करना चाहती है. जनता के बीच किस तरीके से संदेश ले जाया जाना है, इसी पर राजनीति हो रही है. प. बंगाल में भाजपा लगातार कोशिश कर रही है, कि वह बड़ी सफलता हासिल करे. अभी उसकी मात्र दो सीटें हैं. पंचायत चुनाव में भाजपा ने सीपीएम से ज्यादा वोट हासिल किए. ऐसे में उनकी उम्मीदें लगातार बढ़ रही हैं.

वैसे, ममता और उनकी पार्टी ने भाजपा की सफलता को नगण्य बताया है. उनका कहना है कि वे भाजपा को यहां पर सफलता नहीं मिलने देंगे.

इसी बीच एक सख्त कार्रवाई करते हुए केंद्र सरकार ने कोलकाता पुलिस और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के अधिकारियों के बीच गतिरोध में शामिल पुलिस के पांच वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का फैसला किया.

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बता दें कि गत रविवार (तीन फरवरी) मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार और सीबीआई के खिलाफ धरना दिया था.

माना जा रहा है कि 45 घंटों से ज्यादा वक्त तक चले राज्य और केंद्र सरकार के बीच अभूतपूर्व गतिरोध के संदर्भ में यह कार्रवाई हो सकती है.

गृह मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सरकार प्रशंसा योग्य सेवा के लिए इन पुलिस अधिकारियों को मिले पदकों को वापस लेने की योजना बना रही है. गृह मंत्रालय के एक सूत्र ने पांच अधिकारियों के नाम भी साझा किए. एक नजर:

  • वीरेंद्र, भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी व पुलिस महानिदेशक (डीजी) 1985 बैच
  • विनीत गोयल, IPS अधिकारी व अतिरिक्त महानिदेशक, 1994 बैच
  • अनुज शर्मा, IPS अधिकारी व अतिरिक्त (डीजी) कानून-व्यवस्था, 1991 बैच
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इससे पहले गृह मंत्रालय के सूत्र ने मंगलवार को भी कहा था कि कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार को केंद्र के साथ नई समस्याओं का सामना करना होगा.

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ममता ने सीबीआई के विरोध और राजीव कुमार के समर्थन में किया था धरना प्रदर्शन.

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केंद्र ने पश्चिम बंगाल सरकार से उनके खिलाफ अनुशासनिक कार्रवाई शुरू करने को कहा था.

सूत्र ने कहा था कि पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को 1989 बैच के (IPS) अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए एक पत्र लिखा गया है.
यह कार्रवाई 'अनुशासनहीनता और अखिल भारतीय सेवा (आचरण) नियम 1968/एआईएस(अनुशासन और अपील), नियम 1969' के तहत करने के लिए कही गई है.

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photo of rajeev kumar and rishi shukla





police commissioner rajeev kumar before cbi in shillong 

विवादों में आए कोलकाता पुलिस प्रमुख से आज पूछताछ 



नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सीबीआई आज कोलकाता पुलिस आयुक्त राजीव कुमार से शिलॉन्ग में पूछताछ करेगी. आरोप है कि उन्होंने सारदा और अन्य पोंजी घोटाले से संबंधित दस्तावेजों को नष्ट करने का प्रयास किया है. वह 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. 

वह सारदा एवं अन्य पोंजी घोटाला मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी के प्रमुख थे. राजीव कुमार सहित कुछ हाई प्रोफाइल संदिग्धों से पूछताछ के दौरान अतिरिक्त श्रम बल मुहैया कराने के लिए सीबीआई ने दिल्ली, भोपाल और लखनऊ इकाई के दस अधिकारियों को भेजा है. 

नई दिल्ली में विशेष इकाई के पुलिस अधीक्षक जगरूप एस. गुसिन्हा के साथ अतिरिक्त एसपी वी एम मित्तल, सुरेन्द्र कुमार मलिक, चंदर दीप, उपाधीक्षक अतुल हजेला, आलोक कुमार शाही और पी के श्रीवास्तव, निरीक्षक हरिशंकर चांद, रितेश दानही और सुरजीत दास तैनात किए गए हैं. 

क्या है घोटाला 

यह घोटाला करीब 40 हजार करोड़ का बताया जा रहा है. इसके तहत आम लोगों को यह भरोसा दिया गया था कि उनका पैसा 34 गुना अधिक कर वापस किया जाएगा.

कुल 10 लाख लोगों ने इसमें पैसे निवेश किए थे. प. बंगाल, ओडिशा और असम के लोगों ने अपना पैसा लगाया था. 

बाद में जब लोगों को पैसे नहीं दिए गए, तो मीडिया में यह खबर आने लगी. इसमें कई राजनीतिक दलों और नेताओं के नाम सामने आए. 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक सारदा ग्रुप ने बंगाल, झारखंड, ओडिशा और उत्तर पूर्व के राज्यों में अपने दफ्तर खोल लिए थे. 

2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को जांच के आदेश दिए.

इस मामले में पी चिदंबरम की पत्नी नलिनी चिदंबरम भी आरोपी हैं. उनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने सारदा के प्रमुख सुदीप्तो सेन के साथ मिलकर साल 2010 से 2012 के बीच 1.4 करोड़ रुपये लिए थे. 

कोलकाता पुलिस कमिश्नर राजीव कुमार सारदा और रोज वैली चिटफंट घोटाले की जांच के लिए बनाई गई एसआईटी के प्रमुख रह चुके हैं. 

आरोप लगा रहा है कि राजीव कुमार ने जांच को प्रभावित किया. सबूतों के साथ छेड़छाड़़ की. 

रोज वैली घोटाला

रोज वैली पोंजी योजना घोटाला का खुलासा 2013 में हुआ था. इस समूह के चेयरमैन गौतम कुंडू थे. समूह ने कथित तौर पर 27 कंपनियां शुरू की थीं. इसने कथित तौर पर पश्चिम बंगाल, असम व बिहार के जमाकर्ताओं से 17,520 करोड़ रुपये एकत्र किए थे. प्रवर्तन निदेशालय ने इसके रिसॉर्ट, होटलों व भूमि को कुर्क किया था, जिसकी कीमत 2,300 करोड़ रुपये थी. घोटाले से जुड़े मामले में आभूषणों के शोरूम की तलाशी के दौरान आपत्तिजनक दस्तावेज व सोने के आभूषण व कीमती पत्थर बरामद किए थे. 

क्यों हो रही है राजनीति

प. बंगाल के सीएम ममता बनर्जी तीन फरवरी को उस समय धरने पर बैठ गईं, जब उन्हें यह पता चला कि कोलकाता पुलिस प्रमुख को सीबीआई गिरफ्तार कर सकती है. हालांकि, सीबीआई ने बताया था कि वह उनसे सिर्फ पूछताछ करना चाहती है. 

ममता न सिर्फ धरने पर बैठीं, बल्कि उन्होंने सभी विपक्षी दलों से भी संपर्क साधा. कांग्रेस समेत दूसरे दलों ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया. कुछ दलों के प्रतिनिधि भी उनसे मिलने पहुंचे. इन लोगों ने पीएम मोदी पर संविधान की धज्जियां उड़ाने का आरोप लगाया. हालांकि, भाजपा ने उनके सारे आरोपों को निराधार बताया. 

दरअसल, दो महीने बाद लोकसभा के चुनाव होने वाले हैं. ऐसे में हर दल राजनीति करना चाहती है. जनता के बीच किस तरीके से संदेश ले जाया जाना है, इसी पर राजनीति हो रही है. प. बंगाल में भाजपा लगातार कोशिश कर रही है, कि वह बड़ी सफलता हासिल करे. अभी उसकी मात्र दो सीटें हैं. पंचायत चुनाव में भाजपा ने सीपीएम से ज्यादा वोट हासिल किए. ऐसे में उनकी उम्मीदें लगातार बढ़ रही हैं. 

वैसे, ममता और उनकी पार्टी ने भाजपा की सफलता को नगण्य बताया है. उनका कहना है कि वे भाजपा को यहां पर सफलता नहीं मिलने देंगे. 

 


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Last Updated : Feb 9, 2019, 5:04 AM IST
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