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भारत-जापान संबंध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की शांति, स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण : पीएम मोदी

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Published : Nov 30, 2019, 7:58 PM IST

भारत और जापान के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की वार्ता के पहले संस्करण में हिस्सा लेने के लिए दोनों जापानी मंत्री शनिवार को नई दिल्ली पहुंचे. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो के साथ बैठक की. प्रधानमंत्री ने कहा कि 'टू-प्लस-टू वार्ता' द्विपक्षीय रणनीति, सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करेगी. जानें विस्तार से...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षामंत्री तारो कोनो के साथ बैठक की.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत का जापान से संबंध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता की उसकी दृष्टि का एक प्रमुख तत्व है.

विदेश मंत्रालय के अनुसार मोदी ने यह टिप्पणी जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो के साथ एक बैठक के दौरान की.

जापान के दोनों मंत्री भारत-जापान रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की वार्ता के पहले संस्करण में हिस्सा लेने के लिए यहां आए हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री ने भारत-जापान के लोगों के साथ ही क्षेत्र एवं विश्व के लाभ के लिए दोनों देशों के संबंधों के समग्र विकास के महत्व पर जोर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करते जापानी मंत्री.

मोदी ने जापान के दोनों मंत्रियों से यह भी कहा कि वह अगले महीने भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा पर आ रहे जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के स्वागत को लेकर उत्सुक हैं.

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का जापान से संबंध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता की उसकी दृष्टि का एक प्रमुख हिस्सा होने के साथ ही भारत की पूरब में काम करने की नीति की आधारशिला है.

इसे भी पढ़ें- बैंकॉक : जापान के प्रधानमंत्री से मिले पीएम मोदी

इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अलग से अपने समकक्ष मोतेगी से मुलाकात की और द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा की.

गौरतलब है कि भारत और जापान क्षेत्रीय शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र के वास्ते एक व्यापक एवं विस्तृत दृष्टिकोण तैयार करने पर जोर दे रहे हैं.

चीन हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सैन्य और आर्थिक प्रभाव तेजी से बढ़ा रहा है, जिसे लेकर क्षेत्र एवं उससे आगे के विभिन्न देशों में चिंता उत्पन्न हो रही है.

नई टू-प्लस-टू रूपरेखा के तहत भारत-जापान के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की वार्ता मोदी और आबे द्वारा पिछले वर्ष 13वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान किये गए एक निर्णय के बाद हो रही है.

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग गहरा करने के साथ दोनों देशों के बीच विशेष रणनीति एवं वैश्विक साझेदारी और मजबूती प्रदान करने के लिए नया तंत्र बनाने का निर्णय किया था.

मोदी ने मोतेगी और कोनो के साथ बैठक में कहा कि दोनों देशों के बीच नियमित उच्चस्तरीय आदान-प्रदान संबंध की प्रगाढ़ता और मजबूती का गवाह है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 'टू-प्लस-टू वार्ता' द्विपक्षीय रणनीति, सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करेगी.

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि भारत का जापान से संबंध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता की उसकी दृष्टि का एक प्रमुख तत्व है.

विदेश मंत्रालय के अनुसार मोदी ने यह टिप्पणी जापान के विदेश मंत्री तोशिमित्सु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो के साथ एक बैठक के दौरान की.

जापान के दोनों मंत्री भारत-जापान रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की वार्ता के पहले संस्करण में हिस्सा लेने के लिए यहां आए हैं.

विदेश मंत्रालय ने कहा कि बैठक में प्रधानमंत्री ने भारत-जापान के लोगों के साथ ही क्षेत्र एवं विश्व के लाभ के लिए दोनों देशों के संबंधों के समग्र विकास के महत्व पर जोर दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करते जापानी मंत्री.

मोदी ने जापान के दोनों मंत्रियों से यह भी कहा कि वह अगले महीने भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के लिए भारत की यात्रा पर आ रहे जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के स्वागत को लेकर उत्सुक हैं.

विदेश मंत्रालय के बयान के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत का जापान से संबंध हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की शांति, समृद्धि और स्थिरता की उसकी दृष्टि का एक प्रमुख हिस्सा होने के साथ ही भारत की पूरब में काम करने की नीति की आधारशिला है.

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इस बीच विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अलग से अपने समकक्ष मोतेगी से मुलाकात की और द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा की.

गौरतलब है कि भारत और जापान क्षेत्रीय शांति, समृद्धि और स्थिरता के लिए भारत-प्रशांत क्षेत्र के वास्ते एक व्यापक एवं विस्तृत दृष्टिकोण तैयार करने पर जोर दे रहे हैं.

चीन हिन्द प्रशांत क्षेत्र में सैन्य और आर्थिक प्रभाव तेजी से बढ़ा रहा है, जिसे लेकर क्षेत्र एवं उससे आगे के विभिन्न देशों में चिंता उत्पन्न हो रही है.

नई टू-प्लस-टू रूपरेखा के तहत भारत-जापान के रक्षा एवं विदेश मंत्रियों की वार्ता मोदी और आबे द्वारा पिछले वर्ष 13वें भारत-जापान वार्षिक शिखर सम्मेलन के दौरान किये गए एक निर्णय के बाद हो रही है.

दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सुरक्षा एवं रक्षा सहयोग गहरा करने के साथ दोनों देशों के बीच विशेष रणनीति एवं वैश्विक साझेदारी और मजबूती प्रदान करने के लिए नया तंत्र बनाने का निर्णय किया था.

मोदी ने मोतेगी और कोनो के साथ बैठक में कहा कि दोनों देशों के बीच नियमित उच्चस्तरीय आदान-प्रदान संबंध की प्रगाढ़ता और मजबूती का गवाह है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि 'टू-प्लस-टू वार्ता' द्विपक्षीय रणनीति, सुरक्षा और रक्षा सहयोग को और प्रगाढ़ करेगी.

Intro:Days ahead of India-Japan annual summit for which Japanese Prime Minister Shinzo Abe will soon arrive in India, Prime Minister Modi met Japanese Foreign Minister Toshimitsu Motegi and Defense Taro Kono today. Both leaders are in India for the inaugural 2+2 dialogue. Body:They commenced their visit by meeting Prime Minister Modi. Expressing positive hopes from the inaugural 2+2 dialogue, PM mentioned that the "meeting will further deepen bilateral strategic, security and defence cooperation between India and Japan.


Describing that both he and his Japanese counterpart attaches great importance to strengthening of bilateral partnership between the two countries. He conveyed that he looked forward to welcoming Prime Minister Abe to India for India-Japan Annual Summit next month.

Narendra Modi expressed his satisfaction for accomplishing the goal set by Prime Ministers during the 13th India-Japan Annual Summit held in Japan in October 2018. Conclusion:He stressed the importance of all-round development in India-Japan relations for the benefit of the two peoples, as well as the region and the world. The Prime Minister mentioned that regular high-level exchanges between the two countries are testimony to the depth and strength of the relationship.

He also added that India’s relationship with Japan was a key component of our vision for Indo-Pacific for peace, stability and prosperity of the region, as well as a cornerstone of India’s Act East Policy.
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