नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून पर एक बार फिर से सरकार का रूख स्पष्ट कर दिया. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार किसानों के हित में फैसले ले रही है. लेकिन कुछ आंदोलनजीवी किसान आंदोलन की पवित्रता को अवपित्र करने की कोशिश कर रहे हैं.
पीएम ने कहा कि कृषि में सुधार बहुत ही जरूरी कदम है. हमारी सरकार ने इसमें सुधार के लिए ईमानदारी से प्रयास किया है.
पीएम ने कहा कि विपक्ष ने चर्चा के दौरान न तो कानून की मंशा और न ही तथ्यों पर चर्चा की. हां, कानून के रंग पर चर्चा जरूर की.
किसान आंदोलन पर पीएम ने कहा कि वह उनका बहुत सम्मान करते हैं. कृषि मंत्री ने कई दौर की उनसे बातचीत भी की. इसके बावजूद अगर ये किसान कुछ विशेष बिंदुओं पर ध्यान दिलाएंगे, तो कानून में सुधार करने के लिए तैयार हैं.
पीएम ने कहा कि मैं किसान के पूछना चाहता हूं कि इस नए कानून ने आपसे कुछ छीना नहीं है. एक अतिरिक्त विकल्प व्यवस्था बनाई है. आपकी मर्जी है, आप इसे स्वीकार करें या न करें.
पीएम ने कहा कि आंदोलनजीवी सिर्फ भय पैदा कर रहे हैं. ऐसा होगा, तो वैसा होगा. इस तरह का विरोध लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है.
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मोदी ने कहा कि छोटे किसानों की उपेक्षा कब तक करते रहेंगे. आबादी बढ़ने से परिवार बंटता जाता है. जमीन छोटा होता जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह का हवाला देते हुए पीएम ने कहा कि उन्होंने कहा था कि एक समय आएगा, जब हम अपने ही खेत में टैक्टर घूमा नहीं पाएंगे, क्योंकि जमीन का टुकड़ा बहुत छोटा हो जाएगा.
कृषि मजदूरों की संख्या 55 प्रतिशत हो गई है. खेती में निवेश नहीं हो पा रहा है. हमारा किसान गेंहू-चावल पर ही क्यों निर्भर रहे. उन्हें नया अवसर मिलना चाहिए.
पीएम ने कहा कि किसान रेल के माध्यम से छोटे किसान एक जगह से दूसरे जगह अपना सामान बेच रहे हैं. इसमें क्या हर्ज है.
उन्होंने कहा, पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार भी सुधार चाहते थे, लेकिन अब एकदम से पलट गए हैं.