नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग से मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी दीक्षांत समारोह को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय को प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था का प्रमुख केंद्र बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, मैसूर यूनिवर्सिटी, प्राचीन भारत की समृद्ध शिक्षा व्यवस्था और भविष्य के भारत की आकांक्षाओं और क्षमताओं का प्रमुख केंद्र है. इस यूनिवर्सिटी ने 'राजर्षि' नालवाडी, कृष्णराज वडेयार और एम. विश्वेश्वरैया के विजन और संकल्पों को साकार किया है.
प्रधानमंत्री मोदी ने मैसूर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा, हमारे यहां शिक्षा और दीक्षा, युवा जीवन के दो अहम पड़ाव माने जाते हैं. ये हजारों वर्षों से हमारे यहां एक परंपरा रही है. जब हम दीक्षा की बात करते हैं, तो ये सिर्फ डिग्री प्राप्त करने का ही अवसर नहीं है. आज का ये दिन जीवन के अगले पड़ाव के लिए नए संकल्प लेने की प्रेरणा देता है.
प्रधानमंत्री मोदी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा, अब आप एक फॉर्मल यूनिवर्सिटी कैंपस से निकलकर, रियल लाइफ यूनिवर्सिटी के विराट कैंपस में जा रहे हैं. ये एक ऐसा कैंपस होगा जहां डिग्री के साथ ही, आपकी योग्यता और काम आएगी, जो ज्ञान आपने हासिल किया है उसका प्रयोजन काम आएगा.
बता दें कि मैसूर विवि के कार्यक्रम में पीएम कर्नाटक के राज्यपाल और अन्य गणमान्य लोग सांसदों, विधायकों और अन्य अधिकारियों के साथ इस अवसर पर छात्रों और उनके अभिभावकों के साथ ऑनलाइन जुड़े रहे.
मैसूर विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि बीते 6 साल में औसतन हर साल एक नए आईआईटी खोले गए हैं. इसमें से एक कर्नाटका के धारवाड़ में भी खुला है. 2014 तक भारत में नौ आईआईटी थे. इसके बाद के पांच सालों में 16 आईआईटी खोले गए.
उन्होंने आगे कहा कि बीते 5-6 साल ये निरंतर प्रयास हुआ कि हमारी शिक्षा छात्रों को 21वीं की सदी की आवश्यकताओं के बीच आगे बढ़ने में भी और मदद करे. विशेष तौर पर उच्च शिक्षा में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण से लेकर स्ट्रक्चरल रिफॉर्म पर बहुत ध्यान दिया गया है..
पढ़ें : एनएसजी स्थापना दिवस : पीएम बोले- सुरक्षित रखने के लिए जवानों पर गर्व
पीएम ने कहा कि बीते 5-6 साल में 7 नए आईआईएम स्थापित किए गए हैं, जबकि उससे पहले देश में 13 आईआईएम ही थे. इसी तरह करीब छह दशक तक देश में सिर्फ सात एम्स देश में सेवाएं दे रहे थे. साल 2014 के बाद इससे दोगुने यानी 15 एम्स देश में या तो स्थापित हो चुके हैं या फिर शुरु होने की प्रक्रिया में हैं.